Рет қаралды 17,350
Types Of Bamboo Sticks "इतना महंगा कैसे हुआ बंबू स्टिक्स" क्या है कारण ?
इंपोर्ट ड्यूटी में हुई थी कटौती
दरअसल इंडो-आसियान फ्री ट्रेड ऐग्रिमेंट के तहत बीते सालों में अगरबत्ती के कच्चे माल पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती हुई थी। इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती होने से भारतीय बाजार में चीन और वियतनाम से आयातित बैंबू (बांस) ज्यादा हो गया। एक अनुमान के अनुसार, साल भर में करीब 800 करोड़ रुपये की राउंड बैंबू स्टिक और अगरबत्ती का कच्चा माल आयात हो रहा है। पहले अगरबत्ती की कीमत 70 रुपये किलो थी, जो अब घटकर 48 रुपये किलो पर आ गई है।
संकट में MSME
सरकारी डाटा के मुताबिक, साल 2009 में भारतीय अगरबत्ती आयात पर निर्भरता महज दो फीसदी थी, जो अब 80 फीसदी तक पहुंच गई है। अगरबत्ती के कारोबार से जुड़े एमएसएमई ( MSME ) कीमतों के मोर्चे पर भी संकट से जूझ रहे हैं।
साल 2011 में अगरबत्ती पर ड्यूटी 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी गई थी।
वहीं साल 2018 में इसे घटाकर पांच फीसदी कर दिया गया था। अगरबत्ती के कच्चे माल का आयात इसमें कई गुना बढ़ा है।
साल 2009 में 31 करोड़ रुपये कीअगरबत्ती आयात की गई थी।
साल 2018 तक यह आंकड़ा बढ़कर 540 करोड़ रुपये का हो गया था।
सिर्फ चीन की बात करें, तो साल 2011 के 1.7 करोड़ रुपये का आयात चीन से हुआ था। साल 2018 में यह बढ़कर 212 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
साल 2009 में रोजाना 1,245 टन अगरबत्ती की खपत होती थी, जो 2019 तक बढ़कर 1,397 टन हो गई
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने असम में अगरबत्ती के लिए बांस की तीली बनाने वाली एक यूनिट का उद्घाटन किया. इस यूनिट को 10 करोड़ रुपए की लागत से लगाया गया है. इससे प्रत्यक्ष रूप से 350 लोगों को जबकि परोक्ष रूप से 300 लोगों को रोजगार मिलेगा. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, मोदी सरकार ने चीन (China) और वियतनाम (Vietnam) से कच्ची अगरबत्ती के आयात पर पाबंदी लगा दी है. साथ ही उसमें उपयोग होने वाली बांस की तीलों पर आयात शुल्क भी बढ़ा दिया है. ऐसे में असम में अगरबत्ती के लिए बांस की तीलों का कारखाना लगाया जाना महत्वपूर्ण कदम है.
बयान के अनुसार, अगरबत्ती में उपयोग होने वाली बांस की तीलों के आयात के कारण देश के अगरबत्ती उद्योग को काफी नुकसान हो रहा था. इसी कारण दोनों देशों से आयात पर पाबंदी लगाने का निर्णय किया गया. सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम मंत्रालय के बयान के अनुसार सरकार के विभिन्न प्रयासों से सैकड़ों बंद पड़ी अगरबत्ती इकाइयां पिछले डेढ़ साल में फिर चलने लगी हैं. इससे करीब 3 लाख लोगों को रोजगार मिला है.