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तू जिन्दा है तो........
तू जिन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
ये ग़म के और चार दिन, सितम के और चार दिन
ये दिन भी जायेंगे गुज़र गुज़र गये हज़ार दिन
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नजर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो.......
सुबह और शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर
तू सुन ज़मीन गा रही है कब से झूम-झूम कर
तू आ मेरा सिंगार कर तू आ मुझे हसीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो..
हजार भेष घर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी, चली गई वो हारकर
नई सुबह के संग सदा तुझे मिली नई उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू जिन्दा है तो..
हमारे कारवां को मंजिलों का इंतजार है
ये आँधियों, ये बिजलियों की पीठ पर सवार है
तू आ कदम मिला के चल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर
तू ज़िन्दा है तो.........
ज़मीं के पेट में पली अगन, पले हैं जलजुले
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
मुसीबतों के सर कुचल, चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर तू
जिन्दा है तो..
बुरी है आग पेट की, बुरे हैं दिल के दाग़ ये
न दब सकेंगे, एक दिन बनेंगे इंकलाब ये
गिरेंगे ज़ुल्म के महल, बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
तू जिन्दा है तो...
शंकर शैलेन्द्र