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संध्या आरती (लिखित) | Sandhya Aarti by Sant Rampal Ji Maharaj | 4K | nij ghar satlok
सर्व परमात्मा (सतगुरु) प्रेमियों से प्रार्थना है कि महाराज कबीर साहेब व गरीबदास जी की वाणी से यह "नित्य नियम" का गुटका आपके नित्य पाठ के लिए छपवाया गया है। ताकि शुद्धि पूर्वक नित्य पाठ करके आत्मा का कल्याण कर सकें। बन्दी छोड़ कबीर साहेब तथा गरीबदास जी महाराज की वाणी में यह विशेषता है कि इसके नित्य पाठ से आत्मा में दुष्कर्म त्यागने व भगवान चिन्तन की शक्ति आती है। बन्दी छोड़ कबीर साहेब व गरीबदास जी महाराज की वाणी स्व सिद्ध है। इसके नित्य पाठ से ज्ञान यज्ञ का लाभ होता है। जिस प्रकार किसी व्यक्ति को सर्प काट ले और वह मुर्छित हो तो गारड्डु (सर्प काटे का अध्यात्मिक इलाज करने वाला व्यक्ति) कुछ श्लोक (मन्त्र) पढ़ता है। जिस के कुछ समय में वह मुर्छित व्यक्ति होश में आ जाता है ठीक इसी प्रकार आत्मा पर दुष्कर्मों का विष चढ़ा हुआ है जिससे आत्मा काम क्रोध, मोह वस होकर मुर्छित पड़ी है। जो वाणी का पाठ करने से होश में आ जाती है। फिर परमात्मा का ध्यान, सुमरण, प्रभु गुणगान गुरु धारण करके काल के जाल से मुक्त हो जाती है। कुछ रोग भी वाणी पाठ से कट जाते हैं। यदि पूर्ण संत से नाम लेकर विश्वास करके नित्य पाठ किए जाएं। परिवार में सुख, धन वृद्धि, कुछ कार्य सिद्ध भी नाम जाप तथा वाणी के पाठ से होते हैं क्योंकि यह ज्ञान यज्ञ है। यह निश्चय कर मानें। परंतु पूर्ण मुक्ति के लिए पूर्ण गुरु की तलाश करें तथा नाम लेकर गुरु वचन में चलें और अपना जीवन सफल करें। नित्य पाठ का अर्थ यह है कि जो वाणी (सतगुरु वचन) में लिखा है उस पर अमल करना है। उसी प्रकार
अपनी रहनी व करनी करें।
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