Рет қаралды 18,536
Sheetla Mata Mandir । Sheetala Ashtami । BasIda । शीतला माता मंदिर । शील डूंगरी
माता के दरबार में ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाता है
जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के दक्षिण दिशा में करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है शीतला माता का मंदिर। चाकसू कस्बे में स्थित माता का ये मंदिर एक पहाड़ी पर दूर से ही नजर आ जाता है। यहां सालभर भक्त दर्शन के आते है लेकिन, चैत्र माह में शीतला अष्टमी यानि बास्योड़ा के मौके पर यहां दो दिवसीय लक्खी मेला भरता है। इस स्थान को शील की डूंगरी के नाम से भी जाना जाता है।
जयपुर के अलावा यहां से भी आते है श्रद्धालु
शील की डूंगरी में शीतला माता का मेला दो दिन तक चलता है। इस दौरान यहां भक्तों का आना शीतला अष्टमी के एक दिन पहले से ही शुरू हो जाता है। जयपुर के अलावा यहां निवाई, टोंक, देवली आदि आसपास के इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग नाचते-गाते पहुंचते है। मेले यहां कई पैदल यात्राएं भी आती है। करीब तीन सौ मीटर की चढ़ाई चढऩे के बाद जैसे ही माता के दर्शन होते है भक्तों को काफी आनंद की अनुभूति होती है। मंदिर तक जाने के लिए सीढिय़ों का रास्ता है।
बासी भोजन का लगता है भोग
माता के दरबार में ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाता है। आमतौर पर लोग पुएं, पकौड़ी, राबड़ी आदि घर से बनाकर लाते है और यहां माता को भोग लगाकर के बाद ही उसे खाते है। आरोग्य और सुख की कामना से दूर-दूर से आए भक्त ने माता के समक्ष धान का भी दान करते है।
बच्चों को लगवाई जाती है ढोक
बच्चों में माता निकलने यानि चेचक की बीमारी के बाद यहां माता के मंदिर में बच्चों को ढोक लगवाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
500 साल पुराना है मंदिर
शील की डूंगरी पर स्थित शीला माता का ये मंदिर 500 वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां मंदिर से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित है। जिनमें माता के गुणगान का उल्लेख मिलता है।
पूजा जाता है मंदिर की पहाड़ी का पत्थर भी
शील की डूंगरी पर बने माता के मंदिर की पहाड़ी भी अनोखी है। इस पहाड़ी का पत्थर माता की मूर्ति के रूप में पूजा है। इसलिए लोग यहां से पत्थर भी अपने घर पर लेकर जाते हैं। इस पत्थर की बनावट को माता के रूप में जाना व पूजा जाता है।
#Sheetlamatamandir
#Sheetalaashtami
#Basoda
#शीतलामातामंदिर
#शीलडूंगरी
#Sheeldungri
#sheeldungrichaksu