कभी नजरें मिलाने मैं जमाने बीत जाते हैं, कभी नजरें चुराने मै जमाने बीत जाते हैं, किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी मै, किसी को घर बनाने मै जमाने बीत जाते हैं, कभी खोला दरवाजा खड़ी थी सामने मंजिल, कभी मंजिल को पाने मै जमाने बीत जाते हैं, कभी गहरी काली रात हमें एक पल की लगती है, कभी एक पल बिताने मै जमाने बीत जाते हैं, 🥲🥲🥲 एक पल में टूट जाते हैं उम्र भर के वो रिश्ते, वो रिश्ते जो बनाने में जमाने बीत जाते हैं,,, आ-शहजाद खान चौहान