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स्वाधिष्ठान चक्र की जानकारी
इसका स्थान
स्वाधिष्ठान चक्र हमारी नाभि के नीचे और गुदा द्वार के कुछ ऊपर होता है।
स्वाधिष्ठान चक्र का रंग
उगते हुए सूर्य के जैसा संतरी रंग
स्वाधिष्ठान चक्र मानव के विकास के दूसरे स्तर का द्योतक है। इसी में चेतना की शुद्ध, मानव चेतना की ओर उत्क्रांति का प्रारंभ होता है। यह अवचेतन मन का वह स्थल है जहां हमारे अस्तित्व के प्रारंभ में गर्भ से सभी जीवन अनुभव और छायाएं जमा रहती हैं। स्वाधिष्ठान चक्र की जाग्रति स्पष्टता और व्यक्तित्व में विकास लाती है।
ऐसा कहा जाता है कि यह चक्र भय, विशेषकर मृत्यु के भय से अवरुद्ध हो जाता है। इस चक्र को खोलने से रचनात्मकता, प्रकट इच्छा और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिल सकता है।
स्वाधिष्ठान चक्र को छह पंखुड़ियों वाला दिखाया गया है, जिसमें संस्कृत अक्षर बा , भा , मा , या , रा और ला अंकित हैं
स्वाधिष्ठान शब्द का अर्थ है 'स्वयं का निवास स्थान'। यह व्यक्तिगत विस्तार, कामुकता की खोज, इच्छाओं, रचनात्मकता और जीवन में समग्र आनंद का समर्थन करता है।
इस चक्र का देवता ब्रह्मा सृष्टिकर्ता और उनकी पुत्री सरस्वती बुद्धि और ललित कलाओं की देवी है। स्वाधिष्ठान का रंग संतरी, सूर्योदय का रंग है जो उदीयमान चेतना का प्रतीक है।
इसका बीज मंत्र वं वम है कम से कम प्रतिदिन 10 से 15 मिनट तक इसका उच्चारण करना करना चाहिए। और इसका जल तत्व से संबंध है।ध्यान करते समय अपने पैरों को किस हो सके तो पानी में डालकर करें।
मेरे शब्दों में कोई त्रुटि हो तो माफ कीजिएगा।🙇🏻♀️🙏
धन्यवाद