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अमृतवेला यादI Shivbaba ki Drishti. Omshanti Shivbaba. Mithe-pyre, Patit-pawan Shivbaba. Raj yoga-Meditation. Divine energy and vibrations. मुकर्रर रथ में शिवबाबा को याद कीजिएI मामेकम् याद करोंI शिवबाबा को याद कीजिएI शिवबाबा की पावन दृष्टिI सहज राज योग अभ्यासI अमृतवेला की यादI आदियोगीI महायोगीI योगिराजI दृष्टि से नया सृष्टीI पतित पावन शिव बाबाI शिवबाबा की पावन दृष्टिI साकार सो निराकारI शुभचिंतक ग्रुपI
For Video Clips: Credits to: Adhyatmik Vishwavidyalaya. Drishti no. 22
For Music: Credits to-i) You Tube Audio Library: Title: Rag Bageshri - Aditya Verma - Mp3
For Music: Credits to- Brahma Kumaris: OMSHANTI MUSIC: Album:- Meditation Music. Title: Om shanti Om- mp3.
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शुभचिंतक ग्रुप के वारे में बापदादा के महावाक्य:
अव्यक्त वाणी 23. 03. 1970
......संस्कारों को मिलाने के लिए दिलों का मिलन करना पड़ेगा। दिल के मिलन से संस्कार भी मिलेंगे तो संस्कारों को मिलाने के लिए भुलाना, मिटाना और समाना यह तीनों ही बातें करनी पड़ेंगी। कुछ मिटाना पड़ेगा, कुछ भुलाना पड़ेगा, कुछ समाना पड़ेगा - तब यह संस्कार मिल ही जायेंगे। यह है अन्तिम सिद्धि का स्वरूप बनना। अब अन्तिम स्थिति को समीप लाना है। एक दो की बातों को स्वीकार करना और सत्कार देना। अगर स्वीकार करना और सत्कार देना यह दोनों ही बातें आ जाती हैं तो फिर सम्पूर्णता और सफ़लता दोनों ही समीप आ जाती हैं। सिर्फ इन दो बातों को ध्यान देना, दोनों ही बातों को समीप लाना है। एक दो को सत्कार देना ही भविष्य का अधिकार लेना है। यह किन्हों की भट्ठी है,
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मालूम है ? इस भट्ठी का नाम क्या है? आप लोगों को तिलक के बजाय और चीज़ देते हैं। औरों को तिलक लगाया। इस भट्टी को लगानी है चिन्दी । तिलक छोटा होता है, चिन्दी बड़ी होती है। बड़ेपन की निशानी चिन्दी है। तिलक तो छोटे भी लगाते हैं लेकिन चिन्दी बड़े लगाते हैं। जब से ज़िम्मेवारी अपने ऊपर रखने की हिम्मत रखते हैं तब से चिन्दी को धारण करते हैं। तो तिलक अच्छा वा चिन्दी अच्छी ? आप सभी सर्व के शुभ चिन्तक हो, सर्विसएबल अर्थात् शुभचिन्तक। तो इस शुभ चिन्तक ग्रुप की निशानी चिन्दी है और नाम है शुभचिन्तक ग्रुप ।
आपके शुभचिन्तक बनने से सभी की चिन्ताएं मिटती हैं। आप सभी की चिन्ताओं को मिटाने वाली शुभचिन्तक हो । और सलोगन कौन सा है ? जैसे वो लोग कहते हैं आत्मा सो परमात्मा वैसे इस ग्रुप का सलोगन कौन सा है ? बालक सो मालिक। यह सलोगन विशेष इस ग्रुप का है। अब नाम भी मिला, सलोगन भी मिला काम भी मिला और इस भट्ठी में क्या करना है? भाषण भी यह करना है कि संस्कार मिलन कैसे हो। इस भट्टी में कमाल यही करनी है जो एक अनेकों को संस्कारों में आप समान बना सके। सम्पूर्ण संस्कार, अपने संस्कार नहीं। एक अनेकों को सम्पूर्ण संस्कार वाली बना ले तो क्या होगा? समाप्ति। समाप्ति करने वाला यह ग्रुप है। और फिर स्थापना करने वाला भी यह ग्रुप है। समाप्ति क्या करनी है? पालना क्या करनी है और स्थापना क्या करनी है ? यह तीनों ही टापिक्स इस भट्ठी में स्पष्ट करनी है। इसलिए त्रिमूर्ति चिन्दी लगा रहे हैं। स्थापना, पालना, समाप्ति अर्थात् विनाश।
क्या-क्या करना है इसको स्पष्ट और सरल रीति जो कि प्रैक्टिकल में आ सके, वर्णन तक नहीं। प्रैक्टिकल में आ सके औरों को भी करा सकें - ऐसी बातें स्पष्ट करनी हैं। लेकिन बिन्दी रूप बनकर के ही यह तीनों कर्त्तव्य सफल कर सकेंगे। इसलिए आपके इस कर्त्तव्य के यादगार में चिन्दी दे रहे हैं स्मृति भी स्थिति भी और कर्त्तव्य भी तीनों ही इस यादगार में समाये हुए हैं। विशेष ग्रुप की विशेष बातें होती हैं। आप सभी होली मनाने आये हैं वा इस ग्रुप की सेरिमनी (celebration) देखने ? यह भी सौभाग्य समझो कि ऐसी श्रेष्ठ आत्माओं के समीप बनने का ड्रामा में पार्ट है। सेरिमनी (celebration) देखना अर्थात् अपने को ऐसा श्रेष्ठ बनाना। यह है सेरिमनी (celebration)। ऐसा अपने को बनाओ जो इस ग्रुप के जैसे साकार में समीप आये हो ना, वैसे ही सम्बन्ध में भी समीप हो। देखने वाले भी कम नहीं। देखने वाली आत्मायें भी श्रेष्ठ और समीप हैं। बापदादा के दिल पसन्द रत्न हैं। पहले कौन आयेगा ? बापदादा तो सभी को एक ही स्पीड में देख रहे हैं। इसीलिए वन टू नहीं कह सकते। इस समय सभी वन की याद में नम्बर वन ही हैं।
आप लोग भी जब स्प्रिंट में और स्पीड में इस ग्रुप के समीप आयेंगे तब फिर आप की भी शेरीमनी होगी।
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