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संघ द्वारा चार बस्तियों में आयोजित हुआ विजयदशमी पर्व
शस्त्र पूजन व पथसंचलन के कार्यक्रम हुए
13 अक्टूबर को चैनार, प्रताप, हनुमान व मुख्य स्थान बस्ती में होंगे कार्यक्रम
श्रीयादे, ताऊसर, श्रीराम व महालक्ष्मी बस्ती में 20 अक्टूबर को पथ संचलन
असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की विजय तथा शक्ति पूजन का पर्व विजयादशमी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा जिला मुख्यालय सहित विभिन्न ग्राम, मंडल स्तर पर संपन्न हुआ। संघ द्वारा नागौर जिला मुख्यालय की 16 में से चार बस्तियों में विजयादशमी पर्व आयोजित हुआ। इसमें शस्त्र पूजन के साथ-साथ बस्ती अनुसार पथ संचलन के कार्यक्रम संपन्न हुए। इसमें खत्रीपुरा बस्ती, रामदेव बस्ती, विश्वकर्मा बस्ती व बाड़ीकुआं बस्ती में स्वयंसेवकों ने घोष वादन के साथ कदम से कदम मिलाते हुए पथ संचलन किया। चारों बस्तियों में मुख्य चौराहों व मार्गों पर स्वयंसेवकों के इस संचलन पर मातृशक्ति, नागरिकों व विभिन्न संगठनों द्वारा पुष्पवर्षा करके व देशभक्ति पूर्ण उद्घोष लगाकर स्वागत किया तथा स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया। संघ के गुरु प्रतीक भगवा ध्वज के पावन सान्निध्य में भारतीय वाद्य पण्णव, आणक, बंसी, शंख त्रिभुज व झांझ आदि द्वारा भारतीय शास्त्रीय रचना श्रीराम, किरण, उदय व भूप आदि बजाकर स्वयंसेवक घेाषवादकों ने वातावरण को गुंजायमान किया। रविवार 13 अक्टूबर को संघ की योजना अनुसार बनी चैनार, प्रताप, हनुमान व मुख्य स्थान बस्ती में विजयदशमी पर्व आयोजित होगा तथा स्वयंसेवकों द्वारा शस्त्र पूजन के बाद इन बस्तियों में पथसंचलन के कार्यक्रम होंगे। इसी प्रकार रविवार 20 अक्टूबर को शेष रही श्रीयादें, ताऊसर बस्ती, श्रीराम बस्ती व महालक्ष्मी बस्ती में भी स्वयंसेवकों द्वारा पथसंचलन किया जायेगा।
बाड़ी कुआं संघस्थान पर संघ के नागौर जिला संघचालक मुकेश भाटी ने बौद्धिक पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि विजयादशमी को मनाने का उद्देश्य केवल असत्य पर सत्य की विजय नहीं बल्कि अधर्म के विरुद्ध धार्मिक शक्तियों के संगठित होने के लिए जागृत करने का भी उद्देश्य है। उन्होंने संघ के स्थापना के शताब्दी वर्ष पर पंच परिवर्तन के करणीय कार्य पर जोर देने का आग्रह किया। सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक शिष्टाचार व स्वदेशी भाव को व्यावहारिक रूप से अपनाने पर बल दिया।
खत्रीपुरा बस्ती में शस्त्र पूजन के बाद विजयदशमी कार्यक्रम के अवसर पर बोलते हुए संघ के जिला कार्यवाह सुखराम भाकल ने कहा कि भारत में अनेकानेक उत्सव- पर्व मनाये जाते हैं। संघ में उन छः पर्व को मनाया जाता है जो हिंदू समाज में एकता व गौरव भावना के साथ विजय की भावना जागृत करें। उन्होंने कहा कि डॉक्टर हेडगेवारजी ने विजयदशमी पर संघ की स्थापना इस निमित्त की कि समाज में हो रहे उत्तरोत्तर पतन का भाव कम हो । हिन्दू सनातन समाज जीवन विजयी भाव को भूल गया। युद्ध नियमानुसार ही किए जाते थे जबकि देश के लिए युद्ध जीतना एक महत्वपूर्ण व आवश्यक तथ्य है। दूसरा समाज में स्व केंद्रित भाव होने के कारण से देश के प्रति समर्पण की भावना कम हो गयी। हिंदू समाज में एकतत्व भावना का भी अभाव हो गया। इसलिए संघ में मकर संक्रांति, गुरु पूर्णिमा, विजयदशमी, नववर्ष चैत्र प्रतिपदा, हिंदू साम्राज्य दिवस व रक्षाबंधन के पर्व इन सभी कारणों का निवारण करते हैं। ऐसे उत्सव के कारण से समाज में विजयी होने व गौरव के भावों की बढोतरी होती है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण व सामाजिक समरसता आदि पंच परिवर्तन हेतु स्वयंसेवकों को व्यक्तिगत रूप से व्यावहारिक परिवर्तन का आह्वान किया।
रामदेव बस्ती में जिला प्रौढ प्रमुख प्रह्लाद भाटी व विश्वकर्मा संघ स्थान पर बाल विद्यार्थी कार्य प्रमुख कपिल पंचारिया ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया।