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बंगाल की ‘शेरनी’ ममता बैनर्जी कल तक दहाड़ती थी, आज वे हड़ताली डॉक्टरों के धरना-पंडाल में जाकर मिमिया रही हैं। वक्त ऐसी पलटी खाता है कि तानाशाह के अंदाज में राज चलाने वाले लोकतंत्र के निर्वाचित नेता मिट्टी में मिला दिए जाते हैं। ममता को देखकर भारतीय लोकतंत्र के सभी नेताओं और अफसरों को यह सबक लेना चाहिए कि जब उनकी ताकत का दौर रहता है, तो उन्हें ताज तले अपना दिमाग काबू में रखना चाहिए, वरना लोगों के कर्म लौटकर उनका हिसाब करते हैं। ममता की बददिमागी मिट्टी में मिल गई है, और उनकी दहाड़ आज माफी में तब्दील हो गई है।
‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार का यह वीडिटोरियल देखें।
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