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मेरे नाथ !
आप अपनी सुधामयी, सर्व-समर्थ, पतितपावनी, अहैतुकी कृपा से, दु:खी प्राणियों के हृदय में, त्याग का बल एवं सुखी प्राणियों के हृदय में, सेवा का बल प्रदान करें; जिससे वे सुख-दु:ख के बन्धन से मुक्त हो, आपके पवित्र-प्रेम का आस्वादन कर, कृत-कृत्य हो जाएँ। -- Manav Seva Sangh
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