🎉 વાહ ખૂબ સુંદર અદભુત પ્રભુ 🙏🙏🌹 જય હો વલ્લભાધીશ કી
@vishakhapabari3433 Жыл бұрын
અતી સુંદર 👏👏🙏👌
@johngill796410 ай бұрын
Heard this devotional after a long long time and enjoyed the bhajan JOHN GILL.
@haribabuyadav15612 жыл бұрын
Aaj ki subah safal ho gayee
@diptijoshi93632 жыл бұрын
Jay ho prabhu panchang pranam prabhu
@vrujeshhariyani Жыл бұрын
Dandvat Pranam 🙏
@smitajobanputra50822 жыл бұрын
Dandvat prnaam jeje
@PoojaSharma-zc7uy3 жыл бұрын
Jai ho goswami
@binduthakkar44282 жыл бұрын
J J Shri Dandvat Pranam 🙏🙇♀️🙏👌
@seemasethi20472 жыл бұрын
Dandavat Pranaam je je shree🙏🙏🙏
@shreekar89334 жыл бұрын
जय हो जय हो
@artitank58343 жыл бұрын
👍👌👌👌 Ati sunder
@kumardeobrat59464 жыл бұрын
वाह, बहुत बढ़िया. 👍
@RadheDandotiya2 жыл бұрын
Koti koti dandwat🙇🙇🙇 prabhu
@SunitaSingh-qw6lq4 жыл бұрын
अति सुन्दर 🙏
@yugaltrishit4 жыл бұрын
जयजय श्रीश्यामाश्याम जी
@shobhanashah4397 Жыл бұрын
Je je dandvt pranam ATI uttam vinti ka pad aap Shree ne vinti kya raag ma aape gaau janavsho?
@PreetBhojwani-kz1xn2 жыл бұрын
Very nicely sung and very useful instruction in lyrics.
@user-ek9zv5jt2p Жыл бұрын
तजौ मन, हरि बिमुखनि कौ संग। जिनकै संग कुमति उपजति है, परत भजन में भंग। कहा होत पय पान कराएं, बिष नही तजत भुजंग। कागहिं कहा कपूर चुगाएं, स्वान न्हवाएं गंग। खर कौ कहा अरगजा-लेपन, मरकट भूषण अंग। गज कौं कहा सरित अन्हवाएं, बहुरि धरै वह ढंग। पाहन पतित बान नहिं बेधत, रीतौ करत निषंग। सूरदास कारी कमरि पै, चढत न दूजौ रंग।
Danvat pranam jj , would you be able to send me the lyrics 🙏🙏
@sulochanagandhi44604 жыл бұрын
Last
@riddhimishra59803 жыл бұрын
तज मन हरि-विमुखन को संग। जाके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग।। कहा होत पय पान कराए, विष नहीं तजत भुजंग कागहि कहा कपूर चुगाये, स्वान न्हवाये गंग।। खर को कहा अरगजा लेपन, मरकट भूषन अंग।। गज कौं कहा सरित अन्हवाए,बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहि भेदत, रीतो करत निषंग। 'सूरदास' कारि कामरि पे, चढ़त न दूजो रंग।।
@minakurani33424 жыл бұрын
Dandvat pranam JJ need lyrics
@riddhimishra59803 жыл бұрын
तज मन हरि-विमुखन को संग। जाके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग।। कहा होत पय पान कराए, विष नहीं तजत भुजंग कागहि कहा कपूर चुगाये, स्वान न्हवाये गंग।। खर को कहा अरगजा लेपन, मरकट भूषन अंग।। गज कौं कहा सरित अन्हवाए,बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहि भेदत, रीतो करत निषंग। 'सूरदास' कारि कामरि पे, चढ़त न दूजो रंग।।