My son is 2 years old and i am already talking to him in Sanskrit. it is easy for children to learn any language. My motto is simple. Learn Sanskrit so that you know Indian history, heritage, teachings and greatness Learn your mother tongue so that you can talk to your fellow people Learn English so that you can communicate to this world and tell them about Indian greatness and values This is what Swami Vivekananda taught us and did.
@anshulsaini79172 жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏
@crackeddnutt66172 жыл бұрын
Jhut kahe bak ra vai? 😂
@akashkumarsah6162 жыл бұрын
@@crackeddnutt6617 brother sach v ho sakta hai, little of bite, Thora Thora hi baat karte honge, par it usase bache ko interest bhi aa sakti hai, itihas kaun likh sakta hai, ye kaun janta hai, aise mai bhi g.p Patna 13 se civil engineering kar raha hu, par mai ghar pe pahle se hi sanskrit padhata tha 10th ko, Maine sanskrit 3rd class(almost 11year) se hi sanskrit sikhani Suru ki, didi aur khud aaj koi bhi granth ka tuti phuti arth bata hi sakta hu, mujhe bhi engineering se bahut jyada interest sanskrit me hai, par opportunities ka chakkar Babu bhaiya 🙏🙏🏼🚩🚩🙏🙏🙏🏼🙏🙏🙏🙏
@vish2062 жыл бұрын
@@akashkumarsah616 thanks Akash..yes you are right. It doesnt mean that i speak fluently. But idea is to teach him some words of English and Sanskrit both. Slowly and slowly my son will have interest in all three languages hopefully. I also got interest like this only since my mother is Sanskrit teacher. I believe Sanskrit is language created by intellectuals and is more than mode of communication
@shivamgautamsharma59992 жыл бұрын
गजब बात है संस्कृत सिखाने की बात करते है और हिंदी मैं लिखने मैं शर्म कर रहे हो
@dineshjai47682 жыл бұрын
संस्कृत देववाणी है, मुझे बहुत संस्कृत पसंद है, 12वीं तक मैंने संस्कृत पढ़ी है, जिसके कारण मुझे तमिल और मलयालम आसानी से समझ जाती है और मैं तमिल में बात करना भी सीख गई, हर भाषा में संस्कृत के शब्द होते हैं मलयालम में भी काफी शब्द संस्कृत के हैं और तमिल में भी है इसी कारण मैं तमिल जल्दी सीख गई बात करना, आज भी बेंगलुरु में एक ऐसा गांव है जहां पूरे गांव के लोग संस्कृत में बात करते हैं
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
संस्कृत कठिन नहीं है, पढाने वाला ठीक होना चाहिए 💯🙇♂️😎🙇♂️
@amankumarsah91242 жыл бұрын
Sath parane wala ve
@IITian-RJ2 жыл бұрын
student bhi eklavya jaise chahiye
@nanocaretech2 жыл бұрын
Sanskrit is like mathmatics , fully logical.
@aarikamaheshwari91652 жыл бұрын
Sanskrit is very interesting and logical language
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
@@nanocaretech 💯🙇♂️
@madhavan52 жыл бұрын
संस्कृत बहुत वैग्यानिक भाषा है । हर एक भारतीय को इसका ग्यान होना चाहिए । क्योंकि हमारी संस्कृति के सभी ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गये हैं । इसीलिए अगर हमें अपनी संस्कृति बचानी है तो संस्कृत का ग्यान होना बहुत जरूरी है ।
@bhumiputra4312 жыл бұрын
रे पोपट! तू झूठा तेरी कैम्ब्रिज झूठी!! जिस ऋषि पोपट द्वारा ढाई हजार साल से उलझी संस्कृत व्याकरण की गुत्थी सुलझाने का दावा किया जा रहा है वह बिल्कुल फर्जी कहानी है, ऐसी कोई गुत्थी थी ही नहीं, यह न्यूज एक शरारत है जिसके माध्यम से एक फर्जी एजेंट को संस्कृत जगत में घुसाकर भविष्य में ग्रंथों की तोड़ मरोड़ की भूमिका तैयार की जा रही है। मैक्समूलर के समय की गई शरारत को फिर से दुहराने की कोशिश हो रही है। #पाणिनि_अष्टाध्यायी में कुल आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय 4 विभागों में बंटा हैं जिन्हें पाद कहते हैं। हरेक पाद में कुछ सूत्र है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं। अधिकांश सूत्र बहुत छोटे हैं। दो तीन अक्षरों से लेकर दो तीन शब्दों तक। जिस सूत्र की बात हो रही है वह इस प्रकार है- विप्रतिषेधे परं कार्यम्। (1.4.2) हरेक सूत्र के पीछे कुछ अंक लिखा रहता है। उक्त सूत्र के (1.4.2) का अर्थ है यह सूत्र प्रथम1 अध्याय के चतुर्थ 4 पाद का दूसरा 2 सूत्र है। सूत्र का अर्थ है- जब तुल्य बल वाले दो या अधिक सूत्रों(अर्थात नियम) को लागू करना हो तो पाणिनि के सूत्रक्रम में बाद वाला सूत्र अपना कार्य करेगा। मतलब सूत्र 4 और सूत्र 5 में विरोध है तो 5की बात माननी चाहिए। (यह नियम भी केवल सवा सात अध्यायों के लिए है, अंतिम तीन पादों के लिए नहीं।) उदाहरण के लिए राम शब्द की चतुर्थी विभक्ति द्विवचन का रूप है - रामाभ्यां शब्द इस प्रकार बनता है राम+भ्यां यहाँ कार्य करने वाला सूत्र है सुपि च (7.1.102), इस सूत्र ने बीच में आ जोड़ा तो रामाभ्यां बन गया। इसी प्रकार राम शब्द की चतुर्थी बहुवचन का रूप है रामेभ्यः राम+भ्यः यहाँ सूत्र है- बहुवचने झल्येत् (7.1.103) यदि यहाँ 102 वां सूत्र प्रभावी होता तो शब्द बनता रामाभ्य:। राम+आ+भ्यां। जबकि बाद वाला सूत्र, अर्थात 103 वां सूत्र प्रभावी है अतः उसने पहले वाले सूत्र के बल को समाप्त कर स्वयं कार्य किया। बीच में आ के स्थान पर ए जोड़ा तो शब्द बन गया रामेभ्यः। राम+ए+भ्यः। और सरलता से समझते हैं। मान लीजिए कोई दो शब्द हैं क और ख, इन्हें जोड़ना है। तो स्थिति बनेगी क+ख अब ये जोड़ कोई मनमर्जी से नहीं होगा, इसके लिए कोई न कोई सूत्र आदेश करेगा। अब स्थिति ऐसी बन रही है कि कोई 102 वां और 103वां सूत्र दोनों ही इसे प्रभावित कर रहे हैं, तो विप्रतिषेधे परं कार्यम् (1.4.2) सूत्र यह व्यवस्था देता है कि यहाँ बाद वाला, अर्थात 103 वां सूत्र ही लागू होगा, 102वां सूत्र सायलेंट हो जाएगा। क्यों? क्योंकि पाणिनि ने इसे अपने सूत्रक्रम में पहले रखा है। पोपट ने क्या किया? पोपट ने यह किया कि विप्रतिषेधे.... सूत्र में जो पर है, उसका मतलब सूत्र संख्या नहीं बल्कि क+ख में जो बाद वाला है, अर्थात ख, उस पर कार्य होगा। उसने इसके लिए लेफ्ट राइट का प्रयोग किया है। यह अत्यंत हास्यास्पद है क्योंकि यह बात यहाँ लागू ही नहीं होती। ऐसी व्यवस्था भी पाणिनि करके गये हैं और वहाँ "पर" की बजाय पूर्व-पश्चात शब्द का प्रयोग किया गया है। सन्धि प्रकरण में उसका उल्लेख है। समस्या कहाँ है? समस्या इन पश्चिम वालों के दिमाग में है। इन्हें जब कोई बात देर से समझ में आती है तो उन्हें लगता है कि ये कोई खोज हो गई है। जबकि पाणिनि से लेकर आज तक हरेक व्याकरण छात्र इसे अच्छी तरह से समझता है और यह बहुत सामान्य बात है। जैसा कि सभी न्यूज दावा करते हैं, संस्कृत के विद्वानों के लिए चुनौती थी.... ब्ला ब्ला ब्ला... वह सब बकवास है। न चुनौती थी न ही ये कोई गुत्थी थी। बल्कि यह गारंटी है कि एक भी पत्रकार या समाचार सम्पादक इस न्यूज की abc भी नहीं जानता। तो ऐसा क्यों किया गया है? कैम्ब्रिज और इस गिरोह की नीयत सदैव संदिग्ध रही है। भारतीय ग्रन्थों के मनमाने अर्थ, तथ्यों की तोड़ मरोड़ और संस्कृति को बिगाड़ने वाले षड्यंत्र करने में ये कुख्यात रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक बात तो स्वयं न्यूज में ही लिखी है कि पाणिनि के सूत्रों का विरोध वररुचि ने किया, जबकि यह बात बिल्कुल झूठ है। दूसरी, भविष्य में ऐसे तथाकथित विद्वानों की पुस्तकों को सन्दर्भ ग्रन्थ मानकर भविष्य में वेद इत्यादि की भ्रामक और झूठी व्याख्या करने के षड्यंत्र रचे जाकर विद्वानों में कलह उत्पन्न करवाई जाएगी। शक क्यों होता है? सबसे पहले यह न्यूज द प्रिंट में छपी। उसके बाद उसके जैसे ही एजेंडा न्यूज एजेंसियों ने छापी। फिर बीबीसी और उसके बाद विभिन्न पोर्टल पर इसकी झड़ी लग गई। लेकिन वही समाचार, हूबहू शब्दशः कॉपी पेस्ट घूम रहा है, न कोई कॉपीराइट इश्यू बना न ही लेखक का नाम, एक जैसा समाचार सभी अखबार छाप रहे हैं, जिस तरह से कार्य हो रहा है, निश्चित ही यह षड्यंत्र है।
@amitp442 жыл бұрын
ज्ञान वैज्ञानिक
@raunitkr96372 жыл бұрын
Saale andhwishasi landbhakt
@madhavan52 жыл бұрын
@@raunitkr9637 तेरी भाषा से पता चल रहा है कि तू किस कदर गिरा हुआ इन्सान है ।
@raunitkr96372 жыл бұрын
@@madhavan5 तुम ये बतावो की संकृत भाषा पढ़ लिखकर कर किस किस चीज का अविष्कार हुआ है
@pandey_sultanpur2 жыл бұрын
हमे संस्कृत का अध्येता होने पर गर्व है
@Shubhamkumawat912 жыл бұрын
Namaskaram
@je.krishna2.0302 жыл бұрын
Sir online sanskrit syllabus laiye
@je.krishna2.0302 жыл бұрын
@sukhiya ha
@shwetarajput91772 жыл бұрын
@@je.krishna2.030 भाई आपसे निवेदन है कि आप हिंदी भाषा को अंग्रेजी शैली में न लिखें।इससे हमारी हिंदी भाषा की शैली कमजोर हो रही हैं और अगर शैली कमजोर तो भाषा भी खत्म।अपनी भाषा पर गर्व कीजिए।
@anandgadhavi77972 жыл бұрын
वाह भाई! आपने पाणिनी के व्याकरण में संशोधन किया और विदेश में जा के किया और आपको इतनी फेम मिली, अच्छी बात है, मैं आपके संशोधन से खुश हूं। मैंने संस्कृत के छंदशास्त्र के पदभार और विदेश के छंदशास्त्र के वर्णभार के सिद्धांत की तुलना कि और भारतीय छंदशास्त्र कि वैश्विक छंदशास्त्र पर असर सिद्ध कि लेकिन मेरी बात हमारे देश में अभी तक प्रसारित नहीं हुई। मैंने राष्ट्रीय स्तरीय प्राची प्रज्ञा मैगजीन में भी अभ्यास लेख लिखा किंतु उसका किसी भी शोधार्थी या प्राध्यापक से कोई प्रतिभाव नहीं आया। खैर, यह पब्लिसिटी का युग है शायद यही कमी रह गई होगी। मां सरस्वती हम जैसों को शक्ति प्रदान करें!
