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वीडियो जानकारी: 27.04.24, संत सरिता, ग्रेटर नॉएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने जीवन में आगे बढ़ने और अपने आप को चुनौती देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि हमें अपने डर और संकोच को पार करते हुए नए अनुभवों की ओर बढ़ना चाहिए। वक्ता ने यह भी कहा कि जीवन में रुकना और संतोष करना आत्मा की गरिमा के खिलाफ है।
आचार्य जी ने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे हम अपने स्वभाव को भूलकर परिस्थितियों के अनुसार ढल जाते हैं। उन्होंने बताया कि हमें अपने भीतर के नायक को पहचानना और उसे जगाना चाहिए।
इसके अलावा, आचार्य जी ने यह भी कहा कि सुख और दुख की परिभाषा को समझना आवश्यक है। सुख केवल बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि अपने भीतर की संतोषजनक स्थिति से आता है। उन्होंने यह भी बताया कि हमें अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए साहसिक कदम उठाने चाहिए और अपने भीतर की शक्ति को पहचानना चाहिए।
प्रसंग:
~ हमारी खुशियाँ दूसरों पर निर्भर क्यों होती हैं?
~ क्या हमें दुख दूसरों से ही मिलता है?
~ हमारा अपना क्या है?
~ दूसरों पर निर्भरता कैसे कम करें?
~ खुशियों की क्या कीमत चुकानी पड़ती है?
~ क्या आनंद पाना सच में बहुत कठिन है?
~ सच को अपने सामने कैसे लाएँ?
संगीत: मिलिंद दाते
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