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देखिये Water Chestnut सिंघाड़े की पहली तोड़ाइ कैसे होती है 👇👇
• खेत मे सिंघाड़े की खेती...
सिंघाड़े की खेती 👇
दोस्तों सिंधाड़ा एक नगदी फसल है और इसकी खेती अन्य खेती के साथ बहुत आसानी से किया जा सकता है जिससे किसान अच्छा ख़ासा मुनाफ़ा भी कमा सकते हैं, इसकी खेती तालाब या पोखरों में ज़्यादा तर देखी जाती है, उत्तर प्रदेश, बिहार में ज़्यादातर किसान इसकी खेती करते हैं, सिंघाड़ा बहुत आसानी से बिकने वाला फल है कुछ लोग इसे कच्चा खाना पसंद करते हैं वहीं कुछ लोग इसे उबालकर खाते हैं।
नर्सरी तैयार करना👇
दोस्तों सिंघाड़े की नर्सरी के लिए दूसरी तोड़ाइ के स्वस्थ फलों का चयन किया जाता है इसकी पहली तोड़ाइ अक्टूबर के प्रथम या दूसरे सप्ताह से सुरु हो जाती है, दूसरी तोड़ाइ के फलों को किसी गड्ढे में जनवरी माह तक भिगोकर रखना पड़ता है, फिर अंकुरण से पहले फ़रवरी तक इसके फल को तालाब के गहरे पानी में डाल दिया जाता है धीरे-धीरे फलों से बेल निकलना सुरु हो जाता है
यह बेल जब एक से दो मीटर लम्बा होने पर इसे तोड़कर तालाब के सतह मिट्टी में दबा दिया जाता है जिसे सिंघाड़े की रोपाई कहते है यह रोपाई खरपतवार रहित तालाब में की जाती है जो की अप्रेल से जून तक कर दी जाती है।
रोपाई के बाद इसकी बेलें पूरे तालाब में फैलने लगती हैं और कुछ माहीनो में यह पूरे तालाब में फैल जाती हैं, धीरे-धीरे इन्ही बेलों में फल आना सुरु हो जाता है जिसे हम सिंघाड़ा फल या फिर water chestnut के नाम से जानते हैं इसकी पहली तोड़ाइ अक्टूबर के प्रथम सप्ताह या दूसरे सप्ताह से सुरु हो जाती है जो की दिसम्बर तक चलती है।
Water chestnut (Englishname)
सिंघाड़ा (Hindi name )