सुख और दुख क्या है।सुख के पीछे आदमी क्यों भागता है।दुख से क्यों घबराता है?
@ashushinghalАй бұрын
@@RamGopal-k2v १) सुख और दुख क्या है? जो मैं चाहता हूं, जो मुझे पसंद है, यदि वैसा ही होता रहे, तो उसको हम सुख समझते हैं। जो मैं चाहता हूं, या जो मुझे पसंद है, यदि वह ना हो, तो उसे हम दुख समझते हैं। जो अभी है, और जो होना चाहिए, इन दोनों के बीच में अंतराल, इन दोनों के बीच में घर्षण दुख है। जब तक मैं हूं, और जब तक मेरे अंदर इच्छाएं, पसंद, नापसंद बनी हुई हैं, तब तक सुख दुख में गति निरंतर होती रहेगी। वास्तव में दुख एक ही है, और वह है अपने स्वरूप को नहीं जानना, सत्य की प्यास का अभाव, या जो है उसकी अस्वीकृति। यानी दुख तब पैदा होता है, जब हम चुन करके स्वीकार करते हैं, और कुछ अस्वीकार कर देते हैं। असल सुख भी एक ही है, सत्य की प्यास का जग जाना, या जो है उसका चुनाव रहित स्वीकार। २) सुख के पीछे आदमी क्यों भागता है, दुख से क्यों घबराता है? जब तक अपने आपको नहीं पहचाना कि वह कौन सा केंद्र है जहां से मैं पैदा होता है, जिस धरातल पर मैं बनता हूं, या वह क्या आधार है जिस पर इच्छाएं पैदा होती हैं, और मिटती हैं। पसंद नापसंद कहां बनती हैं, इच्छाओं का आधार क्या है, और इच्छाओं की तृप्ति कहां पर होती है। जब तक इस अन्वेषण में नहीं उतरे, तब तक सुख के पीछे भागते रहेंगे, और दुख से दूर जाने का प्रयास जारी रहेगा। जो है जैसा है, वहीं चुनाव रहित होश को अवसर दे देना, सुख और दुख के चक्र से सहज ही मुक्ति है। फिर यह भी होना संभव है कि बाहर दुख की स्थिति है पर अंदर दुख प्रकट नहीं है, या बाहर सुख की स्थिति है और अंदर उससे कोई लगाव नहीं है। 🙏🙏