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सांसद सुखदेव भगत ने लोकसभा में उठाई सरना धर्म कोड देने की मांग
लोहरदगा से कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने मानसून सत्र के पहले दिन मंगलवार को लोकसभा में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जब जंगल में शेर और बाघों की गणना हो सकती है, तो आदिवासियों की धार्मिक पहचान क्यों नहीं। उन्होंने मांग की कि जनगणना कॉलम में अलग से सरना धर्म कोड अंकित किया जाए। आदिवासी प्रकृति के पुजारी हैं। इनकी आस्था, परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए सरना कोड जनगणना में शामिल हो।
संथाल समेत कई आदिवासी समाज सरना के लिए अलग धार्मिक कोड की मांग कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह हिंदू , ईसाई, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, जैन धर्म से अलग है। हालांकि संथाल अपने पवित्र उपवनों को जाहेर और गांव के पुजारी को नायके कहते हैं।
Sarna Dharam Code: सरना धर्म को मानने वाले जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं। आसान शब्दों में कहें तो यह प्रकृति प्रेमी होते हैं। झारखंड में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग सरना धर्म का पालन करते हैं और यह लोग प्रकृति की पूजा करते हैं। लंबे समय से आदिवासी समुदाय के लोग सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं।
जनगणना प्रपत्र:जानिए, सन 1871 से 1951 तक के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए था अलग धर्म कॉलम, लेकिन 1961 के जनगणना प्रपत्र से कैसे हटा दिया गया सन 1871 से लेकर 1951 तक के जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड था। 1961 के जनगणना प्रपत्र से साजिश के इसे तहत हटाकर अन्य धर्म की कोटि में डाल दिया गया।