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🌺Hare Krishna🌺
1. शुद्ध भक्तों की चरणधूलि भक्ति के अनुकूल है और वैष्णवों की सेवा परम सिद्धि तथा दिव्य प्रेम रूपी कोमल लता की मूल है।
2. मैं ध्यानपूर्वक भगवान् माधव के लीला-दिवसों को मनाता हूँ क्योंकि वे भक्ति की जननी हैं। अपने निवास के लिए मैं अत्यन्त आदर के साथ भगवान् श्रीकृष्ण के दिव्य धाम का चुनाव करता हूँ।
3. जिन-जिन स्थानों की यात्रा मेरे श्रीगौरसुन्दर भगवान् ने की है, प्रेमी भक्तों के संग में मैं भी उन स्थानों का भ्रमण करूँगा।
4. मेरा मन सदैव मृदंग की ध्वनि सुनने के लिए लालायित रहता है। भगवान् गौरचन्द्र द्वारा स्थापित कीर्तनों को सुनकर मेरा हृदय आनन्द में भावविभोर होकर नृत्य करने लगता है।
5. श्री श्रीराधा-कृष्ण के विग्रहों को देखने से मैं परम आनन्द का अनुभव करता हूँ। भगवान् का प्रसाद स्वीकार करके मैं सम्पूर्ण मोह-माया पर विजय पा लेता हूँ।
6. मैं जब भी अपने घर में भगवान् हरि की पूजा-सेवा होते देखता हूँ, मुझे अपना घर गोलोक वृन्दावन प्रतीत होता है। जब मैं भगवान् के चरणकमलों से प्रवाहित होने वाली अमृतमयी गंगा को देखता हूँ तो मेरे सुख की कोई सीमा नहीं रहती।
7. पवित्र तुलसी का दर्शन मात्र मेरे प्राणों को सुख देता है क्योंकि मैं जानता हूँ तुलसी भगवान् माधव को प्रसन्न करती हैं। श्रीगौरांग महाप्रभु के प्रिय शाक व्यंजन का आस्वादन करके मुझे अपना जीवन सार्थक लगने लगता है।
8. भक्तिविनोद को श्रीकृष्ण की सेवा-भजन में जो भी अनुकूल प्राप्त होता है वे अत्यन्त सुख के साथ प्रतिदिन उसे स्वीकार करते हैं।
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