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अग्र स्वर,मध्य स्वर, पश्च स्वर| वृतमुखी,अवृतमुखी| संवृत, अर्धसंवृत, अर्ध विवृत, विवृत स्वरूप के बारे में एक ही क्लास में सब कुछ।
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जिह्वा की स्थिति के आधार पर
जब स्वरों का उच्चारण किया जाता है तो जीवा अग्र , मध्य , पश्च की स्थिति में होती है।
अग्र स्वर
मध्य स्वर
पश्च स्वर
(ओष्ठ के आधार पर )
ओष्ठ के आधार पर भी स्वरों का वर्गीकरण किया जाता है। ओष्ठ को दो वर्ग में विभजि किया गया है अवृत्तमुखी , वृतमुखी
अवृत्तमुखी - जिन स्वरों के उच्चारण में ओठ वृतमुखी या गोलाकार नहीं होता है - अ , आ , इ ,ई , ए ,ऐ।
वृतमुखी - जिन स्वरों के उच्चारण में ओठ वृतमुखी या गोलाकार होते है -उ ,ऊ ,ओ ,औ।
मुख कुहर )
इस आधार पर स्वरों को चार वर्गों में विभाजित किया गया है - विवृत , इष्यत विवृत , संवृत , इष्यत संवृत
विवृत - उच्चारण में मुख अधिक खुलता है - ‘ आ ‘
इष्यत विवृत - उच्चारण में कम खुलता है - ‘ ए ‘
संवृत - उच्चारण में मुख्य संकीर्ण रहता है - ‘ ई ‘
इष्यत संवृत - मुंह कम खुलता है - ‘ ए ‘