यह त्योहार समाज में समानता, आपसी सहयोग और दान की भावना को प्रोत्साहित करता है। यह पुराने रीति-रिवाजों और लोकसंस्कृति को जीवित रखने का एक अद्भुत माध्यम है।
@apoorvmishra413714 күн бұрын
Bahut Sundar दान और भिक्षा का पर्व: इस दिन लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर "छेरछेरा! माई कोठी के धान ला हेर हेरा" कहते हैं, जिसका अर्थ है कि धान या अनाज का दान करें। इस परंपरा के तहत धान, चावल, या अन्य अनाज दान किए जाते हैं। सामुदायिक एकता: यह त्योहार लोगों को आपस में जोड़ता है और समाज में सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है।
@skdvideo114 күн бұрын
दान और भिक्षा: गाँव के किसान और संपन्न लोग अपने कोठार (अनाज भंडार) से धान या अनाज का दान करते हैं। खेल और प्रतियोगिताएँ: इस अवसर पर गाँवों में विभिन्न प्रकार के खेल, मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
@Sahujic14 күн бұрын
गीत और नृत्य: बच्चे, युवक-युवतियाँ और बुजुर्ग समूह बनाकर छेरछेरा मांगने जाते हैं। यह प्रक्रिया गीत और नृत्य के साथ होती है, जो माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना देती है।
@apoorvmishra413714 күн бұрын
यह त्योहार लोगों को आपस में जोड़ता है और समाज में सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। फसल कटाई का जश्न: यह त्योहार नई फसल की कटाई के बाद मनाया जाता है, जब लोगों के पास पर्याप्त अनाज होता है। यह उत्सव एक तरह से प्रकृति और फसल के प्रति आभार प्रकट करने का भी तरीका है।
@Purnimablogofficial13 күн бұрын
गाँव के किसान और संपन्न लोग अपने कोठार (अनाज भंडार) से धान या अनाज का दान करते हैं।