SHREE JIN-SAHASRANAMA STROTRAM

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Sukhmall Bakliwal

Sukhmall Bakliwal

Күн бұрын

मूल स्तोत्र रचयिता - परमपूज्य श्री जिनसेन आचार्य
• प्रभू के समवशरण में केवलज्ञान लक्ष्मी का वैभव देखकर, सौधर्म इंद्र ने अतिशय भक्तिभाव से १००८ नामोंसे वीतराग जिनेन्द्र भगवान की स्तुति की थी।
• उसी भावना को जिनसेन आचार्य जी ने सहस्रनाम स्तोत्र की रचना में व्यक्त किया है.
• इस स्तोत्र में कुल ३४ ( प्रस्तावना) + ११९ (१००८ नाम ) +१३ (समापना) = १६६ श्लोक है।
प्रस्तुति आर्यिकारत्न श्री १०५ पूर्णमति माताजी

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