जय श्री सत साहेब बंदगी श्याम सांई शरण ग्वालियर म.प्र
@GajendraSingh-z8y3 ай бұрын
Jab se humne aapka satsang suna hai jivan Anand mein hone laga hai
@amritgyan123 ай бұрын
धन्यवाद आपका, इसी तरह से अपने आप को सतसंग से जोड़े रखें
@MukutBairwa-ce6fl2 ай бұрын
Ja dnbgeguruje
@ChironjiBasal6 ай бұрын
सत्यनाम साहेब बंदगी साहेब जी साहेब बंदगी साहेब जी साहेब बंदगी साहेब जी
@kubersingh5856 ай бұрын
Saheb bandagi 😊❤❤❤
@pramodjadaun81296 ай бұрын
Saheb bandgi maharaj ji background music मत डाला करो
@mrxpriyanshugaming15216 ай бұрын
साहेब बंदगी गुरु देव
@BaghelMnisha22 күн бұрын
OK up
@santoshvarathe82576 ай бұрын
Sat saheb ji
@मनोजपाठक-ङ4भ6 ай бұрын
Manoj pathak
@shaileshsavita83086 ай бұрын
म्यूजिक क्यों डाल देते हो भाई मत डाला करो बहुत अजीब लगता हैं
@jaikishanmeena28096 ай бұрын
आदरणीय जी गुरु दाता के फोन पे नंबर डालने का कष्ट करें।।
@sarabjeetkaur18366 ай бұрын
Music mat use karo please
@amritgyan126 ай бұрын
अब नहीं करेंगे
@chhajjiprasad2612 ай бұрын
पूरे संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में, मैं होता है। लेकिन जब वह अकेला होता है तो वह मैं चर्चा में नहीं आता है। लेकिन वह सदा मैं रहता है। लेकिन जब तक दो मैं एकत्र नहीं होते हैं तब तक तुम नहीं बनता है। आत्मा की जब भी चर्चा होती है तो सिर्फ मानव शरीर की होती है। अरे वह बहुत अच्छी आत्मा है। अरे वह बहुत खराब आत्मा है। अरे वह बड़ी प्यारी आत्मा है। अरे वह बड़ी दुष्ट आत्मा है अरे वह भूत है, प्रेत है, राक्षस है, देवता है चूड़ी है यह सारे शब्द मनुष्य के लिए उपयोग किये जाते हैं। संसार में अनगिनत जीव जन्तु है। मनुष्यों को अन्य किसी जीवन से डर नहीं लगता है। जब भी डरता है, घबराता है, चिंतित रहता, स्वप्न देखता है। पागल हो जाता है। इस प्रकार से आत्मा का अर्थ मैं होता है और परमात्मा का अर्थ भी मैं होता है। लेकिन आत्मा किसी से कह सकते हैं। लेकिन परम का अर्थ मेरा होता है इसलिए परमात्मा का अर्थ सिर्फ मेरी आत्मा आता है। जिसका शुद्ध अर्थ सिर्फ मैं होता हूँ मैं। तो जो आत्मा साफ सुथरी स्वच्छ होती है वह परमात्मा कहलाती है। उसमें संसार के लगाव के भाव नहीं होते हैं। बाकी सारे के सारे मनुष्य, आत्मा के अन्तर्गत आते हैं जिनको खुद का होश नहीं होता, संसार के राग, रंग का ध्यान में रहता है। परमात्मा अमर होता है जिसका ध्यान सिर्फ मुझ पर रहता है। और आत्मा का ध्यान मुझ पर विलकुल नहीं होता, उसका ध्यान सदा सांसारिकता का चिन्तन करता है, यह मरणशील होता है। कृपया कोई भी मीन में करे मुझे स्वीकार है। मेरा सबको सत सत नमन।