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संध्या झूली | Sandhya Jhooli | A Tribute to Late Heera Singh Rana
Songwriter : Heera Singh Rana
Singer : Ajay Dhondiyal
Music : Ishaan Dobhal
Musicians : Sushant Bhatt, Shresth Shah, Deepak Naithani, Aniruddha Chandola, Shivani Chandra
Production : Pandavaas
Transcription : Lokesh Adhikari, Yashika Sharma
Calligraphy : Pradeep Rawat
Special Thanks : Vishal Sharma, Pankaj Gairola
Lyrics :
कुमाऊंनी (हिंदी)
ये पूरबि को दिना (पूरब से दिन)
ये पशचीमा न्है गो छ (पश्चिम की ओर चला गया है)
ये नीलकण्ठा हिमालया हो (नीलकंठ हिमालय में)
ये संध्या झूली ऐ छ (संध्या झूलते हुए आ गयी है)
ये शिवा का कैलाशा शम्भो (शिव-शम्भू के कैलाश में)
ये संध्या झूली ऐ छ (संध्या झूलते हुए आ गयी है)
भगिवाना नीलकण्ठा हिमाला (भगवान नीलकंठ हिमालय में)
अब संध्या झूली गे छ (अब संध्या छा गयी है)
भगिवाना धौलीगंगा का छाला (भगवान धौलीगंगा के किनारे)
घर कैं जाणि ब्याल है गे (घर लौटने को ज्यादा शाम हो चुकी है)
रू फुला हो (बहुत सुहाना पल है)
घाम मुखडी लाल है गे (सूर्य का मुख लाल हो चुका है)
रू फुला हो (बहुत सुहाना पल है)
पंछी उड़ि डाल भै गे (उड़ते हुए पंछी डालियों पर बैठ चुके हैं)
रू फुला हो (बहुत सुहाना पल है)
घर कैं जाणि ब्यालि है गे (घर लौटने को अब ज्यादा शाम हो चुकी है)
रू फुला हो (बहुत सुहाना पल है)
हरी हरद्वार बटि (हरी के हरिद्वार से)
पुजिगे नैनीताला (नैनीताल पहुँच चुकी है)
कुमाउं का फाट बटि (कुमाऊं के द्वार से)
जै पूजि गढ़वाला (गढ़वाल पहुँच चुकी है)
अब संध्या झुकि गे छ (अब संध्या झुक गयी है)
भगिवाना बद्रीनाथा विशाला (भगवान बद्री-विशाल पर)
केदारनाथ बटि (केदारनाथ से)
लौटि संध्या कां गे (लौट कर संध्या कहाँ गई)
जाँ पड़ि छू ह्यूं बर्फा (जहाँ बर्फ गिरी है)
लौटि संध्या वां गे (लौट कर संध्या वहां चली गई है)
अब संध्या लुकि गे छ (अब संध्या छुप गयी है)
भगिवाना मानसरोवर का ताला (भगवान मानसरोवर के ताल में)
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/ @pandavaas