@chandrabhushandwivedi5462 жыл бұрын
ऋषि राजपोपटस्य शोधकार्य: प्रशंसनीय: अस्ति। संस्कृत भाषाया: उद्धारस्य आवश्यकम् अस्ति। अहम् प्रसन्नोस्मि यत् आधुनिक नवयुवका: संस्कृतस्य अध्ययने रूचि: धारयन्ति। धन्यवाद्। वन्दे भारत मातरम।
@clashofclan62412 жыл бұрын
ऋषि राजपोपता का शोध कार्य सराहनीय है। संस्कृत भाषा को बचाने की जरूरत है। मुझे प्रसन्नता है कि आधुनिक युवा संस्कृत पढ़ने में रुचि ले रहे हैं। शुक्रिया। वंदम भारत मातरम।
@arjunraut18862 жыл бұрын
मुझे वर्गीय संस्कृत की अपेक्षा वैदिक संस्कृत अधिक सरल और लोक भाषा के निकट जान पड़ती है । इसे जन भाषा से दूर करने की राजनीति का भी शिकार बनाया गया है ।
@arjunraut18862 жыл бұрын
वर्तमान में संस्कृत प्रति बढ़ती अभिरुचि भारत के अच्छे भविष्य के संकेतक श्लाघनीय हैं
@namrtatiwari71442 жыл бұрын
हमे अपने संतो ऋषि मुनियों के आदर्शो पर चलना चाहिए, यहाँ गुरु और शिष्य के ज्ञान की खान है भारत
@SuperShambhoo2 жыл бұрын
कोई गुत्थी नहीं सुलझयी... इस लड़के को संस्कृत के बारे में कुछ ज्ञान ही नहीं है पता ही नहीं है... 🤣 और संस्कार भी नहीं है... गुरुओं का नाम नहीं लिया जाता... कैसे???? न्यूटन साहब के जिस नियम को खोजने के लिए उनकी पूरी उम्र लग गई... उसे हम 20 मिनट में सीख लेते हैं.. यही गुरु की कृपा है ..इस मुर्ख लड़के को इस बात का भी ज्ञान नहीं है... गुरु का नाम नहीं लिया जाता... "पाणिनी" नहीं कहा जाता है "पाणिनीजी" या "ऋषि पांणिनी" कहा जाता है!!!!! क्यों??? क्योंकि संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं... समस्त विश्व को संस्कार देने का एक आधार है.... गीता में कृष्ण यही सिखाते हैं कि "मैं" का विसर्जन करो ...यह लड़का हर बात है मैं मैं मैं मैं करता है 🤣 यूट्यूब चला कर प्रपोगंडा करके कोई अहंकारी मूर्ख ... विद्वान नहीं हो जाता... 🤣 लोटे को पानी से भरने के लिए पानी में झुकना पड़ता है ..इसी तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरुओं को प्रणाम करना पड़ता है... न्यूटन साहब के नियम में करेक्शन करने वाले.. आने वाले वैज्ञानिक भी न्यूटन साहब को मूर्ख नहीं कहते !!! वे उनके नियम को ही आधार बनाकर आगे बढ़ते हैं!!! सत्य भी यही है... इस मुर्ख लड़के को इतना भी ज्ञान नहीं... कि पहले प्रामाणिक गुरु से ज्ञान लिया जाता है... फिर कुछ किया जाता है!!!! भारतवर्ष विद्वानों का देश है... यूट्यूब चैनल खोल लेने से कुछ सिद्ध नहीं हो जाता... ऐसे झूठे प्रचार से कुछ नहीं मिलता...🤣 ईश्वर इस मूर्ख अहंकारी लड़के को ज्ञान प्रदान करें... सीताराम 🙏🌹
@nandinikumari99772 жыл бұрын
भारत सदा सेसंस्कृत का केंद्र रहा है, जिसपर पश्चिम का प्रभुत्त्व स्थापित करने की चाल चली गयी है! कुछ भी हो, संस्कृत की विश्व स्वीकार्यता बढ़ेगी, तो संस्कृत वाङ्ग्मय का अनंत ज्ञान विश्व को आलोकित करेगा! धन्यवाद ऋषि!!
@Mukundmadhav1212 жыл бұрын
दुर्भाग्य है इस देश का जो अर्वाचीन और प्राचीन शब्दों के विनियामक विश्व के सबसे शुद्ध पाणिनी व्याकरण से संपोषित हो रहे संस्कृत भाषा के विषय में इतने आश्चर्य से बात कर रहे हैं ।
@sriradharadharadha2 жыл бұрын
ऋषी ने काफ़ी नई उम्मीदें जगाई है। ज्यादा से ज्यादा लोग अब संस्कृत की ओर आकृष्ट होंगे जिसके कारण भाषा के कई जटिल प्रश्नों के हल होंगे। 🙏👍💐
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@akashmishra8142 жыл бұрын
रे पोपट! तू झूठा तेरी कैम्ब्रिज झूठी!! जिस ऋषि पोपट द्वारा ढाई हजार साल से उलझी संस्कृत व्याकरण की गुत्थी सुलझाने का दावा किया जा रहा है वह बिल्कुल फर्जी कहानी है, ऐसी कोई गुत्थी थी ही नहीं, यह न्यूज एक शरारत है जिसके माध्यम से एक फर्जी एजेंट को संस्कृत जगत में घुसाकर भविष्य में ग्रंथों की तोड़ मरोड़ की भूमिका तैयार की जा रही है। मैक्समूलर के समय की गई शरारत को फिर से दुहराने की कोशिश हो रही है। #पाणिनि_अष्टाध्यायी में कुल आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय 4 विभागों में बंटा हैं जिन्हें पाद कहते हैं। हरेक पाद में कुछ सूत्र है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं। अधिकांश सूत्र बहुत छोटे हैं। दो तीन अक्षरों से लेकर दो तीन शब्दों तक। जिस सूत्र की बात हो रही है वह इस प्रकार है- विप्रतिषेधे परं कार्यम्। (1.4.2) हरेक सूत्र के पीछे कुछ अंक लिखा रहता है। उक्त सूत्र के (1.4.2) का अर्थ है यह सूत्र प्रथम1 अध्याय के चतुर्थ 4 पाद का दूसरा 2 सूत्र है। सूत्र का अर्थ है- जब तुल्य बल वाले दो या अधिक सूत्रों(अर्थात नियम) को लागू करना हो तो पाणिनि के सूत्रक्रम में बाद वाला सूत्र अपना कार्य करेगा। मतलब सूत्र 4 और सूत्र 5 में विरोध है तो 5की बात माननी चाहिए। (यह नियम भी केवल सवा सात अध्यायों के लिए है, अंतिम तीन पादों के लिए नहीं।) उदाहरण के लिए राम शब्द की चतुर्थी विभक्ति द्विवचन का रूप है - रामाभ्यां शब्द इस प्रकार बनता है राम+भ्यां यहाँ कार्य करने वाला सूत्र है सुपि च (7.1.102), इस सूत्र ने बीच में आ जोड़ा तो रामाभ्यां बन गया। इसी प्रकार राम शब्द की चतुर्थी बहुवचन का रूप है रामेभ्यः राम+भ्यः यहाँ सूत्र है- बहुवचने झल्येत् (7.1.103) यदि यहाँ 102 वां सूत्र प्रभावी होता तो शब्द बनता रामाभ्य:। राम+आ+भ्यां। जबकि बाद वाला सूत्र, अर्थात 103 वां सूत्र प्रभावी है अतः उसने पहले वाले सूत्र के बल को समाप्त कर स्वयं कार्य किया। बीच में आ के स्थान पर ए जोड़ा तो शब्द बन गया रामेभ्यः। राम+ए+भ्यः। और सरलता से समझते हैं। मान लीजिए कोई दो शब्द हैं क और ख, इन्हें जोड़ना है। तो स्थिति बनेगी क+ख अब ये जोड़ कोई मनमर्जी से नहीं होगा, इसके लिए कोई न कोई सूत्र आदेश करेगा। अब स्थिति ऐसी बन रही है कि कोई 102 वां और 103वां सूत्र दोनों ही इसे प्रभावित कर रहे हैं, तो विप्रतिषेधे परं कार्यम् (1.4.2) सूत्र यह व्यवस्था देता है कि यहाँ बाद वाला, अर्थात 103 वां सूत्र ही लागू होगा, 102वां सूत्र सायलेंट हो जाएगा। क्यों? क्योंकि पाणिनि ने इसे अपने सूत्रक्रम में पहले रखा है। पोपट ने क्या किया? पोपट ने यह किया कि विप्रतिषेधे.... सूत्र में जो पर है, उसका मतलब सूत्र संख्या नहीं बल्कि क+ख में जो बाद वाला है, अर्थात ख, उस पर कार्य होगा। उसने इसके लिए लेफ्ट राइट का प्रयोग किया है। यह अत्यंत हास्यास्पद है क्योंकि यह बात यहाँ लागू ही नहीं होती। ऐसी व्यवस्था भी पाणिनि करके गये हैं और वहाँ "पर" की बजाय पूर्व-पश्चात शब्द का प्रयोग किया गया है। सन्धि प्रकरण में उसका उल्लेख है। समस्या कहाँ है? समस्या इन पश्चिम वालों के दिमाग में है। इन्हें जब कोई बात देर से समझ में आती है तो उन्हें लगता है कि ये कोई खोज हो गई है। जबकि पाणिनि से लेकर आज तक हरेक व्याकरण छात्र इसे अच्छी तरह से समझता है और यह बहुत सामान्य बात है। जैसा कि सभी न्यूज दावा करते हैं, संस्कृत के विद्वानों के लिए चुनौती थी.... ब्ला ब्ला ब्ला... वह सब बकवास है। न चुनौती थी न ही ये कोई गुत्थी थी। बल्कि यह गारंटी है कि एक भी पत्रकार या समाचार सम्पादक इस न्यूज की abc भी नहीं जानता। तो ऐसा क्यों किया गया है? कैम्ब्रिज और इस गिरोह की नीयत सदैव संदिग्ध रही है। भारतीय ग्रन्थों के मनमाने अर्थ, तथ्यों की तोड़ मरोड़ और संस्कृति को बिगाड़ने वाले षड्यंत्र करने में ये कुख्यात रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक बात तो स्वयं न्यूज में ही लिखी है कि पाणिनि के सूत्रों का विरोध वररुचि ने किया, जबकि यह बात बिल्कुल झूठ है। दूसरी, भविष्य में ऐसे तथाकथित विद्वानों की पुस्तकों को सन्दर्भ ग्रन्थ मानकर भविष्य में वेद इत्यादि की भ्रामक और झूठी व्याख्या करने के षड्यंत्र रचे जाकर विद्वानों में कलह उत्पन्न करवाई जाएगी। शक क्यों होता है? सबसे पहले यह न्यूज द प्रिंट में छपी। उसके बाद उसके जैसे ही एजेंडा न्यूज एजेंसियों ने छापी। फिर बीबीसी और उसके बाद विभिन्न पोर्टल पर इसकी झड़ी लग गई। लेकिन वही समाचार, हूबहू शब्दशः कॉपी पेस्ट घूम रहा है, न कोई कॉपीराइट इश्यू बना न ही लेखक का नाम, एक जैसा समाचार सभी अखबार छाप रहे हैं, जिस तरह से कार्य हो रहा है, निश्चित ही यह षड्यंत्र है।
@श्रीशक्तिवीरहनुमानमन्दिर2 жыл бұрын
सब गलत बोल रहा है 🤣
@umashankarsirji2 жыл бұрын
