No language for me to express my gratitude for enlightening us in such a lucid way..I express my ultimate regard to Professor Jha and I shall owe him for the rest of my life..🙏🙏🙏🙏
@jnarayan11 Жыл бұрын
How can a man know so much? To have a full understanding of both eastern and western philosophy in its totality is a testament to Mr. Sinha’s breadth of intellectual rigor. This is awe inspiring.
@Shashank21043 жыл бұрын
Acharya Pranam, the story of an existentialist french women is a story of not only courage and honour but of a being in the world who is condemned to be free.
@radhika18463 жыл бұрын
Nav Varsh ki dheron Shubh kaamnayein Guruji aur Vikasji 👃👃
@thesongoftheever-free10133 жыл бұрын
Guruji I love you 🥰🥰 I love you so so much Sometimes I feel like you are my everything To see you give me so much bliss
@dharmapalsharma26793 жыл бұрын
🌹👏✝️☪️🔯🕉️🛐👏🌹 ब्रह्म सत् चित् आनन्दम् 🌹🌹🌹
@tgx6288 Жыл бұрын
Sat sta naman guruji ❤❤❤
@pranjalpathak1153 жыл бұрын
(१)ब्रह्म को क्यों ऐसे जगत के रचने की इच्छा होती हैं, जिसमे दुःख ही दुःख हैं और फिर स्वयं ही उस से मुक्ति पाने के लिए श्रुति स्मृति द्वारा उपदेश दिलवाता हैं (२) यदि यह कहा जाये की जगत और उसके अंतर्गत सुख दुःख सब मिथ्या और भ्रम रुप ही हैं, केवल एक ज्ञान स्वरुप ब्रह्म ही सत्य हैं तो ब्रह्म ने इस भ्रम को क्यों फैलाया और निर्भ्रांत ब्रह्म में भ्रम कैसा? (३) अविद्या से ब्रह्म जगत की रचना करता हैं और अविद्या ब्रह्म से अभिन्न हैं फिर अविद्या और जगत से छुटकारा कैसे संभव हो सकता हैं? (४) ब्रह्म की शक्ति रुप अविद्या से जगत की उत्पत्ति हैं, इसलिए विद्या अर्थात ज्ञान द्वारा ही इससे मुक्ति हो सकती हैं, किन्तु अविद्या के अंतर्गत होने के कारण सारे साधन श्रुति और स्मृति भी अविद्या रुप ही होंगे विद्या और ज्ञान ब्रह्म से बाहर कहाँ से लाया जा सकता हैं (५) सर्वज्ञ ज्ञानस्वरुप ब्रह्म की शक्ति माया अर्थात अविद्या नहीं होनी चाहिए प्रत्युत निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान होना चाहिए (६) और यदि उसमे संसार के रचने की इच्छा भी हो तो वह निर्भ्रांत विद्या और सत्य ज्ञान के साथ हो न की माया और अविद्या के साथ (७) मदारी पैसा कमाने अथवा अपने से बड़े आदमियों को खुश करने के प्रयोजन से शोबदे और तमाशे दिखलाता है आप्तकाम ब्रह्म को इस मायाजाल के फैलाने में प्रयोजन क्या है? (८) यदि अपनी महिमा और प्रभुता दिखलाने लिए, तो यह किसको दिखलाना? जब की एक ब्रह्म के सिवा दूसरा कोई है ही नहीं (९) यदि अपनी प्रभुता और महिमा दिखलाने के लिए जीवों को उत्पन्न करता है तो इस प्रकार की महिमा और प्रभुता दिखलाने की अभिलाषा होना ही महिमा और प्रभुता के अभाव को सिद्ध करता है (१०) यदि बिना किसी अपने विशेष प्रयोजन के ब्रह्म द्वारा संसार की रचना केवल जीवों के कल्याण अर्थात भोग और अपवर्ग के लिए स्वाभाविक मानी जाये तो यह सांख्य और योग का ही सिद्धांत आगया
@bacchayadav7006 Жыл бұрын
Aap hamesha hamre dilo me jinda rahenge sir aapke jaisa guru sayad hi kabhi ho🥹
@dkhan94563 жыл бұрын
हार्दिक आभार नव वर्ष की शुभकामनाएं।
@paragnic3 жыл бұрын
Happy New year guruji and entire team of Quest
@shyamlasolace Жыл бұрын
👏 can't express in words
@sonukumaryadav41972 жыл бұрын
I have no words to say about u 🙏🏾🙏🏾
@blinkingblank Жыл бұрын
Tomorrow is my exam and I am listening to Guruji for understanding JP Sartre as it's part of syllabus
@indranighosh17926 ай бұрын
❤️🙏
@keshabrajkhatiwada452 жыл бұрын
Great person ! Naman !
@gudiyagautam2018 Жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@sushantaseal47773 жыл бұрын
❤❤❤❤Gurudev
@riturakaul67063 жыл бұрын
excellent guruji
@Sodhi.jaspreet3 жыл бұрын
Happy new year Sir
@eswaranrb11 ай бұрын
❤🎉
@WAris-dq2zz Жыл бұрын
👍✌
@Ligh-T3322 жыл бұрын
Sir how to contact you?
@sumanabista65103 жыл бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏
@malaykumarjha95883 жыл бұрын
🥀🙏🙏🙏🥀
@siddhivaidya6673 жыл бұрын
🙏🌹
@nitinshrivastava94613 жыл бұрын
💯
@rohitsuri59823 жыл бұрын
PARNAM. Babba SAHIB JI KOTI KOTI ONE DAY. SOME EVOLUTE GONA HAPPEN WHICH GONA SHARE SANATAN DHARMA. IN REAL ASTRAL TRAVEL A JEEV. IN COMMUNION WITH COSMOS REASON IS TRANSLATION AND ACTUAL TRAVEL ARE DIFFERENT PARNAM BABBA SAHIB JI THANKS IN FOLDED HANDS