भाई विकास जी राम राम जी जब गोरख नाथ की और कबीर जी की ज्ञान गोष्ठी हुई तब ये वाणी बताई और गोरख नाथ जी को हराया था वाणी इंगला पिंगला सुषमना त्रिकुटी सबका धाम निअक्षर श्वाशा रहित ताकर भिन्न मुकाम इंगला बिनसे पिंगला बिन्से, बिन्से सुष्मना नाड़ी कहे कबीर सुनो भई गोरख अब कहा लगाओगे ताड़ी सार शब्द में एक ही सिद्धि मुक्ति देत करे सेवा सार शब्द का भेद निराला जाने कोई गुरुमुख भेवा आत्म ज्ञान बिना नर भटके कभी काबा कभी काशी जल में मीन प्यासी मोहे देख कर आवे हसीं बिल्कुल सत्य ज्ञान बता रहा हूं मानो या मत मानो आपका भाई कबीर भाई साहब जी आत्म ज्ञान का कोई भी प्रश्न पूछ सकते हो धन्यवाद साहिब बंदगी जी