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🔹 क्यूँ ध्याएँ अब किसी ओर को हम, गुरुवर कृपा से मिटते गम ।
🔹 बन बन के सहारे टूटते है ये रस्म पुरानी है जग की ।
🔹 नजरों को दोखा देते है झूठे नजारे दुनियाँ के।
🔹 कोई नहीं दुनियाँ में गुरु सम महा दानी ।
🔹 तुमको न भूलें सदगुरुदेवा ।
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🔹 कोई चाहे कितनी भी तपस्या कर ले परंतु ब्रम्हज्ञानी महापुरुष के सत्संग की बराबरी नहीं कर सकता,सत्संग जैसा कल्याणकारी साधन के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं
अतः अधिक से अधिक सत्संग का नियमित लाभ लेना चाहिए ।
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