The best in the world for me always udit sir 👌👌👌👌👌❤️❤️❤️❤️❤️👏👏👏👏👏👏👏🙌🙌🙌🙌🙌🙌from Morocco love you udit sir ❤️🙏👌👏🙌
@MannuVerma-v6c11 күн бұрын
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@upkachhora40015 күн бұрын
कुमार सानू और उदित नारायण दोनों के साथ सही नहीं हुआ। बेहद दुख की बात है कि मैं यहाँ हूँ यहाँ और तेरे नाम टाइटल सॉन्ग जैसे बेहतरीन ब्लॉकबस्टर songs के लिए उदित जी को फिल्म फेयर अवार्ड नहीं मिला। इसी तरह इनके कई बेहतरीन गाने हैं जिनके लिए इनको नॉमिनेट तो किया लेकिन फिल्म फेयर नही मिला। उदित जी के साथ कभी इंसाफ नहीं हुआ। मैं यहां हूं यहां (वीर जारा), कहो ना प्यार है टाइटल सॉन्ग, दिल तो पागल है टाइटल सॉन्ग, एक दिलरूबा है (बेवफा), जादू तेरी नजर, पहला नशा पहला खुमार, फूलों सा चेहरा तेरा, हो नहीं सकता (दिलजले ), कुछ कुछ होता है टाइटल सॉन्ग, तेरे नाम टाइटल सॉन्ग, दिल ने ये कहा है दिल से, आंखें खुली हो या हो बंद ( मोहब्बतें ), पंछी सुरु में गाते हैं (सिर्फ तुम), मेरी सांसों में बसा है तेरा ही एक नाम , दुनिया हसीनो का मेला, इत्यादि। ये सारे गाने नॉमिनेट हुए थे। उदित जी को टोटल 20 बार फिल्मफेयर के लिए नॉमिनेट किया गया, इतनी बार अभी तक भारत के इतिहास में सिर्फ किशोर कुमार को नॉमिनेट किया गया है। अगर इमानदारी से फिल्मफेयर दिया जाता तो उदित जी को कम से कम 20 में से 10 बार फ़िल्म फेयर मिलना चाहिए था। वर्ष 1995 में तुझे देखा तो जाना सनम(कुमार सानू )को अवार्ड मिलना चाहिए था, और वर्ष 1994 में ये काली काली आंखें की जगह पर जादू तेरी नजर को अवार्ड मिलना चाहिए था। साल 1992 में पहला नशा को फिल्मेफेयर मिलना चाहिए था, लेकिन इसके कम्पटीशन में 'सोचेंगे तुम्हे प्यार' भी एक बेहतरीन गाना था। पहला नशा को जब अवार्ड नहीं मिला था तो लता मंगेशकर ने इसपर बहुत आपत्ति और हैरानी जताया था। ऐसा ही वाकया नेशनल अवार्ड में भी हुआ है। घूंघट की आड़ से दिलबर का यह गाना कुमार सानू और अलका जी दोनों ने गाया था, लेकिन नेशनल अवॉर्ड सिर्फ अलका जी को मिला। कुछ कुछ होता है के टाइटल सॉन्ग के लिए अलका जी को नेशनल अवार्ड मिल गया, लेकिन उदित नारायण को नहीं मिला। स्वदेश फ़िल्म का एक गाना 'ये तारा वो तारा ' के लिए उदित नारायण को नेशनल अवार्ड नहीं देना चाहिए था क्यूंकि यह एक average song था. फिल्मफेयर टीम के judges के फैसले पर मुझे बहुत आपत्ति है. साल 2004 में मर्डर फिल्म का एक गाना ' प्यासा दिल मेरा एक रात बिताओ मेरे साथ ' जैसे बेहूदा और वाहयात गाने के लिए कुणाल गांजा वाला को फिल्म फेयर दे दिया गया , जबकि उस साल का सर्वश्रेष्ठ गाना था मैं यहां हूं यहां (वीर जारा ). पता नहीं क्या सोचकर यह लोग फिल्म फेयर देते हैं ? इन्हें म्यूजिक के टेस्ट का कुछ पता ही नहीं है और चले आते हैं जज बनने. इन्हें जज कौन बना देते हैं यार? जज बनने की क्राइटेरिया को क्या यह लोग पूरा करते हैं? खासकर तेरे नाम के साथ बहुत बड़ी नाइन्साफी हुई, एक पब्लिक सर्वे के मुताबिक तेरे नाम के गाने को बॉलीवुड के इतिहास में अभी तक लोगों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किया गया है। तेरे नाम का म्यूजिक जब 2003 में रिलीज हुआ था तो बहुत सारे रेडियो चैनलों ने तेरे नाम के songs को बैन कर दिया था, क्यूंकि लोगों की हर दस में से 9 फरमाइशें तेरे नाम की होती थी। रेडियो वाले तेरे नाम के गाने बजा बजा कर थक जाते थे। अवार्ड judgement में सबसे बड़ा अन्याय तेरे नाम के साथ हुआ है. तेरे नाम के गाने आज भी लोगों के बीच बेहद ही ज्यादा लोकप्रिय हैं और सदा रहेंगे. इतने सारे अन्याय उदित नारायण के साथ हुए हैं, लेकिन उदित नारायण ने सब कुछ बर्दाश्त कर लिया। आजतक कभी अपने इंटरव्यू में किसी से इसकी कोई शिकायत नहीं की, और ना कभी अपने दर्द को बताया. नतमस्तक करता हूं मैं इस महान सिंगर को🙏