संजीव जी रम कर काव्यपाठ करते हैं। उनके स्वर में आरोह अवरोह के नियंत्रण से कविता खिल उठती हैै । मुकुल जी की यह कविता-- तुम मुझे कभी न मिलना, संग्रह की बेहतरीन कविता हैै ।
@shobhagandhi83012 жыл бұрын
Bahut sunder
@rajeevrsvp2 жыл бұрын
अतिसुन्दर प्रस्तुति👍 सहज प्रवाह सी निर्झर वेगमयी कविता की उन्मुक्त छटा को अपने में समेटे एक नितान्त आत्मिक भाव का मधुर प्रस्फुटन😍 बधाई एवं मंगलकामनाएँ💐
@ritachaudhary20282 жыл бұрын
Bahut sundar 🙏🏻
@manishprajapati67952 жыл бұрын
Very nice. Appreciating others creation , what else we need?