तेरे चरनों में प्यारे ऐ पिता । मुझे ऐसा दृढ़ विश्वास हो । कि मन में मेरे सदा आसरा । तेरी दया व मेहर की आस हो ॥ १ ॥ चढ़ आये कभी जो दुख की घटा । या पाप कर्म की होय तपन ॥ तेरा नाम रहे मेरे चित बसा । तेरी दया व मेहर की आस हो ॥ २ ॥ यह काम जो हमने है सर लिया । करें मिलके हम तेरे बाल सब ।। तेरा हाथ हम पर रहे बना । तेरी दया व मेहर की आस हो ॥ ३ ॥