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@geetgangarss
सूत्रपात नवयुग बेला का संवाहक हम सभी बनें,
कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें...... २
राष्ट्र प्रथम जीवन में अपने, हर मन का उद्देश्य रहे,
गौरव बढे देश का जिससे, यह जन-मानस लक्षय रहे,
नवयुग की इस नव-गंगा के, जल-कण पावन सभी बनें
कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें....... २
उत्सुक सज्जन सुप्त शक्ति का, लाना होगा नवल प्रवाह
संचित शक्ति अथाह हिंदु की, प्रगटे यह जन-जन की चाह
सुद्रढ़ हों विस्तार कार्य सब, गति देकर उत्थान करें
कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें....... २
जागृति-श्रद्धा बढे धर्म में, शीलवान परिवार सभी
पर्यावरण प्रफुल्लित करके, समरसता की राह गही
शिष्टाचार, स्वदेशी अपने, अधिष्ठान की आन बने
कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें.......२
पश्चिम के चिंतन से थककर, विवश विश्व भारत की ओर
बढ़ी राष्ट्र की शक्ति सनातन, उठा गगन में स्वर घनघोर
चलो बढे अब कर्मक्षेत्र में, गुरुता के प्रतिमान बनें
कठिन परिश्रम और लगन से, नवयुग की पहचान बनें...२
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स्वर : केशवराव विनायकराव आणेराव (प्रचारक-गुजरात)
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