यह लड़का भ्रमित है ।इससे भी अधिक भ्रमित लल्लनटॉप की एंकर है जो कह रही है कि कई जानकारों का मानना है कि इसने संस्कृत की गुत्थी सुलझाई है। संस्कृत व्याकरण और पाणिनि की अष्टाध्यायी की समझ रखने वाला समान्य विद्वान भी जानता है कि इस लड़के ने कुछ नहीं किया है। इसने एक ऐसी गुत्थी सुलझाने का दावा किया है जो कभी थी ही नहीं। मीडिया का रवैया भी घोर निराशाजनक है जो प्रामाणिक विद्वान से मिले बिना किसी के दावे को प्रसारित कर रही है।
@The-vb2oj2 жыл бұрын
सारे ऋषि ब्रिटेन को बदल रहे हैं ❤
@AkinUk542 жыл бұрын
संस्कृत का व्याकरण एक दम गणित की तरह स्पष्ट और सटीक है
@satyanarayansinha44632 жыл бұрын
No Indian University has given him that scope that he has to go to far away in a foreign country to do research on panini big salute to him for his research
@kaviwardhman2 жыл бұрын
Dukhi mat ho bhai India. Mein bhi hein universities aur bhi develop ho rhi hein. Point ye hai koi bhi nation phle essential education pe focus karta hai jo ki important hai baad mein arts aur culture pe focus karta hai. Phle AIIMS aur IIT to dhang chalne lag jayen tab Sanskrit bhi world class ho jayegi.
@ghatak5802 жыл бұрын
That is bcoz we Indian don’t value our culture and past in India but foreigners take interest in Indian culture and its history. You can see in daily social media posts, how people make fun of others who talks about ayurveda, vedas, ancient languages..
@raghavendra53112 жыл бұрын
@@kaviwardhman Arts yani humanities bhi achcha Hain naki sirf medical aur engineering. Humanities mein bhi achche jobs available karne chahiye government ne . Humanities humare har roz ke jeevan mein kaam aate hain. Isliye sanskrit jaroori hain
@rey16572 жыл бұрын
Think thirty years back, then twenty, then ten. We are just seventy years since independence, however long for our lifetimes, we are getting back to where we were as a society, a civilization, a beacon for every human. This is just the start. Satyameva Jayate, Jai Bharatham
@nishant_kharkwal2 жыл бұрын
@@kaviwardhman bakwas hebye sab batein. Koi bhi desh sab mein focus karta he. IITs ke pahle desh mein arts and language ke departments khul gaye the. Sanskrit clg toh 1850s mein khul gaya tha. Kafi famous he suna hoga. Raja Ram Mohan Roy ke time. Dikkat ye he ki is desh mein education ki kabhi kadar nahin Rahi na rahegi. Kadar paise ki he. Jo iit aur iim ki padhayi dilwayi he. Jiske demand market mein he. Government kitna kharch karta he PhD par. And this government has actually reduced all the funds in arts and humanities which used to come earlier. Higher education budget dekh lena. Even if you do PhD from Best departments in the country JRF ke alawa kuch nahin milta. Motivation to waste your time in PhD and research 31000. And for not net fellowship 8000 rs. At the time of research most of the scholars are have passed 25 years of age. Apni jawani kharab kar ke aadmi research kare aur milta kya he babaji ka thullu. Aur itni mehnat ke Baad bhi naukri. Nil bate sannata. Khud central universities mein salo se vacancies hein par bhari nahin jati. Present government ne bhi kuch nahin kiya . Bhate ka NEP. Aur ye sirf humanities ka nahin IIT se PhD kar ke bhi yahi haal he. Naukri ke liye ghumte firo. Ye jhoot bolna band karo ki government ne idhar dhyan diya.. salla poora education system barbad kar diya he. Jo pahle se hi barbaad tha. CSIR NET UGC NET saal mein do baar time se hote the . Aur ab koi pata nahin. UGC chairperson tweet karta he June mein exam hoga. aur hota kab he October end thak khich jata he.CUET ke exam, NEET, JEE ke exam properly nahin ho paa rahe. Aur besharam aadmi aek baar mafi nahin mangi gayi. Minister of education banayi thi. Hug rahi he sab jagah. Poori cycle barbaad kar di hein.saare exam chaupat admission 6-7 mahine late. Kahan hawa mein karwaoge aap padhayi arts ki engineering ki hi nahin ho rahi. Ye jo jhoot ka chasma pahen rakha he na utaro ise
@vinitagupta76702 жыл бұрын
Yes it is everywhere on social media . Hats off to him. What an irony , he goes to Cambridge to study Sanskrit 😢
@shilpisoni40932 жыл бұрын
See the irony other countries understands the importance of Sanskrit language and we see it as marks ..no offence. I was also among the same students where my mother had Sanskrit as her main subject. But yes we need good teachers who can actually deliver the real essense of any subject.
@aartimav77432 жыл бұрын
रे पोपट! तू झूठा तेरी कैम्ब्रिज झूठी!! जिस ऋषि पोपट द्वारा ढाई हजार साल से उलझी संस्कृत व्याकरण की गुत्थी सुलझाने का दावा किया जा रहा है वह बिल्कुल फर्जी कहानी है, ऐसी कोई गुत्थी थी ही नहीं, यह न्यूज एक शरारत है जिसके माध्यम से एक फर्जी एजेंट को संस्कृत जगत में घुसाकर भविष्य में ग्रंथों की तोड़ मरोड़ की भूमिका तैयार की जा रही है। मैक्समूलर के समय की गई शरारत को फिर से दुहराने की कोशिश हो रही है। #पाणिनि_अष्टाध्यायी में कुल आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय 4 विभागों में बंटा हैं जिन्हें पाद कहते हैं। हरेक पाद में कुछ सूत्र है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं। अधिकांश सूत्र बहुत छोटे हैं। दो तीन अक्षरों से लेकर दो तीन शब्दों तक। जिस सूत्र की बात हो रही है वह इस प्रकार है- विप्रतिषेधे परं कार्यम्। (1.4.2) हरेक सूत्र के पीछे कुछ अंक लिखा रहता है। उक्त सूत्र के (1.4.2) का अर्थ है यह सूत्र प्रथम1 अध्याय के चतुर्थ 4 पाद का दूसरा 2 सूत्र है। सूत्र का अर्थ है- जब तुल्य बल वाले दो या अधिक सूत्रों(अर्थात नियम) को लागू करना हो तो पाणिनि के सूत्रक्रम में बाद वाला सूत्र अपना कार्य करेगा। मतलब सूत्र 4 और सूत्र 5 में विरोध है तो 5की बात माननी चाहिए। (यह नियम भी केवल सवा सात अध्यायों के लिए है, अंतिम तीन पादों के लिए नहीं।) उदाहरण के लिए राम शब्द की चतुर्थी विभक्ति द्विवचन का रूप है - रामाभ्यां शब्द इस प्रकार बनता है राम+भ्यां यहाँ कार्य करने वाला सूत्र है सुपि च (7.1.102), इस सूत्र ने बीच में आ जोड़ा तो रामाभ्यां बन गया। इसी प्रकार राम शब्द की चतुर्थी बहुवचन का रूप है रामेभ्यः राम+भ्यः यहाँ सूत्र है- बहुवचने झल्येत् (7.1.103) यदि यहाँ 102 वां सूत्र प्रभावी होता तो शब्द बनता रामाभ्य:। राम+आ+भ्यां। जबकि बाद वाला सूत्र, अर्थात 103 वां सूत्र प्रभावी है अतः उसने पहले वाले सूत्र के बल को समाप्त कर स्वयं कार्य किया। बीच में आ के स्थान पर ए जोड़ा तो शब्द बन गया रामेभ्यः। राम+ए+भ्यः। और सरलता से समझते हैं। मान लीजिए कोई दो शब्द हैं क और ख, इन्हें जोड़ना है। तो स्थिति बनेगी क+ख अब ये जोड़ कोई मनमर्जी से नहीं होगा, इसके लिए कोई न कोई सूत्र आदेश करेगा। अब स्थिति ऐसी बन रही है कि कोई 102 वां और 103वां सूत्र दोनों ही इसे प्रभावित कर रहे हैं, तो विप्रतिषेधे परं कार्यम् (1.4.2) सूत्र यह व्यवस्था देता है कि यहाँ बाद वाला, अर्थात 103 वां सूत्र ही लागू होगा, 102वां सूत्र सायलेंट हो जाएगा। क्यों? क्योंकि पाणिनि ने इसे अपने सूत्रक्रम में पहले रखा है। पोपट ने क्या किया? पोपट ने यह किया कि विप्रतिषेधे.... सूत्र में जो पर है, उसका मतलब सूत्र संख्या नहीं बल्कि क+ख में जो बाद वाला है, अर्थात ख, उस पर कार्य होगा। उसने इसके लिए लेफ्ट राइट का प्रयोग किया है। यह अत्यंत हास्यास्पद है क्योंकि यह बात यहाँ लागू ही नहीं होती। ऐसी व्यवस्था भी पाणिनि करके गये हैं और वहाँ "पर" की बजाय पूर्व-पश्चात शब्द का प्रयोग किया गया है। सन्धि प्रकरण में उसका उल्लेख है। समस्या कहाँ है? समस्या इन पश्चिम वालों के दिमाग में है। इन्हें जब कोई