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हरे कृष्ण, प्रणाम ! 🙏🏻
श्रील प्रभुपाद की जय !
‘महाभारत इतिहास का एक महानतम महाकाव्य है, जिसे पंचम वेद की भी मान्यता प्राप्त है। महाभारत के विषय में कहा जाता है कि "जो इसमें है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जाएगा। और जो इसमें नहीं है वह संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा।"
यह केवल एक युद्ध की कहानी नहीं है, बल्कि धर्म, भक्ति, नीति, न्याय, कर्तव्य, सम्बन्धों एवं जीवन के महत्वपूर्ण आदर्शों का एक गहन चित्रण है। महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित इस महाकाव्य की महानता इसी में है कि यह जीवन के हर पहलू को समाहित करता है। इसकी कथावस्तु जीवनरूपी रंगमंच के सभी दृश्य प्रस्तुत करती है यथा मोह-निर्मोह, भय-अभय, रति-विरक्ति, ईर्ष्या-करुणा, तृष्णा-वितृष्णा, क्रोध-सहिष्णुता, हताशा-उत्साह, जुगुप्सा-पवित्रता, शोक-अशोक, श्रृंगार-वात्सल्य--क्या कुछ नहीं हैं इसमें !
जिस प्रकार प्रकृति के नियम नहीं बदलते है ठीक वैसे ही आधुनिक होकर भी मानवीय प्रवृत्तियां नहीं बदलती हैं और उसी प्रकार महाभारत की प्रसंगिकता भी सदैव विद्यमान रहेगी। पाण्डु-पुत्रों के माध्यम से जीवन की सभी अवस्थाओं में स्थिर, प्रसन्न एवं भगवद-भक्ति में लीन रहने की कला ही इस महाभारत ग्रन्थ की अनुपम शिक्षा है |
यह हमारे लिए कथा श्रवण के लिये दुर्लभ अवसर है | कथा व्याख्यान श्रीमान जय नित्यानन्द प्रभुजी द्वारा होगा। कृपया स्वयं इसका लाभ लें एवं अन्य लोगों को इससे जुड़ने के लिये प्रेरित करें।
यह वास्तव में आपके द्वारा अपने मित्र-परिजनों की एक अद्वितीय कल्याणकारी सेवा होगी। आईये, आज से ही इस शुभ कथाश्रवण का श्रीगणेश करें !
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कथा सोमवार से शुक्रवार रहेगी, समय: सायं ८:०० से ८:३०.
कथा के अन्त में आप प्रश्न भी पूछ सकते हैं | आप अपने प्रश्न इस whatsapp number (99682-82446) पर भी भेज सकते हैं |
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धर्मो रक्षति रक्षितः
कृष्ण की सेवा हेतु आपका सेवक,
विदग्ध दास