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Jalsa
SEERAT-UN-NABI
Naat &Taqreer Competition 2024-25
THE NATIONAL ACADEMY, KOLHAPUR
आज बरोज़ सनीचर 05/10/2024 द नैशनल स्कूल में सीरतुन्नबी ﷺ के मुनासिबत से दीनी तक़ारीर और नात का कॉम्पीटिशन था, जिस में बतौर मेहमान मौलाना मंसूर क़ासमी साहब, मौलाना बशीर साहब, मौलाना नाज़िम साहब और मैं मदऊ थे।
जब हम वहाँ पहुंचे तो जिस तरह उलमा का एहतराम होना चाहिये बिल्कुल वैसा ही हुआ। थोड़ी देर गुफ़्तगू करने के बाद उनका सिलेबस हमारे सामने पेश किया गया। देखने के बाद पहला ही ख़्याल आया जिस तरह हमारे उलमा दीनी मदारिस व मक़ातिब का निज़ाम चलाते है ठीक उसी तरह एक मुनज़्ज़म निज़ाम नेशनल स्कूल के पास है, जिसके ज़रिए बच्चे स्कूल के निसाब के साथ पारा ए अम्म, अहादीसे नबवी, अक़ाईद और रोज़ मर्रा ज़िंदगी गुज़ारने के ज़रूरी मसाईल आसानी से सीख कर दुनिया के किसी भी कोने में और किसी भी शोबे में ईमान की हिफाज़त व इशाअत के साथ ज़िन्दगी गुज़ार सकते हैं।
दूसरी तरफ़ हमारी क़ौम के दिगर बच्चों का हाल है, जिस तरह हमारे अकाबिर उलमा बयान कर रहे हैं, वह सुन कर और आँखों से देख कर लग रहा है कि अगर अब भी ना जागे...
इंतिहाई बे हयाई और पस्ती का माहौल अपने चारों तरफ देख कर वालिदैन कैसे खामोश बैठ सकते हैं खासतौर से वो माँ - बाप जिन के बच्चे अग्यार के स्कूलों में पढ़ते हैं और उपर से बच्चों को मकतब पाबंदी से भेजने का एहतिमाम भी नहीं करते उन के ईमान के फ़िक्र कोन करेगा?
स्कूल के बच्चों ने जो तकरीरें पेश कीं वो सभी बेहतरीन मोज़ूअ पर थी, उन में हमारा ध्यान उस तक़रीर ने खास तौर से खींचा जो सोशल मीडिया के उनवान पर थी कि सोशल मीडिया का लापरवाही के साथ इस्तेमाल फायदे से ज़्यादा नुकसान का सबब बन रहा है। यही हकीकत भी है कि इंटरनेट असल में एंटर द नेट यानी एक जाल में फंस जाना है।
हमें हरगिज़ अपने बच्चों के मुस्तक़बिल के साथ खिलवाड़ नही करना चाहिए। अपने बच्चों को हम बेहतरीन दुनियावी तालीम दें लेकिन साथ ही उन्हें कम से कम इतना दीनी इल्म तो ज़रूर सिखाएं कि क्या हलाल है और क्या हराम, उन्हें पता हो के अक़ाईद के मामले में कोई कंप्रोमाइज बिल्कुल बर्दाश्त नही।
कहने को तो बहोत सी बातें है लेकिन आख़री बात यह कि ऐसे दीनी मिज़ाज रखने वालें स्कूलों को हमें ही बढ़ावा देना होगा वरना वो दिन दूर नही के बस नाम के मुसलमान और काम.....😰
अल्लामा इकबाल ने कहा है:
"वज़्अ में तुम हो नसारा तो तमद्दुन में हुनूद,
ये मुसलमाँ हैं जिन्हें देख के शरमाएं यहूद।"
अल्लाह तआला से दुआ है के हमें और हमारी आने वाली नस्लों को अपने दीन की खिदमत के लिए कबूल फरमाए ...! आमीन।
✒️मुबीन इशा'अती