बात देर से समझ में आती है तो उन्हें लगता है कि ये कोई खोज हो गई है। जबकि पाणिनि से लेकर आज तक हरेक व्याकरण छात्र इसे अच्छी तरह से समझता है और यह बहुत सामान्य बात है। जैसा कि सभी न्यूज दावा करते हैं, संस्कृत के विद्वानों के लिए चुनौती थी.... ब्ला ब्ला ब्ला... वह सब बकवास है। न चुनौती थी न ही ये कोई गुत्थी थी। बल्कि यह गारंटी है कि एक भी पत्रकार या समाचार सम्पादक इस न्यूज की abc भी नहीं जानता। तो ऐसा क्यों किया गया है? कैम्ब्रिज और इस गिरोह की नीयत सदैव संदिग्ध रही है। भारतीय ग्रन्थों के मनमाने अर्थ, तथ्यों की तोड़ मरोड़ और संस्कृति को बिगाड़ने वाले षड्यंत्र करने में ये कुख्यात रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक बात तो स्वयं न्यूज में ही लिखी है कि पाणिनि के सूत्रों का विरोध वररुचि ने किया, जबकि यह बात बिल्कुल झूठ है। दूसरी, भविष्य में ऐसे तथाकथित विद्वानों की पुस्तकों को सन्दर्भ ग्रन्थ मानकर भविष्य में वेद इत्यादि की भ्रामक और झूठी व्याख्या करने के षड्यंत्र रचे जाकर विद्वानों में कलह उत्पन्न करवाई जाएगी। शक क्यों होता है? सबसे पहले यह न्यूज द प्रिंट में छपी। उसके बाद उसके जैसे ही एजेंडा न्यूज एजेंसियों ने छापी। फिर बीबीसी और उसके बाद विभिन्न पोर्टल पर इसकी झड़ी लग गई। लेकिन वही समाचार, हूबहू शब्दशः कॉपी पेस्ट घूम रहा है, न कोई कॉपीराइट इश्यू बना न ही लेखक का नाम, एक जैसा समाचार सभी अखबार छाप रहे हैं, जिस तरह से कार्य हो रहा है, निश्चित ही यह षड्यंत्र है।
@rakesharamaiah27372 жыл бұрын
Wait boss..still not confirmed
@aartimav77432 жыл бұрын
@@rakesharamaiah2737 exactly
@pulakprakriti2 жыл бұрын
BHU crying in corner 🥲
@Nibha282 жыл бұрын
Amazing. Somebody enjoying Sanskrit in today's India. Also, sad that India doesn't incentivize learning Indian languages.
@RoshnaiUrdu2 жыл бұрын
Don't feel sad for India. Feel sad for yourself. Why didn't u learn Sanskrit??
@pandey_sultanpur2 жыл бұрын
SAd for only U dear,...अहं पठामि संस्कृतं👍👍
@omsingh21962 жыл бұрын
और आप सब अंग्रेजी झाड़कर इस पर दुःख जता रहे हैं। जरा सोचिए...
@Anonymous-cq8rp2 жыл бұрын
@@omsingh2196 English antarrashtriya star par vartalaap ke liye jaroori h.
@bhadwamodi82942 жыл бұрын
Rishi Popat sab ko popat bana raha hai.
@shashisuresh4472 жыл бұрын
पाणिनि मेरी राय में एक बहुत बड़े गणितज्ञ थे। उनके सूत्र उनके गणित के गहरे ज्ञान के परिचायक हैं। संस्कृत भाषा उनके ज्ञान की वाहन है। इन सूत्रों की उपयोगिता किसी अन्य लिपी में भी उतनी ही सक्षम रहेगी!
@vivekjoshi14032 жыл бұрын
ऋषि की सफलता का समाचार तो पढ़ने मिला लेकिन इन्होंने क्या खोजा यह उस समाचार में कहीं न था और कोई बता भी नही पा रहा था । आपके चैनल को धन्यवाद ।
@alonewalker10322 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/nHqbmI2HjN2hnrM
@bhawani_putra66142 жыл бұрын
इसमें ऐसा क्या पता चल गया महोदय। इन्होंने क्या खोजा उस पर तो बात हुई ही नही।
@aanchalparihar40822 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/eWGmcqSNe8iHfLs
@SuperShambhoo2 жыл бұрын
कोई गुत्थी नहीं सुलझयी... इस लड़के को संस्कृत के बारे में कुछ ज्ञान ही नहीं है... पता ही नहीं है... 🤣 और संस्कार भी नहीं है... इस लड़के को यह भी नहीं पता कि गुरुओं का नाम नहीं लिया जाता... "पाणिनी" नहीं कहा जाता है.. "पाणिनीजी" या "ऋषि पांणिनी" कहा जाता है!!!!! कैसे???? न्यूटन साहब के जिस नियम को खोजने के लिए उनकी पूरी उम्र लग गई... उसे हम 20 मिनट में सीख लेते हैं.. यही गुरु की कृपा है .. गुरु की कृपा से समय भी संकुचित हो जाता है!!!! इस मुर्ख लड़के को कुछ भी ज्ञान नहीं है... क्यों??? क्योंकि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं है... समस्त विश्व को संस्कार देने का एक आधार है.... गीता में कृष्ण यही सिखाते हैं कि "मैं" का विसर्जन करो ...यह लड़का हर बात पर मैं मैं मैं मैं करता है 🤣 यूट्यूब चला कर प्रपोगंडा करके कोई अहंकारी मूर्ख ... विद्वान नहीं हो जाता... 🤣 लोटे को पानी से भरने के लिए पानी में झुकना पड़ता है ..इसी तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरुओं को प्रणाम करना पड़ता है... गुरु शिष्य परंपरा से सीखना पड़ता है... समझने के लिए समझें.. न्यूटन साहब के नियम में करेक्शन करने वाले.. आने वाले नई पीढ़ी के वैज्ञानिक भी न्यूटन साहब को मूर्ख नहीं कहते !!! वे उनके नियम को ही आधार बनाकर आगे बढ़ते हैं!!! सत्य भी यही है... इस मुर्ख लड़के को इतना भी ज्ञान नहीं... कि पहले प्रामाणिक गुरु से ज्ञान लिया जाता है... उनका आदर करना सीखा जाता है!!! यही अंतर होता है... कि.... स्वयं गुरु बन जाने से व्यक्ति मूर्ख के साथ अहंकारी भी हो जाता है!!! और परंपरा से ज्ञान प्राप्त करने से विनम्रता के साथ विद्वान होता है!!! भारतवर्ष विद्वानों का देश है... यूट्यूब चैनल खोल लेने से कुछ सिद्ध नहीं हो जाता... ऐसे झूठे प्रचार से कुछ नहीं मिलता...🤣 ईश्वर इस मूर्ख अहंकारी लड़के को ज्ञान प्रदान करें... सनातनी शिष्य सुपरशंभू सीताराम 🙏🌹
@nityavishwakarma24722 жыл бұрын
@@bhawani_putra6614 vivek v wahi baat bol rahe h thik se padho
@PraveenPatanjaliYog2 жыл бұрын
इस कार्य के लिए ऋषि भाई को बहुत बहुत धन्यवाद और शुभ कामनाएं ,हमें लगता है की भारत में जो आर्ष गुरुकुल चल रहे हैं वहां इसके बारे मे बहुत कुछ जानकारी मिल जाएगी एक बार वहां भी ध्यान देने की आवश्यकता है
@ABHISHEK-qc5zc2 жыл бұрын
मेरे संस्कृत के गुरु “रामरत्न सर” को कोटि कोटि प्रणाम🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 उन्ही के वजह से संस्कृत भाषा मुझे इतनी प्रिय लगी
@SuperShambhoo2 жыл бұрын
कोई गुत्थी नहीं सुलझयी... इस लड़के को संस्कृत के बारे में कुछ ज्ञान ही नहीं है... पता ही नहीं है... 🤣 और संस्कार भी नहीं है... इस लड़के को यह भी नहीं पता कि गुरुओं का नाम नहीं लिया जाता... "पाणिनी" नहीं कहा जाता है.. "पाणिनीजी" या "ऋषि पांणिनी" कहा जाता है!!!!! कैसे???? न्यूटन साहब के जिस नियम को खोजने के लिए उनकी पूरी उम्र लग गई... उसे हम 20 मिनट में सीख लेते हैं.. यही गुरु की कृपा है .. गुरु की कृपा से समय भी संकुचित हो जाता है!!!! इस मुर्ख लड़के को कुछ भी ज्ञान नहीं है... क्यों??? क्योंकि संस्कृत सिर्फ भाषा ही नहीं है... समस्त विश्व को संस्कार देने का एक आधार है.... गीता में कृष्ण यही सिखाते हैं कि "मैं" का विसर्जन करो ...यह लड़का हर बात पर मैं मैं मैं मैं करता है 🤣 यूट्यूब चला कर प्रपोगंडा करके कोई अहंकारी मूर्ख ... विद्वान नहीं हो जाता... 🤣 लोटे को पानी से भरने के लिए पानी में झुकना पड़ता है ..इसी तरह ज्ञान प्राप्त करने के लिए गुरुओं को प्रणाम करना पड़ता है... गुरु शिष्य परंपरा से सीखना पड़ता है... समझने के लिए समझें.. न्यूटन साहब के नियम में करेक्शन करने वाले.. आने वाले नई पीढ़ी के वैज्ञानिक भी न्यूटन साहब को मूर्ख नहीं कहते !!! वे उनके नियम को ही आधार बनाकर आगे बढ़ते हैं!!! सत्य भी यही है... इस मुर्ख लड़के को इतना भी ज्ञान नहीं... कि पहले प्रामाणिक गुरु से ज्ञान लिया जाता है... उनका आदर करना सीखा जाता है!!! यही अंतर होता है... कि.... स्वयं गुरु बन जाने से व्यक्ति मूर्ख के साथ अहंकारी भी हो जाता है!!! और परंपरा से ज्ञान प्राप्त करने से विनम्रता के साथ विद्वान होता है!!! भारतवर्ष विद्वानों का देश है... यूट्यूब चैनल खोल लेने से कुछ सिद्ध नहीं हो जाता... ऐसे झूठे प्रचार से कुछ नहीं मिलता...🤣 ईश्वर इस मूर्ख अहंकारी लड़के को ज्ञान प्रदान करें... सनातनी शिष्य सुपरशंभू सीताराम 🙏🌹
संस्कृत कल भी वही थी, आज भी वही है और आगे भी यही रहेगी। कुछ चेंज नहीं होगा इससे पर ऋषि के लिए हार्दिक बधाई🎊
@saurabhmaurya19542 жыл бұрын
Bahut sahi bola bhai 👍sanshkrit kabhi apni mool chijon me badlaav n krti . Jo aaj bhi sbse sudh aur steek bhasha h 👌
@archanagandage15502 жыл бұрын
ये तो गुरुकुल शिक्षापद्धति में अष्टाध्यायी विश्लेषण में पढाया जाता है. कोई नयी बात नही है. गुरुकुल के स्नातको से इनका शास्त्रार्थ होना चाहिए.
