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Like subscribe share jarur Karen 🙏
भूल गया मानव मर्यादा
जब कलयुग की हवा चली
धूप कपूर ना बिके नारियल,
दारू बिक रही गली गली
मर्यादा ना करे बड़ो की
दारू पिये भरे चिल में रामायण गीता ना बाचे
दिल से देखे रहे फिल्मे
सांची बात लगे हदय में
सबसे कह रहे बात भली
धूप कपूर ना बिके
नारियल.....
कीर्ति अंश प्यारी वाणी नारी अब निर्लज्ज भए
नर पाप की सीमा लांघ गए
कलयुग का तो फैशन हैं बिटिया के दुपट्टा खोय गए
धर्म कर्म और शर्म नहीं हैं कलयुग हो गयो बहुत बलि
धूप कपूर ना बिके नारियल.....
मात पिता की सेवा करलो स्वर्ग मिले ईश्वर कह रहे
सत्य वचन हैं ये ईश्वर के
उनपे ध्यान नहीं दे रहे
धूप का पूर्ण नबी के नारियल दारू बिक रही गली-गली