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समित कुमार की सफलता की कहानी :
कॉमर्स से मास्टर डिग्री करने के बाद समित के सामने वही समस्या आई जो आज देश के करोड़ों युवाओं को होती है यानि नौकरी की.... शुरुआत में जीवन वसर के लिए उन्होंने नौकरी भी किया लेकिन इन्हें नौकरी रास नहीं आई और वापस अपने गांव लौट आये.... खेती के लायक नौ एकड़ जमीन थी सो समित ने खेती में हाथ अजमाया लेकिन धान-गेहूं जैसे पारंपरिक खेती से कुछ हाथ नहीं आया... समित ने अब उलझन सुलझाने के लिए कृषि विज्ञानं केंद्र मधेपुरा की ओर रुख किया... जब समित केंद्र पहुचे उन दिनों वहां कुक्कुट पालन पर प्रशिक्षण चल रहा था... वैज्ञानिकों ने समित को उक्त प्रशिक्षण में भाग लेने की सलाह दी... प्रशिक्षण के बाद समित को कुक्कुट पालन में अपना भाग्य अजमाने की इच्छा प्रबल हुई.... अब वे अक्सर केंद्र पर आकर कुक्कुट पालन की बारीकियों को समझने लगे... जब उन्हें लगा की लेयर फार्मिंग से अंडा उत्पादन के कार्य को पूरी तरह शुरू कर देना चाहिए तब पूंजी की समस्या आयी क्योंकि लेयर फार्मिंग में ज्यादा पूंजी की आवश्यकता पड़ती है.... समित ने पूंजी के लिए दोस्तों और सगे सम्बन्धियों को अपनी योजना के बारे में बताया और उन सबके साथ समूह में इस कार्य को अंजाम तक पहुचाने का निर्णय ले लिया.... २०१७ में इन्होने २ एकड़ जमीन को लीज पर लेकर कृषि विज्ञानं केंद्र के मार्गदर्शन में दस हजार चूजों के लिए लेयर फार्मिंग तयार कर लिया.... white leg horn किस्म के चूजों को लाया...तब से अक्सर कृषि विज्ञानं केंद्र के वैज्ञानिकों का यहाँ आना जाना लगा रहता है