@narayanpaudel90052 жыл бұрын
आप ने सही बात कहा ।इन्होंने संस्कृत व्याकरण का आनुपूर्वी अध्ययन नहीं किया है ।
@HasLene22 жыл бұрын
दीदी इससे पता चलता है कि इनके PhD guide kaise honge 😂😂
@pradeepverma21312 жыл бұрын
Jinko atta nahi unko kuch banake dekha do unko nay hi lagega..lets take some views of our sanskrti scholors
@gulshanram2 жыл бұрын
ऋषि जी आपने मेरे उस सपने को बहुत बल दिया है कि हिन्दुस्तान की सभी विद्याओं का पुनर्निर्माण हो सकता है जैसे आयुर्वेद, खगोल शास्त्र, वैदिक गणित,विज्ञान, अर्थ शास्त्र,साहित्य,राजनीति,धर्म और अध्यात्म जो बहुत वर्षो और बहुत कारणों से धरातल में चले गए है! आपको बहुत बहुत शुभ कामनाएँ और साधुवाद!
@ravindersanjay2 жыл бұрын
ये सवाल पूछा जाना चाहिए था। 1. Computer और artificial intelligence और मशीन learning में संस्कृत का कैसे उपयोग हो सकता है और काम करना कैसे बेहतर हो सकता है ? 2. ऋषि राज पोपट की खोज के बाद क्या संस्कृत की किताबों में बड़ा बदलाव आएगा क्योंकि अब तक हम कुछ गलत तरीके से पढ़ रहे थे? कृपया इन प्रश्नों का उत्तर भी ऋषि राज पोपट जी से पूछ कर उपलब्ध करवाएं।
@mohitgujjar75722 жыл бұрын
Bakwash reporter h ye or isne bhj sanskrit me or vidhvano ki trah kuch add krdiya isne puzzle nhi suljhayi isne kuch add kiya
@dhirendrapratapsingh59962 жыл бұрын
लल्लन टॉप मेलगभग सभी काम चलाऊ है,
@Sumitkumaar09992 жыл бұрын
isne us puzzle ko suljhaya hai koi panni ne likha tha jab do rules apas me virodhabas ho to kise sahi mane to panni ne kaha tha ki dusre ko mane lekin ye nahi pata chal paya ki kaise man le ki wo sahi hai isliye isne pata kar liya 2500 saal purani book ko
@indo-babadwivedi12992 жыл бұрын
जब कम्प्यूटर बना और उसने संस्कृत को ऐसे स्वीकार कर लिया जैसे कि कम्प्यूटर के लिये ही संस्कृत बनी हो
@anilkumarraj75892 жыл бұрын
मैं भी वर्तमान में संस्कृत शोधार्थी हूँ मैंने भी कक्षा ८ से संस्कृत का ही अध्ययन किया है परन्तु कक्षा ८ से परास्नातक तक संस्कृत शिक्षक के दर्शन तक नहीं हुए है, यह व्यवस्था है उत्तराखण्ड में संस्कृत के विषय पर |
@seemabhatt10768 ай бұрын
Maataji pushpadevi dixitji ko bharat desh ne bahut sare awords se sanmanit kiya hai unke online classes hai utube par. Ekbar jarur dekhna.
@deepakkhandelwal66792 жыл бұрын
पता नहीं क्यों लेकिन ऋषि की बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं, एक विनम्र धन्यवाद
@mayanktiwari49962 жыл бұрын
भाई साहब इन्होंने कोई नई बात नहीं की है। हा हल्ला मत करिए आप सब फालतू में। पहले खुद से पढ़िए। शास्त्र के आचार्यों के सामने ये पहले अपने तर्क सिद्ध करें।
@sanskritwithsatyamjha2 жыл бұрын
@@mayanktiwari4996 बिल्कुल
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@pratikjoshi46752 жыл бұрын
क्योंकि अपनी DNA का मूळ के बारेमे बात कर रहे है... हमारी आत्मा हमारा मूळ संस्कृत है...
@devs36512 жыл бұрын
Kitna dukh hota hai Hamari hi bhasha ke upar study aur research karne Bahar jaana pada.Hamari Sanskrit Jo one of the oldest language in the world and mother of all languages hai usko hi hum ne bhula diya.NASA Ke scientist ne khud ek paper submit kiya ki Sanskrit is the best language for AI (Artificial Intelligence) Hamare Desh ne sabh diya duniya ko Duniya is First university Nalanda. Jahan Alag Alag desh se students Aake padathe the,kitna unique concept uus time mein. Har field mein no.1 the,Wo chahe Architecture ho,Medicines,Surgery,metallurgy,Arms and Ammunition etc. First head transplant(Lord Ganesh) Aaj bhi puri duniya kosish kar rahi hai nahi ho paa raha success. First Artificial womb First Vimana Teleporting Etc etc. Salam hai Rishi ji aapko,aapne yeh Dharovar aage Badhane ka jimma liya. Hare krishna 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@Mukundmadhav1212 жыл бұрын
संस्कृत की वर्णमाला में प्रत्येक अक्षर के लिए अलग एवं स्पष्ट ध्वनि है।जिससे विनिर्मित शब्द और उन शब्दों से संनिर्मित वाक्य संदेह रहित भाव प्रकटीकरण में समर्थ होते हैं..।
@smitajoshi66402 жыл бұрын
Paninimuni is one o
@ReadAloudStoryTime22 жыл бұрын
I really feel this will be the future when all your computers and mobiles will work in Sanskrit this is huge in solving natural language processing, I am 💯 sure cause I am working in this field since last 15 years
@supdasaaf2 жыл бұрын
ऋषि तो सराहना के पात्र है ही, परंतु लल्लन टॉप को मेरा भाव पूर्ण नमस्कार, की ऐसे विषय को अपना कीमती समय दिया। धनयवाद 🙏
@akashmishra8142 жыл бұрын
रे पोपट! तू झूठा तेरी कैम्ब्रिज झूठी!! जिस ऋषि पोपट द्वारा ढाई हजार साल से उलझी संस्कृत व्याकरण की गुत्थी सुलझाने का दावा किया जा रहा है वह बिल्कुल फर्जी कहानी है, ऐसी कोई गुत्थी थी ही नहीं, यह न्यूज एक शरारत है जिसके माध्यम से एक फर्जी एजेंट को संस्कृत जगत में घुसाकर भविष्य में ग्रंथों की तोड़ मरोड़ की भूमिका तैयार की जा रही है। मैक्समूलर के समय की गई शरारत को फिर से दुहराने की कोशिश हो रही है। #पाणिनि_अष्टाध्यायी में कुल आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय 4 विभागों में बंटा हैं जिन्हें पाद कहते हैं। हरेक पाद में कुछ सूत्र है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं। अधिकांश सूत्र बहुत छोटे हैं। दो तीन अक्षरों से लेकर दो तीन शब्दों तक। जिस सूत्र की बात हो रही है वह इस प्रकार है- विप्रतिषेधे परं कार्यम्। (1.4.2) हरेक सूत्र के पीछे कुछ अंक लिखा रहता है। उक्त सूत्र के (1.4.2) का अर्थ है यह सूत्र प्रथम1 अध्याय के चतुर्थ 4 पाद का दूसरा 2 सूत्र है। सूत्र का अर्थ है- जब तुल्य बल वाले दो या अधिक सूत्रों(अर्थात नियम) को लागू करना हो तो पाणिनि के सूत्रक्रम में बाद वाला सूत्र अपना कार्य करेगा। मतलब सूत्र 4 और सूत्र 5 में विरोध है तो 5की बात माननी चाहिए। (यह नियम भी केवल सवा सात अध्यायों के लिए है, अंतिम तीन पादों के लिए नहीं।) उदाहरण के लिए राम शब्द की चतुर्थी विभक्ति द्विवचन का रूप है - रामाभ्यां शब्द इस प्रकार बनता है राम+भ्यां यहाँ कार्य करने वाला सूत्र है सुपि च (7.1.102), इस सूत्र ने बीच में आ जोड़ा तो रामाभ्यां बन गया। इसी प्रकार राम शब्द की चतुर्थी बहुवचन का रूप है रामेभ्यः राम+भ्यः यहाँ सूत्र है- बहुवचने झल्येत् (7.1.103) यदि यहाँ 102 वां सूत्र प्रभावी होता तो शब्द बनता रामाभ्य:। राम+आ+भ्यां। जबकि बाद वाला सूत्र, अर्थात 103 वां सूत्र प्रभावी है अतः उसने पहले वाले सूत्र के बल को समाप्त कर स्वयं कार्य किया। बीच में आ के स्थान पर ए जोड़ा तो शब्द बन गया रामेभ्यः। राम+ए+भ्यः। और सरलता से समझते हैं। मान लीजिए कोई दो शब्द हैं क और ख, इन्हें जोड़ना है। तो स्थिति बनेगी क+ख अब ये जोड़ कोई मनमर्जी से नहीं होगा, इसके लिए कोई न कोई सूत्र आदेश करेगा। अब स्थिति ऐसी बन रही है कि कोई 102 वां और 103वां सूत्र दोनों ही इसे प्रभावित कर रहे हैं, तो विप्रतिषेधे परं कार्यम् (1.4.2) सूत्र यह व्यवस्था देता है कि यहाँ बाद वाला, अर्थात 103 वां सूत्र ही लागू होगा, 102वां सूत्र सायलेंट हो जाएगा। क्यों? क्योंकि पाणिनि ने इसे अपने सूत्रक्रम में पहले रखा है। पोपट ने क्या किया? पोपट ने यह किया कि विप्रतिषेधे.... सूत्र में जो पर है, उसका मतलब सूत्र संख्या नहीं बल्कि क+ख में जो बाद वाला है, अर्थात ख, उस पर कार्य होगा। उसने इसके