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संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन...भक्तों शास्त्रों के अनुसार अयोध्या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काञ्चीपुरम, अवन्तिका (उज्जैन), द्वारिकापुरी और काशी (वाराणसी) ये सात मोक्षदायी पुरियाँ हैं। इन्ही मोक्षदाई सप्तपुरियों शामिल बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी है आज हम आपको अपने लोकप्रिय कार्यक्रम दर्शन के माध्यम से गंगा जी के मणिकर्णिका घाट की यात्रा करवाने जा रहे हैं जहां भगवती सती के दाहिने कान की मणि गिरी थी भक्तों हम बात कर रहे हैं माँ विशालाक्षी मंदिर की..
मान्यताएँ: भक्तों देवी विशालाक्षी की पूजा उपासना से सौंदर्य और धन की प्राप्ति होती है। यहां दान, जप और यज्ञ करने पर मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप यहां 41 मंगलवार कुमकुम का प्रसाद चढ़ाते हैं तो इससे देवी मां आपकी झोली भर देती हैं। लोग यहां मां की उपस्थिति मानकर दर्शन-पूजन करते हैं। लोगों को विश्वास है कि माँ विशालाक्षी दुर्भाग्य मारे व्यक्ति को भी सौभाग्य जागृति कर मनोवांछित फल प्रदान करती हैं इसलिए यहाँ अविवाहित, निःसंतान, निर्धन और निराश लोगों का ताता लगा ही रहता है।
मनोरथ सिद्धि पर माँ को उपहार: भक्तों वाराणसी के विशालाक्षी मंदिर में मनोरथ सिद्धि होने पर भक्तों द्वारा माता विशालाक्षी को उपहार स्वरुप साड़ी, चुनरी, बहुमूल्य वस्त्र-परिधान, आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री आदि भेंट चढाते हैं।
आरती पूजा का समय: भक्तों वाराणसी के विशालाक्षी मंदिर में प्रतिदिन चार आरतियां और दो अभिषेक होते हैं। प्रातः 5 से 5।30 बजे, मंगला आरती के रूप में प्रथम अभिषेक, पूर्वान्ह 11।30 बजे नाटको चेट्टियार के नाम से दूसरी शृंगार आरती, तीसरी 12 बजे दोपहर भोग आरती, चौथी संध्या आरती सायं 5 बजे, पांचवीं मुख्य आरती 7 बजे और शयन आरती (अभिषेक) रात 10 बजे होती है। वाराणसी के विशालाक्षी माता मंदिर के आरती का दृश्य बड़ा मनोहर और विहंगम होता है। विशेषकर रात्री ७ बजे होनेवाली आरती भक्तों का मन मुग्ध कर देती है। इस दौरान ढोल नगाड़े शंख और घड़ियाल के अनहद नाद भक्तों को भाव विभोर कर देते हैं। भक्तों यदि आप को वाराणसी के विशालाक्षी मंदिर दर्शनार्थ जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो मंदिर की आरती का दर्शन लाभ अवश्य लें। ये आपको आध्यात्मिकता से ओतप्रोत कर देगा।
दर्शन का समय: भक्तों वाराणसी के विशालाक्षी मंदिर में दर्शन का कोई विशेष समय सीमा निर्धारित नहीं है प्रातः मंदिर खुलने के साथ यानी प्रातः 4।30 से दर्शनार्थियों का आना जाना प्रारम्भ हो जाता है। सामान्यतः सुबह ४ बजे से लेकर 11 बजे तक तथा शाम 5 बजे से रात10 बजे तक भक्तों की उपस्थिति बनी रहती है। इसलिए आप जब यहाँ दर्शन करने जाएँ तो इस समय अवधि का ध्यान अवश्य रखें।
सबसे अच्छा समय: भक्तों अगर आप वाराणसी में विशालाक्षी मंदिर की यात्रा के बारे में विचार कर रहे हैं तो आप यहाँ की यात्रा किसी भी समय कर सकते हैं। लेकिन यदि आप काशी विशालाक्षी मंदिर के अलावा वाराणसी के अन्य पर्यटन स्थल देखना चाहते हैं तो वाराणसी जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच होता है। बरसात के समय में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण घाट और सीढ़ियां डूब जाती हैं जिसके कारण आप वहां का मनमोहक दृश्य नहीं देख पाएंगे। नवंबर में हर साल वाराणसी में एक पांच दिवसीय उत्सव गंगा महोत्सव मनाया जाता है, यह उत्सव आने वाले पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है।
भक्तों! अगर आप वाराणसी पहुँचकर माँ विशालाक्षी के दर्शन पूजन और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने को इच्छुक हैं तो अपने बजट, क्षमता और सुविधा अनुसार यात्रा का शुभारंभ कीजिये। तो आज के इस एपिसोड में इतना ही, एक नए धाम की यात्रा में फिर मिलते हैं... नमस्कार...प्रणाम ॥इति शुभम॥
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन !🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन।🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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