Sabhi ki raajniti hogi akele jati visesh ki nahi @@YeshKumar-ch1zd
@anshumanbal4503Ай бұрын
सब एक हो जाओ अलग प्रदेश के मुद्दे पर
@mahakpalgurjar308Ай бұрын
हरित प्रदेश बनना चाहिए
@Vikas.Chaudhary.119 күн бұрын
Right Brother
@Gurjar2308Ай бұрын
West UP should become an Independent state it will grow faster ❤
@arun3426-x4p26 күн бұрын
उत्तर प्रदेश के विकास के लिए इस चार भागों में बांट देना चाहिए
@Satwikmaan2527 күн бұрын
Right demand
@anshumanbal4503Ай бұрын
अलग पश्चिमी उत्तर प्रदेश बिना आंदोलन के संभव नहीं है यहां के लोग पार्टी बाजी से उठकर नही सोचते हैं
@SwarnKanta-s6u22 күн бұрын
Alag pradesh banega paschimi pradesh ek din yahi log partiyon se ub gye toh
@atiquebhai7722Ай бұрын
Pehle mayavati ji ke raaj me yeh baat uthi thi or achchha hoga ager paschim utter Pradesh bna to
@yakshbaliyan050317 күн бұрын
We want Harit Pradesh❤
@RajeevSingh-rn1fcАй бұрын
Paschimi Uttar Pradesh alag Hona chahie ji Uttar Pradesh ke teen bantware hone jaruri hai
@SanjeevSharma-h2r18 күн бұрын
ये सच है.
@akashpanwarpanwar945628 күн бұрын
Hme अपना वेस्ट यूपी अलग chayiye ❤
@RohitKumar-s5m6b19 күн бұрын
It should be done as it's a very important topic to development and employment
@allvideoindia912Ай бұрын
Jald jaldi ho
@JauddinShek27 күн бұрын
कम से कम up के तीन स्टेट होना.चाहिए
@rohitsen7865Ай бұрын
पश्चिमी उत्तर प्रदेश जरुरी है लेकिन ये जब मंत्री थे power मे थे तब मुद्दा नही उठाया गया इन पर अब हीरो बनना चाह रहे हैं
@Chatur_RamlingamАй бұрын
Tab bhi uthaya tha purane video dekho
@HammerVert7428 күн бұрын
Are sansad me to nahi uthaya na @@Chatur_Ramlingam
@Chatur_Ramlingam27 күн бұрын
@@HammerVert74 uthaya tha sansad me bhi
@HammerVert7427 күн бұрын
@@Chatur_Ramlingam video bhej
@manvvarmumtaj220427 күн бұрын
हरित प्रदेश जिंदाबाद
@MinkuBhai-km1ek19 күн бұрын
Good news balyan ji
@royalplayxpartАй бұрын
Bhut acha hoga agar aasa hoga to up ma bhut Jada tarake hogi
@FaeemChauhan15 күн бұрын
Right kha sir ne
@ankitvishnoi116218 күн бұрын
सही कहा
@Vikas.Chaudhary.119 күн бұрын
Jai Jawan Jai Kisan
@HoneyKhan-uw2lo27 күн бұрын
खतोली मुज़फ्फरनगर शामली देवबन्द सहारनपुर इन सबको हरियाणा में शामिल किया जाए और मेरठ शहर को दिल्ली में शामिल किया जाए या फिर पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजधानी मेरठ शहर को बनाया जाए
@vaseemtyagi37824 күн бұрын
Muzaffarnagar se koi problem hai tumko Shamli muzaffarnagar allready delhi ncr me aata hai Delhi me jayega ya west me hi rahega
@HoneyKhan-uw2lo23 күн бұрын
NCR ka matlab hota hai sirf 100 kilometer ka daayra 100 kilometer se zyada nahin hona chahiye Meerut City se Delhi 64 kilometer hai yaani 100 se kam Muzaffarnagar 100 se zyada hai Muzaffarnagar mein mere Nana ka ghar hai Malhupura mein Meerut City Delhi ke zyada kareeb hai Muzaffarnagar zyada door hai
@vaseemtyagi37823 күн бұрын
@@HoneyKhan-uw2lo west up alag state mang par ek jao West up ki capital meerut hi banegi Vese muzaffarnagar 2016 me delhi ncr me shamil huaa tha 100 km se kum duri par hi muzaffarnagar area start ho jata hai West up alag hone par samrad pardesh hoga
@HoneyKhan-uw2lo23 күн бұрын
Samrad Pradesh nahin Harit Pradesh hoga
@SwarnKanta-s6u22 күн бұрын
Harit pradesh lekar hi rahenge chahe uske ke liye jaan ki baazi bhi kyon na lagani pade
@akramchoudharyvlog148324 күн бұрын
Ham sahmat Hai
@PratapSingh-hn3nr17 күн бұрын
Really it should be divided
@diveshtomar9044Ай бұрын
separate state for west up
@acarguy3558Ай бұрын
are bhai esi nhi banta seprate state, purvanchal se chal raha hai uttarpradesh paschim ka paisa purvanchal mai lagta hai ye waha ke logo ko bhi pata hai isliye iske liye pure paschim ko ek hokar andolan karna padega
@HammerVert7428 күн бұрын
Yu haar ki wajah se baawla ho liya 😂
@RajuSingh-f5s1q26 күн бұрын
Muzaffarnagar ko alag rajya chahie bhai
@ghayasakhtar9656Ай бұрын
बीजेपी का आंतरिक राजनीति है योगी जी को डाउन करने की।
@YouTube_1709NishadАй бұрын
Main paschim uttar pradesh ka hu bhaut khus hu nahi batna chahiye yogji hai bahut acha vikas hua hai jyada acha ke chakkar main koi RAHUL KHAN CONGRESS JAISA MANTRI AA JAYEGA TOH DESH BARBAAD HO JAYEGA.