लिए लेफ्ट राइट का प्रयोग किया है। यह अत्यंत हास्यास्पद है क्योंकि यह बात यहाँ लागू ही नहीं होती। ऐसी व्यवस्था भी पाणिनि करके गये हैं और वहाँ "पर" की बजाय पूर्व-पश्चात शब्द का प्रयोग किया गया है। सन्धि प्रकरण में उसका उल्लेख है। समस्या कहाँ है? समस्या इन पश्चिम वालों के दिमाग में है। इन्हें जब कोई बात देर से समझ में आती है तो उन्हें लगता है कि ये कोई खोज हो गई है। जबकि पाणिनि से लेकर आज तक हरेक व्याकरण छात्र इसे अच्छी तरह से समझता है और यह बहुत सामान्य बात है। जैसा कि सभी न्यूज दावा करते हैं, संस्कृत के विद्वानों के लिए चुनौती थी.... ब्ला ब्ला ब्ला... वह सब बकवास है। न चुनौती थी न ही ये कोई गुत्थी थी। बल्कि यह गारंटी है कि एक भी पत्रकार या समाचार सम्पादक इस न्यूज की abc भी नहीं जानता। तो ऐसा क्यों किया गया है? कैम्ब्रिज और इस गिरोह की नीयत सदैव संदिग्ध रही है। भारतीय ग्रन्थों के मनमाने अर्थ, तथ्यों की तोड़ मरोड़ और संस्कृति को बिगाड़ने वाले षड्यंत्र करने में ये कुख्यात रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक बात तो स्वयं न्यूज में ही लिखी है कि पाणिनि के सूत्रों का विरोध वररुचि ने किया, जबकि यह बात बिल्कुल झूठ है। दूसरी, भविष्य में ऐसे तथाकथित विद्वानों की पुस्तकों को सन्दर्भ ग्रन्थ मानकर भविष्य में वेद इत्यादि की भ्रामक और झूठी व्याख्या करने के षड्यंत्र रचे जाकर विद्वानों में कलह उत्पन्न करवाई जाएगी। शक क्यों होता है? सबसे पहले यह न्यूज द प्रिंट में छपी। उसके बाद उसके जैसे ही एजेंडा न्यूज एजेंसियों ने छापी। फिर बीबीसी और उसके बाद विभिन्न पोर्टल पर इसकी झड़ी लग गई। लेकिन वही समाचार, हूबहू शब्दशः कॉपी पेस्ट घूम रहा है, न कोई कॉपीराइट इश्यू बना न ही लेखक का नाम, एक जैसा समाचार सभी अखबार छाप रहे हैं, जिस तरह से कार्य हो रहा है, निश्चित ही यह षड्यंत्र है।
@ArvindPatel-js6fm2 жыл бұрын
Sanskrit is Sanskriti Jai hind
@त्रिमुनि2 жыл бұрын
अगर ऋषि राज के अनुसार व्याकरण शब्दों की व्युत्पति करने लगेंगे तो अशुद्ध शब्दों की बाढ़ आजायेगी जो कि कदापि स्वीकार्य नहीं है।
@akashmishra8142 жыл бұрын
रे पोपट! तू झूठा तेरी कैम्ब्रिज झूठी!! जिस ऋषि पोपट द्वारा ढाई हजार साल से उलझी संस्कृत व्याकरण की गुत्थी सुलझाने का दावा किया जा रहा है वह बिल्कुल फर्जी कहानी है, ऐसी कोई गुत्थी थी ही नहीं, यह न्यूज एक शरारत है जिसके माध्यम से एक फर्जी एजेंट को संस्कृत जगत में घुसाकर भविष्य में ग्रंथों की तोड़ मरोड़ की भूमिका तैयार की जा रही है। मैक्समूलर के समय की गई शरारत को फिर से दुहराने की कोशिश हो रही है। #पाणिनि_अष्टाध्यायी में कुल आठ अध्याय हैं। प्रत्येक अध्याय 4 विभागों में बंटा हैं जिन्हें पाद कहते हैं। हरेक पाद में कुछ सूत्र है। सम्पूर्ण अष्टाध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं। अधिकांश सूत्र बहुत छोटे हैं। दो तीन अक्षरों से लेकर दो तीन शब्दों तक। जिस सूत्र की बात हो रही है वह इस प्रकार है- विप्रतिषेधे परं कार्यम्। (1.4.2) हरेक सूत्र के पीछे कुछ अंक लिखा रहता है। उक्त सूत्र के (1.4.2) का अर्थ है यह सूत्र प्रथम1 अध्याय के चतुर्थ 4 पाद का दूसरा 2 सूत्र है। सूत्र का अर्थ है- जब तुल्य बल वाले दो या अधिक सूत्रों(अर्थात नियम) को लागू करना हो तो पाणिनि के सूत्रक्रम में बाद वाला सूत्र अपना कार्य करेगा। मतलब सूत्र 4 और सूत्र 5 में विरोध है तो 5की बात माननी चाहिए। (यह नियम भी केवल सवा सात अध्यायों के लिए है, अंतिम तीन पादों के लिए नहीं।) उदाहरण के लिए राम शब्द की चतुर्थी विभक्ति द्विवचन का रूप है - रामाभ्यां शब्द इस प्रकार बनता है राम+भ्यां यहाँ कार्य करने वाला सूत्र है सुपि च (7.1.102), इस सूत्र ने बीच में आ जोड़ा तो रामाभ्यां बन गया। इसी प्रकार राम शब्द की चतुर्थी बहुवचन का रूप है रामेभ्यः राम+भ्यः यहाँ सूत्र है- बहुवचने झल्येत् (7.1.103) यदि यहाँ 102 वां सूत्र प्रभावी होता तो शब्द बनता रामाभ्य:। राम+आ+भ्यां। जबकि बाद वाला सूत्र, अर्थात 103 वां सूत्र प्रभावी है अतः उसने पहले वाले सूत्र के बल को समाप्त कर स्वयं कार्य किया। बीच में आ के स्थान पर ए जोड़ा तो शब्द बन गया रामेभ्यः। राम+ए+भ्यः। और सरलता से समझते हैं। मान लीजिए कोई दो शब्द हैं क और ख, इन्हें जोड़ना है। तो स्थिति बनेगी क+ख अब ये जोड़ कोई मनमर्जी से नहीं होगा, इसके लिए कोई न कोई सूत्र आदेश करेगा। अब स्थिति ऐसी बन रही है कि कोई 102 वां और 103वां सूत्र दोनों ही इसे प्रभावित कर रहे हैं, तो विप्रतिषेधे परं कार्यम् (1.4.2) सूत्र यह व्यवस्था देता है कि यहाँ बाद वाला, अर्थात 103 वां सूत्र ही लागू होगा, 102वां सूत्र सायलेंट हो जाएगा। क्यों? क्योंकि पाणिनि ने इसे अपने सूत्रक्रम में पहले रखा है। पोपट ने क्या किया? पोपट ने यह किया कि विप्रतिषेधे.... सूत्र में जो पर है, उसका मतलब सूत्र संख्या नहीं बल्कि क+ख में जो बाद वाला है, अर्थात ख, उस पर कार्य होगा। उसने इसके लिए लेफ्ट राइट का प्रयोग किया है। यह अत्यंत हास्यास्पद है क्योंकि यह बात यहाँ लागू ही नहीं होती। ऐसी व्यवस्था भी पाणिनि करके गये हैं और वहाँ "पर" की बजाय पूर्व-पश्चात शब्द का प्रयोग किया गया है। सन्धि प्रकरण में उसका उल्लेख है। समस्या कहाँ है? समस्या इन पश्चिम वालों के दिमाग में है। इन्हें जब कोई बात देर से समझ में आती है तो उन्हें लगता है कि ये कोई खोज हो गई है। जबकि पाणिनि से लेकर आज तक हरेक व्याकरण छात्र इसे अच्छी तरह से समझता है और यह बहुत सामान्य बात है। जैसा कि सभी न्यूज दावा करते हैं, संस्कृत के विद्वानों के लिए चुनौती थी.... ब्ला ब्ला ब्ला... वह सब बकवास है। न चुनौती थी न ही ये कोई गुत्थी थी। बल्कि यह गारंटी है कि एक भी पत्रकार या समाचार सम्पादक इस न्यूज की abc भी नहीं जानता। तो ऐसा क्यों किया गया है? कैम्ब्रिज और इस गिरोह की नीयत सदैव संदिग्ध रही है। भारतीय ग्रन्थों के मनमाने अर्थ, तथ्यों की तोड़ मरोड़ और संस्कृति को बिगाड़ने वाले षड्यंत्र करने में ये कुख्यात रहे हैं। इस बार भी ऐसा ही करने जा रहे हैं। एक बात तो स्वयं न्यूज में ही लिखी है कि पाणिनि के सूत्रों का विरोध वररुचि ने किया, जबकि यह बात बिल्कुल झूठ है। दूसरी, भविष्य में ऐसे तथाकथित विद्वानों की पुस्तकों को सन्दर्भ ग्रन्थ मानकर भविष्य में वेद इत्यादि की भ्रामक और झूठी व्याख्या करने के षड्यंत्र रचे जाकर विद्वानों में कलह उत्पन्न करवाई जाएगी। शक क्यों होता है? सबसे पहले यह न्यूज द प्रिंट में छपी। उसके बाद उसके जैसे ही एजेंडा न्यूज एजेंसियों ने छापी। फिर बीबीसी और उसके बाद विभिन्न पोर्टल पर इसकी झड़ी लग गई। लेकिन वही समाचार, हूबहू शब्दशः कॉपी पेस्ट घूम रहा है, न कोई कॉपीराइट इश्यू बना न ही लेखक का नाम, एक जैसा समाचार सभी अखबार छाप रहे हैं, जिस तरह से कार्य हो रहा है, निश्चित ही यह षड्यंत्र है।
@supdasaaf2 жыл бұрын
@@त्रिमुनि यः कहना मेरे लिऐ कथिन होगा, मै इस भाषा का निष्ठावान हू, परंतु दूर्भाग्यवश निष्णातं नही।
@anilpachouri83632 жыл бұрын
ऋषि की इस खोज को पूरा देश गर्व करता है। आचार्य पाणिनी मुनि की आत्मा जरूर प्रसन्न है ।
@mayanktiwari49962 жыл бұрын
भाई साहब इन्होंने कोई नई बात नहीं की है। हा हल्ला मत करिए आप सब फालतू में। पहले खुद से पढ़िए।ये अपने तर्क पहले विद्वानों के सामने सिद्ध करें।
@aanchalparihar40822 жыл бұрын
@@mayanktiwari4996 kzbin.info/www/bejne/eWGmcqSNe8iHfLs Tathyatmak khandan dekhiye is shodh karya ka
@incrediblejava2 жыл бұрын
Im currently developing a programming language and this is truly motivational for me
@TheGuruNetOn Жыл бұрын
What tools are you using. Lex and Bison? Or hand coding your own parser?
