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सपनों के पीछे कौन सा विज्ञान काम करता है
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सपने क्यों और कैसे आते है.
दरअसल कुदरत एक ऐसी पहेली है जिसे न तो कभी मानव सुलझा पाया है और न ही शायद कभी सुलझा भी पायेगा, हम अर्थात मनुष्य भी कुदरत का ही के हिस्सा है और जब हम अपने अन्दर के रहस्य ही नहीं सुलझा पा रहे और प्रकृति तो अनंत है और मानवी सोच और कल्पना से परे भी है, तो फिर हम कुदरत की बनायीं चीज़ों के रहस्य को कैसे सुलझा पायेंगे.
जिस प्रकार मनुष्य के शरीर की कार्यप्रणाली अद्भुत है उसी प्रकार मनुष्य का दिमाग भी अद्भुत है, मनुष्य के मस्तिष्क को समझना मनुष्य के बस की बात नहीं है क्योकि इसकी प्रक्रिया बहुत ही जटिल है आज विज्ञान इतना विकसित होने बाद भी इसके बारे में सटीक उत्तर नहीं दिया जा सका है,
सपने! सपने हमेशा से हमारे लिए एक शोध और चर्चा का विषय रहे हैं और सपनो को लेकर अनेक भ्रांतियां भी हमारे मानव समाज में फैली हुई है जैसे सुबह के सपने सच होते, सपने में ये खाना शुभ होता है, ये खाना अशुभ होता है, ये देखन शुभ होता है, वो देखना अशुभ होता है, आदि आदि... पर किसी ने सपनो के अन्दर छुपे विज्ञान को समझने की कोशिश नहीं की है, सपने हमारे जीवन, हमारी दिनचर्या, हमारी विचारधारा और हमारे दैनिक क्रियाकलापों के अनुसार ही आते हैं, सपने हमारे दिमाग की विशालता को दर्शाते है अर्थात जो हम जागते हुए नहीं देख सकते वो हम सपनों में देख लेते है तो चलिए आज हम इस सपने के विज्ञान को विस्तार से समझने का प्रयास करते है
सपनो को समझने से पहले हमें अपने मस्तिष्क को समझना पड़ेगा, मस्तिष्क की कार्यक्षमता, दक्षता और गहराई को समझना पड़ेगा, मनुष्य पुरे जीवन में अपने दिमाग का कुछ अंश ही उपयोग में ला पाता है, यदि मनुष्य अपने दिमाग का १०० प्रतिशत हिस्सा उपयोग में ला पाए तो अनंत अन्तरिक्ष के सारे रहस्यों को भी सुलझा सकता है, हमारे दिमाग की मेमोरी पॉवर यानि स्मरण शक्ति लगभग २५ लाख GB यानि गीगा बाइट है जो आजीवन नष्ट नहीं होती और न ही इसे सहेजने के लिए अलग से कोई उपाय करना पड़ता है. दरअसल सपने हमारे अवचेतन दिमाग की उपज है दिमाग को दो भागो में बांटा गया है १ चेतन २ अवचेतन.
शरीर की ९० प्रतिशत क्रियाये अवचेतन दिमाग के कंट्रोल में होती है और १० प्रतिशत कार्य ही हम चेतन दिमाग से करते है. अवचेतन दिमाग चेतन दिमाग से ज्यादा कल्पनाशील और क्रिएटिव होता है. चेतन दिमाग अवचेतन दिमाग को जो भी सिग्नल या सन्देश देता है अवचेतन मन उसको बिना किसी सवाल के मान लेता है, फिर चाहे वो सन्देश सही होया फिर गलत, हम कभी कभी देखते होंगे की एक झूठ भी सच लगने लगता है और सच झूठ, क्योकि सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता सिर्फ चेतन दिमाग में ही होती है, सरल शब्दों में कहें तो अवचेतन मन का काम चेतन मन की बात मानना है और शरीर की सभी अनेक्षिक क्रियाओं पर नियंत्रण रखना है,
सोते वक्त हमारा चेतन दिमाग तो सोता पर अवचेतन दिमाग उस समय भी एक्टिव रहता है सपने अधिकतर उस वक्त अधिक आते हैं जब हम गहरी नींद में नहीं होते है उसवक्त चेतन और अवचेतन दिमाग दोनों कम कर रहे होते है और अवचेतन दिमाग को जो भी सिग्नल चेतन दिमाग को देना होता है वो सपनो के माध्यम से देता है, उदहारण जैसे आपको सोते सोते प्यास लगी तो आप सपने में पानी खोजते रहते है या भूख लगी है तो खाने के सपने दिखाई देने लगते है अर्थात हमारा अवचेतन दिमाग चेतन दिमाग को बताने की कोशिश करता है वो उस इच्छा को पूरी करे, इसी प्रकार की अनेक इच्छाए होती हैं जो हम चेतन दिमाग का उपयोग करके दबा देते है और ये दबी हुई इच्छाएं अवचेतन मन में कहीं न कहीं मौजूद रहती हैं और सोते समय हमारा अवचेतन मन उन्हें और विस्तार करके सपनों के माध्यम से हमें दिखाता है, सपने हमारी क्षमता, कमजोरी, डर, स्वभाव, समझदारी, कल्पनाशक्ति, शारीरिक क्षमताओं और रचनात्मकता आधारित होते है, हमारा अवचेतन मन उपजाऊ मिट्टी के समान है जैसे यदि हम किसी उपजाऊ ज़मीन में कोई भी बीज डाल देते है तो वो धीरे धीरे विशाल वृक्ष बन जाता है उसी प्रकार हमारा अवचेतन दिमाग है इसमें हम जो भी विचार आप डाल देंगे हमारा दिमाग उसको विकसित करता रहता और उसे बहुत बड़े रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर देता है, सपने बिलकुल एक हकीकत जैसे ही लगते है क्योकि हमारे दोनों दिमाग इसमें यूज़ होते है इसलिए हमारा शरीर भी हमारे सपनो को एहसास करता है, पर एक बात कभी सत्य है कि सपने में कभी सपना देखने वाले की मौत नहीं होती है हमें चोट लगती है डर लगता है पर मौत नहीं होती क्योकि सपने में हीरो हम स्वयं होते हैं यदि हामी मर जायेंगे तो अपना कौन देखेगा और कभी कभी तो जब सपना बहुत भयानक हो जाता है जिससे हमारे लिए खतरा हो सकता है तो ऐसे में हमारा अवचेतन मन हमें जगा देता है,
दरअसल सपने हमारे मन का प्रतिबिम्ब हैं और हमारे विचारों को और विकसित करने में सपनो का बहुत बड़ा योगदान है यहाँ तक की कई बड़े बड़े अविष्कार में भी सपनो का बहुत बड़ा योगदान है इसलिए यदि आपको कोई चीज़ पसंद है कोई अधूरी इच्छा है या फिर मन में कोई डर तो हमारा अवचेतन मन उस चीज़ को हमारे सपनो में शामिल करता है अतः हम कह सकते हैं की सपने भले ही सच नहीं होते पर हमारे रियल जीवन पर इनका प्रभाव अवश्य होता है