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20 मई 1900 को जन्मे सुमित्रानंदन पन्त के बचपन का नाम गुसांई दत्त था. उनके पिता गंगादत्त उस समय कौसानी चाय बगीचे के मैनेजर थे. उनकी प्राइमरी तक की शिक्षा कौसानी के वर्नाक्यूलर स्कूल में हुई. इनके कविता पाठ से मुग्ध होकर स्कूल इन्सपैक्टर ने इन्हें उपहार में एक पुस्तक दी थी. ग्यारह साल की उम्र में इन्हें पढा़ई के लिये अल्मोडा़ के गवर्नमेंट हाईस्कूल में भेज दिया गया. सुमित्रानंदन पन्त (Sumitra Nandan Pant) हिन्दी कविता में छायावाद के मजबूत स्तम्भ माने जाते हैं. उनकी प्रमुख कृतियों में चिदम्बरा, वीणा, पल्लव, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, युगवाणी, लोकायतन और कला और बूढ़ा चांद इत्यादि शामिल हैं. उन्हें उनकी विविध रचनाओं के लिए उन्हें 1960 का साहित्य अकादमी और 1968 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था. 28 दिसम्बर 1977 को उनका प्राणांत हुआ.
इस वीडियो को यहां डालने का उदेश्य उत्तराखंड की नई पीढ़ी को अपने पुरखों के व्यक्तिव से परिचित कराना है.
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Video Courtesy: Prsarbharti