बदलते समाज के अमूल्य सम्बंध जिसका कोई मूल्य नही है किसी कथन है कि गर्व धारण कर उससे बड़े दुलार से पाला। क्योंकि तमन्ना यही थी तेरी सांसों अपनी सांसों को चलती देखूं l तेरी चाल में अपनी चाल को देखूं।। जब एहसास हो दर्द का तेरे हाथों से मलम देखूं।। जहां भी मलम लगाए सुखद एहसास का आराम देखूं।। सपना यही है मुंडे से जहां भी हो पल क्षण में तनिक करीब अपने देखूं।।.....