अति सुन्दर, हिंदी का इतना सुंदर छंद बहुत कम ही सुनने को मिलता है।🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@kavitayein-suni-ansuni Жыл бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद लकी जी 🙏🙏। यह कवि भूषण का बहुत ही अच्छा छंद है। परिस्थिती की वास्तविकता और उस युद्ध की ऐतिहासिकता का उन्होंने बड़ा सटीक वर्णन किया है। 🚩🚩
@NirmalaBhalerao-bf6mx2 ай бұрын
खूप छान , जय महाराष्ट्र !!
@kavitayein-suni-ansuni2 ай бұрын
धन्यवाद 🙏जय शिवरय 🚩🙏जय महाराष्ट्र 🚩 जय माँ भारती 🚩🚩
@balwantraut64414 күн бұрын
Very good information sir thanks.
@kavitayein-suni-ansuni13 күн бұрын
Thank you very much, Balwant Ji 🙏 I am glad that the information was useful 🙏 Chhatrapati Shivaji Maharaj ki Jai 🙏🚩 Jai Bhaarat 🙏🚩
@madhavbag24 күн бұрын
छान
@kavitayein-suni-ansuni23 күн бұрын
धन्यवाद 🙏 जय शिवराय 🚩जय राजमाता जिजाऊ 🚩जय भारत 🚩🙏
@madhavranalkar302 Жыл бұрын
बहुत बढिया ❤👌👍👏🙏 कवि भुषण के छंद सुनाने वालें बहोत कम लोग है 👍
@kavitayein-suni-ansuni Жыл бұрын
आपका कोटि-कोटि धन्यवाद माधव जी 🙏🙏 आशा है कि हमारे इस प्रयास से कवि भूषण के छंद और बहुत से लोग सुनाया करेंगे । इनमे वीर रस एवम् अनेकों अलंकारों सहित इतिहास एवम् पौराणिक कथाओं का अभूतपूर्व समावेश है। जय राजा शिवछ्त्रपति 🙏🙏
@running4lyfe Жыл бұрын
As usual, brilliant 👍🏼 आपल्याला मराठी येते असं वाटतं, ते खरं आहे का?
@kavitayein-suni-ansuni Жыл бұрын
हो सर, मला मराठी येते । ही प्रस्तुति आवडल्याबद्दल खूप खूप धन्यवाद 🙏🙏जय माँ भवानी 🙏🙏
@jayantjoshi2517 Жыл бұрын
बहुतही सुंदर
@kavitayein-suni-ansuni Жыл бұрын
आपका कोटि-कोटि धन्यवाद 🙏🙏
@ajaykulkarni8451 Жыл бұрын
बंधूँ मेरे अभ्यासानुसार अफ़ज़ल खान जावळी का सुभेदार रह चुका था । उसने उस इलाके मे अपने नामसे दो गांव भी बसा लिये थे अफजलपूर के नामके जरां आप भी अधीक जानकारी हांसील करने का प्रयास करे । आपका उपक्रम प्रशंसनिय है ।
@kavitayein-suni-ansuni Жыл бұрын
हमारे प्रयास की सराहना करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, अजय जी 🙏 १६३८ ई० में अफ़्ज़ल खाँ के नियंत्रण में वाई परगना था। इस समय यह सूबा राणादौला खाँ के नियंत्रण में था (एक सूबे में बहुत सारे परगने आते हैं) इसके बाद लगभग १६४४-१६४५ ई० में अफ़्ज़ल खाँ शिराळे का मोकासदार हुआ । इसके काफ़ी समय बाद वह सूबेदार नियुक्त (promote) हुआ - लेकिन यह सूबेदारी आदिल शाही कर्नाटक की थी (जो की कुतुब शाही कर्नाटक के दक्षिण-पश्चिम में था एवम् आज के उत्तर और मध्य कर्नाटक क्षेत्र समझा जा सकता है) । अतः अफ़्ज़ल खाँ जिन दिनों जावळी के आस पास किसी प्रशासनिक पद पर था, वह सूबेदार की तुलना में निम्न पद था । और वह भी वाई में, जो की जावळी से ५० किलॉमेटर की दूरी पर है । जावळी तो वह क्षेत्र था जिसके की चंद्रराव-मोरे वंश के राजाओं ने आदिल शाही सल्तनत की सरपरस्ती स्वीकार की हुई थी । अफ़्ज़ल खाँ ने अपने नाम से ३ अफ़ज़लपुर और एक अफ़्ज़लनगर बसाया / rename किया। इनमे से एक वह बावधन है जो की जावळी के पास है (यह पुणे वाला बावधन नहिं हैं) । कदाचित इसलिए भी अफ़्ज़ल खाँ के प्रशासनिक क्षेत्र को ले कर confusion रहता है। परंतु जावळी के पास वाले 'अफ़ज़लपुर' का नाम बावधन ही रहा (आज भी है) । हमारे sources में प्रमुख श्री गजानन भास्कर महदळे, श्री जदुनाथ सरकार, श्री वैभव पुरंदरे, और श्री विश्वनाथ प्रताप मिश्र हैं । और भी जानकारी ग्रहण करके आत्मसात् करने का प्रयास सतत जारी रहता है। अतः कुछ भिन्न/ नवीन जानकारी मिली तो comments/ चलचित्र के माध्यम से पुनः प्रस्तुत करेंगे। आपको पुनः आभार प्रकट करते हुए - सादर, धीरज ।