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सत्संग के मुख्य अंश: उज्जैन 2004.
🔹 इतना दौड़ धूप करते हो इससे अगर आधा समय बी इस साधना में लगा दो रोज केवल 2घंटे बेड़ा पार हो जाये ।
🔹 मधुमय ॐ कार ध्यान ।
सारी दुनियाँ का वैभव कुर्बान करदुं ऐसे भगवत सुख के आगे अब कुछ करना ही नही रहा खाली बैठे रहो बस ।
🔹 अब कुछ न करो अगर कुछ करना ही है तो स्वांस आ रहा है उसको देखो बाहर जाए तो गिनती करो ।
🔹 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।
🔹 हरिओम हरिओम हरिओम ध्यान संकीर्तन ।
🔹 योगवशिष्ठ सत्संग .. मनोराज तो नहीं हो रहा है , तंद्रा , नींद अथवा रसा स्वाद तो नहीं आ रहा है ?
🔹 आलस्य का नाम वेदांत नहीं है ।
🔹 ध्यान की बहुत बड़ी भारी महिमा है ।
🔹 मेरेको अब बोलने की रुचि नहीं होती ये तो आप लोग आते तो मेरेको जबरन नीचे आना पड़ता है बोलना पड़ता है ।
🔹 अंतर्यामी आत्म सुख में आये बिना उसका कहीं बी छोर नहीं है....
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हो जाने दो ध्यान - चड़ जाने दो मस्ती -ॐ आनंदम ॐ आनंदम ।
• हो जाने दो ध्यान - चड़...