@drsunilkumaragarwal88292 жыл бұрын
I m sorry to mention that Dr Rajpopat is not having clarity. He was avoiding the questions of the anchor. He did not elaborate the term machine cleanly. Request the anchor to take a session only on Sanskrit machine for the benefit of masses.
@santoshtrisal21072 жыл бұрын
Congratulations 👏👏👏 I love Sanskrit...will learn it again as I have left it decades back...👍🌹❣️
@behadgyantheinfiniteknowledge2 жыл бұрын
बेहदको पनि बेहदको परमशांति छ
@jambudweep52 жыл бұрын
निरहंकारी बन इतनी स्पष्टता से अपनी मेहनत को अपने पूर्वजों को समर्पित करना यह मात्र संस्कृत ही कर सकती है,धन्यवाद ऋषि।
@tausifahmad44872 жыл бұрын
Lajawab, Rishi appne kamal kardiya hai. Aapko bahut bahut mubarak. Sonal ko shukriya aapne achhe se interview conduct kiya.
@veer28062 жыл бұрын
It took 2500 years to solve a indian puzzle . Proud to be Indian.
@_Game_Of_Geopolitocs2 жыл бұрын
Why can't Indian use the sanskrit language as the programming language ......So It can create a new buisness model also .....We need to think now out of the box .....to revive this language 🙏🙏🙏
@brahm-ahamasmi2 жыл бұрын
Please go ahead! If you are Indian, and since this is your idea, you should put some effort towards doing this. Btw bad idea. Sanskrit is not a good language, it is a painful language. And no human language is a good programming language, that is why there are programming languages. And the NASA-Sanskrit story you heard, is fake news.
@bhadwamodi82942 жыл бұрын
Sir can you write a IF THEN loop in Sanskrit as an example?
@_Game_Of_Geopolitocs2 жыл бұрын
@@bhadwamodi8294 you need a structured algorithm to create any programing language ......It dosent care It is English or any other language
@_Game_Of_Geopolitocs2 жыл бұрын
@@bhadwamodi8294 we give input and got an fixed Output .....That's how any Program works ...... And Panini created this algorithm in very beautiful manner .....Go read about it
@bhadwamodi82942 жыл бұрын
@@_Game_Of_Geopolitocs Sorry you don't get the expected output every time sometime you also get error. Please go and learn the ABCD of programming.
@mangeshpatil2342 жыл бұрын
Thanks
@rohitbhambhu14502 жыл бұрын
भाई सच मे विद्वान हो आप आपके आचरण से पता लग रहा है
@shivbisht75982 жыл бұрын
👍100%सही। संस्कृत दिमाग का विकास करने में सहायक है।
@gkplus28772 жыл бұрын
सिंह बनो सिंहासन की चिंता मत करो आप जहां बैठोगे सिंहासन वही बन जाएगा 🌿🦋🏵🌿🦋🏵🌿
@drpareshksingh2 жыл бұрын
Way of explanation is awesome. Hats off to young chap. Again Indian universities failed to do an useful research. It is shocking that a world class research on Sanskrit is going on in Cambridge university. Really shocking.
@DimDim-qm2yt2 жыл бұрын
Yes but scholarship is Rajiv Gandhi scholarship to study abroad. Hence something is correct but something is not 😀
@sajeevkumar5661 Жыл бұрын
Your Foolishness has no limt😂😂
@upscaspirantdelhi95612 жыл бұрын
Thanks aise topics ko dikhane ke leye........... Baki news channels ko b aise logo ko dikhana chahiye tabhi or students inspired hongee
@praveenkathait2 жыл бұрын
He seems so pure, honest and optimistic.. Wish him all the best..
@peeyushsingh45332 жыл бұрын
हमारी संस्कृत से विदेशी विद्यालय ऐसे संस्कृति पूरक क्रांति ला रहे हैं भारतीय छात्रों की चेतना के द्वारा और हम भारत का विपक्ष अत्यंत दकियानूसी है
@brahm-ahamasmi2 жыл бұрын
काम तो पक्ष को करना है | कब तक विपक्ष का रोना रोते रहोगे | पावर मिल गयी है संघियों को, मगर responsibility विपक्ष की है !
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
आदरणीय! मैं संस्कृत का छात्र हूं, हम लोग जानते हैं कि इन्होंने कितना हास्यास्पद कार्य किया है💯🙇♂️
@brahm-ahamasmi2 жыл бұрын
@@Anmolupadhyay1sv3qy8u अनमोल जी , अगर काम हास्यास्पद है तो बहुत आसानी से prove हो जाना चाहिए | कोई लेख, कोई document पॉइंट कर सकते हैं जहाँ ऐसा लिखा हुआ है जो ऋषि के काम को बकवास prove कर दे | नहीं तो आप सिर्फ एक यूट्यूब commenter हैं और ऋषि के पास Cambridge का stamp है |
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
@@brahm-ahamasmi कैंब्रिज यूनिवर्सिटी अन्य विषयों के लिए अच्छी हो सकती है परंतु संस्कृत के विषयों के लिए उसको अधिकार नहीं है, क्योंकि वहां पर उतने योग्य विद्वान नहीं हैं भारत की अपेक्षा💯🙇♂️🙇♂️
@brahm-ahamasmi2 жыл бұрын
@@Anmolupadhyay1sv3qy8u Again, instead of whataboutery, please provide evidence
@EasyRitwik2 жыл бұрын
जो सँस्कृत पढ़ना शुरू करते हैं उन्हें सँस्कृत से प्यार हो जाता है! मैं भी उन सबों में एक हूँ।
@shashibhushansingh66472 жыл бұрын
Wonderful achievement, congratulations Rishi
@KK-Opinion2 жыл бұрын
भारत के पास ज्ञान का इतना विशद भंडार हैं कि पूरा विश्व उससे लाभ ले सकता है। विदेशी आक्रमणों से कहीं न कहीं इस ज्ञान के द्वारों को भी खंडित करने का प्रयास किया. फ़ारसी, अंग्रेजी भाषा को शासन की भाषा बनाकर, भारतीय लोगों को अपने ज्ञान से वँचित रक्खा हैं। ऋषि जी के प्रयास निश्चित ही युवाओं को प्रेरित करेंगे।
*I'm really glad to see that this man is really spiritual 😌🙌🏻💜..... Best of luck for you future RISHI sir😌👍🏻*
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@atulsinha92592 жыл бұрын
What is there to be glad about in this?
@pranshuchaturvedi11702 жыл бұрын
It’s divine energy supported him and his name “Rishi” is destined
@jessjessa15372 жыл бұрын
Jai Hind Bande Mataram proud to be Indian 🇮🇳
@rekhaahluwalia24392 жыл бұрын
Brilliant Interview . Curiosity is the driving force . What an approach towards life . The real way to live life . Mazaaaaa aaagaya
@LineToPicture2 жыл бұрын
Rishi ko bahut bahut sadhuwaad , mujhe bhi Sanskrit padne ki bahut ruchi thi jiska shreya mai hamare pados ki ek aunty (M.A sanskrit) ko deti hoon jinhone mujhe aur mere bhai ko free mai Sanskrit padhai, durbhagyavash wo ek saal baad wahaan se chali gaeenpar man mai bhasha ka beej bo gayin, school mai mere Sanskrit mai hi class mai sabse acche no.ate the , isliye maine 12th tak Sanskrit padhi parantu durbhagyavash ise aage na pad paayi kyuki koi college aas paas nahi tha jahan se aage pad paati , mujhe aaj bhi bahut se roop aur shlok yaad hain , padhte samay bhi jinko maine padhaya wo bhi acche no.laate the , mere ek uncle jo blind the (M.A.Sanskrit) , mere ghar aaye tab mai 12th mai thi aur jab unhe pata laga ki mai bhi Sanskrit pad rahi hoon , to unhone mujhse poocha ki hum kon si pustaken pad rahe hain , mere batane ki der thi ki unhone mere padhyakram ke shlok dhara prawah bolna shuru kar diya ,aur mai ascharya se unko dekhti rah gayi , mai bhi isme M.A karna chahti thi, mujhe 12th mai vyakaran ke niyam padna bahut aacha lagta tha , aapki khoj nayi peedhi ko nayi disha aur dhistri degi , Sanskrit jesi mahaan bhasha jan jan ki bhasha ban jaye esi kamna hai , accha laga ki koi yuva apni sanskriti ki dharorar ko sahej raha hai Ishswar aapko lambi aur swasth aayu de , aur aap kuch esa karo ki bacchon mai ruchi badhe, kya aap ispar saral bhasha mai jan saadharan ke liye pustak likhenge? Kirpya bataayen?👏👏👏👏👏👍👍👍👍🙏🙏🙏🙏🙏
@TRS-y8u2 жыл бұрын
SNSKRIT IS A LANGUAGE FOR THE PEOPLE WHO SEEK KNOWLEDGE AND PEACE AND LOVE AND KINDNESS.
@krishnachavhan38082 жыл бұрын
This is showing environment which encourages research scholar in west It is reality... Indian government needs to encourage for research scholar our own talent which recognises by them great to listen rushi..... Now you are inspiration for many researchers ... thanks 🙏
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@neharajput64492 жыл бұрын
Yes...Indian government budget of research and development is very very low
@totallypointlessvideos38322 жыл бұрын
Such a humble man. Greatly appreciated.
@masteruser972 жыл бұрын
I request him to start a channel for teaching "Sanskrit"... Definitely gonna many people will learn it..
@rjshuklasales75932 жыл бұрын
वाह बहुत बहुत सराहना आपकी, धन्यवाद
@Headbush2 жыл бұрын
So far the Nagarjunakonda inscription of Ikshavaku king Ehavala Chantamula issued in his 11th regnal year corresponding to the 4th century A.D. was considered the earliest Sanskrit inscription in India,
@lopu80002 жыл бұрын
Mittani inscription from Syria is oldest
@user-vj9xd5yf1z2 жыл бұрын
श्री शिवाय नमस्तूभयं
@shilpisoni40932 жыл бұрын
Govt. should incentivise the translation of our old scriptures which are in Sanskrit language. Where many believe that its a plethora of knowledge and yet to decoded.
@Arianne30112 жыл бұрын
The sheer irony of the fact; Maharshi Pānini was born in and lived for most part of his life in Pushkalavati (पुष्कलावती) or Pushkaravati (पुष्करावती) which later came to be known as Shaikhan Dheri - it was the capital of the Gāndhāra Mhājanpad, situated in what is now Pakistan. Its ruins are located on the outskirts of the modern city of Charsadda, in Charsadda District, in the Khyber Pakhtunkhwa, 28 kilometres northeast of Peshawar.
