Thank you so much sir aap itna hard work kar raha hao and dushra ye ki aapki karan tourism ko badhava mil raha hai ❤❤😊😊
@SanjayKelkar-y9h2 күн бұрын
Aapke kuldhara Wale video ka bahut din se intezar tha sar aapka bahut bahut dhanyvad
@rameshtpurohit86792 күн бұрын
Yogeshji Jay shree Ram ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
@punjiramthakor43842 күн бұрын
हम नहीं जा सकते आप द्वारा दर्शन कर शकते है जय श्रीराम
@kumarprakash25322 күн бұрын
Nice bhai ❤❤❤
@chanderprabhavlogs85812 күн бұрын
Bhoot Pret nikat Nahin Ave Mahaveer Jab Naam sunave Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Shri Ram Jay Hanuman Jay Jay Jay Hanuman ji ki Jay Ghate Wale Baba ki Jay Mehandipur wale Balaji Maharaj ki
@lofi9135Күн бұрын
😊
@rameshtpurohit86792 күн бұрын
Jay datari🎉🎉🎉🎉
@धन्यवाद11112 күн бұрын
Jb itni hi negative energy wha h to wha pe hawan, ygaya krwa k mrit aatmaon ki mutki q nhi kra deti h wha ki goverment.
@yogeshnagar54992 күн бұрын
।।। ,नमस्कार सर, ।।।
@chanderprabhavlogs85812 күн бұрын
Baap re bhai Kitni bhayankar tune Lagai hai so ja Munna so ja Main To Dar gi bhai ji aap Bhagwan ka video Banaya Kijiye bhoot preton ka nahin mujhe photo lagta hai kilo mein bhi Bhagwan Jahan Ho UN Kilo Ka video Banaya Karen please Main To Dar Gai Dar Gai Dar Gai main dar gai
@bhushanmhatre99822 күн бұрын
शायद कोई भूकंप आया हो. एक भी घर का छत मौजूद नही है. छत के नीचे दबकर बहुत सारे गाववालों की मौत हुई हो. बचे हुए लोगों ने उनका अंतिम संस्कार किया होगा. जिनका अंतिम संस्कार नही हुआ वे भूत बन गये.
@anandkumarpurohit3735Күн бұрын
तेरहवीं शताब्दी में पाली में पालीवाल ब्राह्मणों के लगभग एक लाख घर थे। वो सभी सम्पन्न हुआ करते थे। उस वक्त आस पास के लुटेरे उनको लूट लेते थे। पालीवाल ब्राह्मणों ने लूटेरों से बचने हेतु राठौड़ सीहा जी से रक्षा हेतु प्रार्थना की। सीहा जी ने पालीवाल ब्राह्मणों को सुरक्षा का आश्वासन दिया। ईस्वी सन् 1291 में जलालुद्दीन खिलजी ने रक्षा बंधन के दिन पाली पर आक्रमण कर दिया। कहते हैं कि उस दिन इतने पालीवाल ब्राह्मणों की मृत्यु हुई कि उनकी जनेऊ का वजन 8 मन और विधवाओं के हाथीदांत के चुड़ले का वजन 84 मन था।उसी समय पालीवाल ब्राह्मणों ने पाली का परित्याग कर दिया और कुछ पालीवाल ब्राह्मण मेवाड़ और कुछ जैसलमेर तेरहवीं शताब्दी में आकर बस गए। उसी समय कुलधरा गांव पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया। दुबारा सालम सिंह के अत्याचारों से दुखी होकर लगभग 200 साल पहले पालीवाल ब्राह्मणों ने कुलधरा और अन्य गांवों को रातों-रात त्याग दिया। इस प्रकार पालीवाल ब्राह्मणों को दो दो बार अपने घरों को छोड़ना पड़ा।आज भी कई पुराने लोग तो पाली और जैसलमेर का पानी तक नहीं पीते थे ।