@ashish2822 жыл бұрын
Thanks for the comment, I come to know about Pushkalavati
@abc199210002 жыл бұрын
It’s phenomenal. We must be proud of Rishi and learn to support these kind of talents.
@architakaushal27282 жыл бұрын
I like mathematics and Sanskrit most👍
@ajitagale56492 жыл бұрын
We all know how Sanskrit was taught at our school..and how we study it only for scoring purpose. I hope it will change now.
@VikasYadav-ru9zz2 жыл бұрын
Great work ,keep it up LALLANTOP, ees interview ke liye ,aur Rishi ne hame sanskrit padane ki etsukta di hai
@Hindi-KoreanMix2 жыл бұрын
Sanskrit a great language and it's also can be used as machine language (used for computer coding) . Salute to our culture and language. ❤️❤️
@mtfajalia2 жыл бұрын
Pls take interview of Mrs. Dixit Pushpa. She is in Bilaspur Chattisgarh. She is doing excellent exceptionally extraordinary work in Sanskrut.
@aanchalparihar40822 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/eWGmcqSNe8iHfLs Dr. Pushpa mahodaya ne is shodh karya ke tathyon ka khandan kiya hai.
@surindersingh-lk8gm2 жыл бұрын
प्रशंसनीय कार्य किया है।आभार और आशीष।संस्कृत की बात हो रही है लेकिन लगभग सारी टिप्पणियां अंग्रेजी में दर्शकों नें की हैं।हिंदी भाषा में आंग्ल शब्दों का प्रभाव तीव्रता से बढ रहा है।संस्कृत तो दूर की बात है हिंदी के लेखन और उच्चारण में गिरावट तेजी से हो रही है।
@atheist_ghost2 жыл бұрын
अत्यधिक दुखद है यह श्रीमान 😭😭😭
@surindersingh-lk8gm2 жыл бұрын
@@atheist_ghost जी।
@architakaushal27282 жыл бұрын
Ha
@nikhilshimpi122 жыл бұрын
Wonderful job Dr Rishi Rajpopat. I salute to your curiosity, tenacity and humbleness. You are such an inspiration. Please consider starting a youtube channel to share your knowledge or sharing your cambridge / oxford lectures
@lostaspirant6392 жыл бұрын
yes! very correct. Rishi bhai agar ap ye padh rahe ho to. itna to banado videos wagera ki logical connection banjae sanskrit se.
@chanchalsingh46352 жыл бұрын
😂😂😂areeeee bhaiyon isne kuchh nhi kiya hai .... Gurukul se padhe huwe logon se puchhiye wo btaenge ki ye sab chhlawa hai
@pcpahari2 жыл бұрын
kzbin.info/www/bejne/l5TOXn9_g7WmnLc
@ashwanikumarpasi51522 жыл бұрын
@@chanchalsingh4635 koi sense hai tumhare comment ka?
@ommohanty61602 жыл бұрын
Han bhai thik kaha... Logo v toh pata chale aisa kya decode kiya hai ki sirf cambridge main hi ho sakta tha. Yahan ke sab sanskrit university se bahut hi badi chuk hui hogi
@sumanabhattacharya26572 жыл бұрын
Listening to him, it will be a good idea if our institutions also allow research specific masters
@gajanandsharma62472 жыл бұрын
खीचड़ी संस्कृति ( वर्णशंकर प्रजाति) वाले पाणीनी के शूत्रो का रहस्य बताऐंगे😁
@swatiyajnik40932 жыл бұрын
BHU is a good University to study Sanskrut language. There is a village in India where Everybody Speaks Sanskrut as a Mother tongue .
@sanatani_by_heart94882 жыл бұрын
That's Maddur Village in Dakshin Kannada District, Karnataka!
@Almishra-oh1pz2 жыл бұрын
@@sanatani_by_heart9488 jiri gram in madhya Pradesh
@varunempi2 жыл бұрын
@@sanatani_by_heart9488but that village is of Brahmins who doesn’t like to share this legacy with people of other caste.
@kasturinaik73782 жыл бұрын
Sanskrit is based on not Only in Grammar but it's Rhythm of Heart ,Mind n Life,🌹 Congratulation, Kasturi Aunty,I opetd Sanskrit in my Matriculation. It's Just like Panini's Jala 🌹🥰🙏
@pratikjoshi46752 жыл бұрын
नियम क्लेश का समाधान मूळ संशोधन है आपका... मानो खुद पाणिनी ऋषी खुद आए हों खुद की गुत्थी सुलझाने ... जय हो 🙇🙇🙇🙇
@bhagwansinghsamar81382 жыл бұрын
Wow! Excellent work done by Rishi, it must change the whole theory of Sanskrit tough image to read. Thanks to presenters & idea to give interview on U tube.
@bhagwansinghsamar81382 жыл бұрын
Thanks to LALLANTOP for this presentation. We are oblige for this work done by LALLANTOP TEAM.
@deependrayadav84362 жыл бұрын
Congratulations brother 👏 🙌 🙏
@rajantiwari35002 жыл бұрын
तो आप ही हो पोपटराज? आपको ही मैं ढूंढ़ रहा था। आप तो बड़े प्रचंड विद्वान हैं। जय हो।
@G00DHearted2 жыл бұрын
*I'm Muslims☪️ but Respect 🛐Vedas and Sanskrit 👌🙏🙂*
@Rajasahani9812 жыл бұрын
Muslim ho to kya hua?? Sanskrit bhasa Bharatiya bhasa h sabhi ki bhasa h.. Lekin Tumlog Sanskrit ko Mazahab k chashme se dekhte ho.. Aisa krna band karo...
@Shiva140822 жыл бұрын
Dhanywad , position news ke liye .🙏🙏🙏
@teklalpatel8882 жыл бұрын
गुरु जी से निवेदन है कि वे अपने अनुभव से संस्कृत भाषा सीखने का अच्छा माध्यम या कुछ व्याकरण बताऐ
@thealok852 жыл бұрын
Badhai Ho Brother... We are proud of you. So sad that No Media is running this Historical achievement that glorifies our ancient language SANSKRIT...
@sumitagarwal55392 жыл бұрын
i tried to learn sanskrit (in vain) 8-10 yrs back. my purpose was to read and understand our ancient scriptures like Bhagvad Gita, Veda etc. I went to my school teacher (retired) and he was surprised and kept asking me the purpose of my interest since i am also a CA. After attending few classes, i didnt liked the way, i was progressing and hence didnt continue further. although i do read BG and other scriptures in sanskrit but i use the books translated by great acharyas to understand it.
@surendrakaranwal16332 жыл бұрын
जो संस्कृत पढ़ाते है उन्ही को संस्कृत नही आती तो क्या संस्कृत सिखायेंगे.
@dr.prajna48992 жыл бұрын
Contact me
@theknowledgehub24182 жыл бұрын
Keep it up brother you are doing very good work.. Mahadev ashirvad de aapko
@Bhootnath-vf5wx2 жыл бұрын
यह सुनिश्चित अद्भुत है हमारे वैज्ञानिक पुराणो को समझने के प्रचूर मात्रा में सहयोगी सिद्ध होगी दण्वत ऋषि जी महाराज को आश्चर्यजनक उपलब्धि है
@Study_with_me_12902 жыл бұрын
I will follow the words of prabhu [i.e.sanskrit language ] give me power bhagwan ji
@darsheshpatel27172 жыл бұрын
Wonderful Rishi maharaj aapki safalta aur research ke lie bahu bahut badhai. Gujarati hone se बहुत ગર્વ मेहसूस करते he ham. Aap nitant સુંદર और एकदम सरल he
@sharnbains73022 жыл бұрын
There are no bad students there are only bad teachers. - Karate Kid
@narainsinha2 жыл бұрын
There are no bad teachers but a student should follow Aklavya
@sharnbains73022 жыл бұрын
@@narainsinha okay sir, have a nice day...🤷♂️
@vegetal84602 жыл бұрын
@@sharnbains7302 every one has different opinion🙏
@swamisamartha33322 жыл бұрын
@@narainsinha 😁😀😭 teacher ki band hi bajadi aapne... Itna apaman to nahi kiya tha unhone.
@swamisamartha33322 жыл бұрын
@@narainsinha your comment is ending career of word teacher. Eklavya is the example of a best student who had worst butcher as teacher.
@shriphani Жыл бұрын
Few can claim to have solved a 2000+ year old linguistic mystery. He is so humble. What an exceptional role model for us all.
@DigvijaySingh-yn7el2 жыл бұрын
We proud of you.
@swarsangeetaashram67032 жыл бұрын
Rishi Rajpopat ji ko bahut bahut badhaayi, yeh jo unhone Sanskrit ke kshetra me kaam kiyaa hai Itihaas me swarnim aksharo me likhaa jaayega.
@Ch.Hemachander-032 жыл бұрын
Mujhe apna 11th,12th aur Graduation ke pehle 3 semesters yaad hai. Mujhe Sanskrit kam samajh aati thi, Par ratte baazi acche se karke isme maine 99% score kiya😂 Abhi bhi mai kuch Sanskrit ke shabdh samajh pata hoon. Wo din acche the😅
India is a great country but unfortunately we couldn't explore it's multi varieties of ancient history. We will be thankful to our young generation if they can give boost to it.
@alongkornmanisukhkan73622 жыл бұрын
Good effort for Our historic language..best wishes and blessings.
@Yoyopajifanclub2 жыл бұрын
I appeal to government help him to improve our Sanskrit
@prabhakarpandey54282 жыл бұрын
Well done sir ! i am proud of you for this invention .
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
कोई संस्कृत व्याकरणशास्त्र का अनभिज्ञ ही इनके हास्यास्पद शोध की प्रशंसा करेंगे 💯💯💯🤣🤣🙇♂️
@yp1q2 жыл бұрын
जब खुद में दम ना किसी बात को समझने का तो व्यक्ती को मुह बंद रखना चाहिए
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
@@yp1q आदरणीय! आप क्या अध्ययन करते हैं 🤔🤔🤔
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
@@yp1q आदरणीय! मैं स्वयं संस्कृत व्याकरणशास्त्र का छात्र हूं , इन्होनें महर्षि कात्यायन एवं महर्षि पतञ्जलि पर अमर्यादित टिप्पणी की है, भारतीय हैं इसलिए लज्जाजनक है।
@Anmolupadhyay1sv3qy8u2 жыл бұрын
@@yp1q यदि आप संस्कृत व्याकरणशास्त्र के छात्र न हों तो अन्यथा मध्य विवाद में न पडें 💯🙇♂️
@yp1q2 жыл бұрын
@@Anmolupadhyay1sv3qy8u माना की पतंजलि पर उन्होंने कुछ अनावशक टिप्पणी की है, मगर कम से कम वो संस्कृत भाषा पर रिसर्च तो कर रहे है।