@Chatur_RamlingamАй бұрын
Acha to tumhe Putra Pradesh me rehna hai namazwadi party tindabad tindabad Akal-less padav tindabad
@Chatur_RamlingamАй бұрын
भारत में क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है। यहां इसके करोड़ों चाहने वाले हैं। वहीं लाखों करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने तो जैसे युवकों में एक नई जागृति पैदा कर दी है। आज हर युवा क्रिकेटर इसमें खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमें अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है। उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चे भी इसमें अपना उज्जवल भविष्य देखते हैं, और क्यों न देखें। आखिर उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है। हालांकि दुख इस बात का है कि चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी को निराशा हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। यूपी में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद किसी भी आयु वर्ग की टीम में अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता। दरअसल 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में, जहां हजारों खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं वहां चाह कर भी ज्यादा खिलाड़ियों को मौका दिया जाना संभव नहीं। आखिर कुछ सीमाएं हैं। केवल 15-16 खिलाड़ी ही एक टीम के लिए चुने जा सकते हैं। प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्याय है। आखिर यह कहां का न्याय है कि 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से एक टीम का खेलना और 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना। यह हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़, पुडुचेरी, पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है, जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है। पहले चंडीगढ़ के खिलाड़ी हरियाणा या पंजाब से ही खेलते थे, अब उनकी अपनी टीम है। अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम चार टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र, गुजरात जहां की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं, तीन-तीन टीमें खेलती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों? उत्तर प्रदेश से भी चार टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब चार टीमें खेलेंगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा।
@rswami9215Ай бұрын
भारत चुनौती झेल रहा है ऐसे में पश्चिम उ0प्र0 की मांग का क्या सही समय है ।
@anshumanbal4503Ай бұрын
कौन सी चुनौती झेल रहा है 😮
@Chatur_RamlingamАй бұрын
भारत में क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है। यहां इसके करोड़ों चाहने वाले हैं। वहीं लाखों करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने तो जैसे युवकों में एक नई जागृति पैदा कर दी है। आज हर युवा क्रिकेटर इसमें खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमें अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है। उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चे भी इसमें अपना उज्जवल भविष्य देखते हैं, और क्यों न देखें। आखिर उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है। हालांकि दुख इस बात का है कि चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी को निराशा हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। यूपी में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद किसी भी आयु वर्ग की टीम में अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता। दरअसल 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में, जहां हजारों खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं वहां चाह कर भी ज्यादा खिलाड़ियों को मौका दिया जाना संभव नहीं। आखिर कुछ सीमाएं हैं। केवल 15-16 खिलाड़ी ही एक टीम के लिए चुने जा सकते हैं। प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्याय है। आखिर यह कहां का न्याय है कि 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से एक टीम का खेलना और 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना। यह हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़, पुडुचेरी, पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है, जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है। पहले चंडीगढ़ के खिलाड़ी हरियाणा या पंजाब से ही खेलते थे, अब उनकी अपनी टीम है। अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम चार टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र, गुजरात जहां की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं, तीन-तीन टीमें खेलती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों? उत्तर प्रदेश से भी चार टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब चार टीमें खेलेंगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा।
@ghayasakhtar9656Ай бұрын
विभाजन से कोई फाऐदा नही। बस खर्चे बढाना है, हा योगी जी से कुछ हिसाब बीजेपी को चुकाना हो तो बात अलग है।
@Chatur_RamlingamАй бұрын
@@ghayasakhtar9656 akal-less padav tindabad tindabad tindabad totlawadi party tindabad tindabad
@akashpanwarpanwar945628 күн бұрын
Bilkul। Shi time' h
@SURAJTRIPATHI-m6vАй бұрын
Kon pagla rha h
@ikapil_95Ай бұрын
Lgta hai yu bihari purabiya aa gya 😂
@ikapil_95Ай бұрын
Gandve bihari purabiya 😂😂😂
@Chatur_RamlingamАй бұрын
Namazwadi Tarty akal-less padav tindabad totlawadi party tindabad
@Chatur_RamlingamАй бұрын
भारत में क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है। यहां इसके करोड़ों चाहने वाले हैं। वहीं लाखों करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने तो जैसे युवकों में एक नई जागृति पैदा कर दी है। आज हर युवा क्रिकेटर इसमें खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमें अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है। उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चे भी इसमें अपना उज्जवल भविष्य देखते हैं, और क्यों न देखें। आखिर उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है। हालांकि दुख इस बात का है कि चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी को निराशा हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। यूपी में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद किसी भी आयु वर्ग की टीम में अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता। दरअसल 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में, जहां हजारों खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं वहां चाह कर भी ज्यादा खिलाड़ियों को मौका दिया जाना संभव नहीं। आखिर कुछ सीमाएं हैं। केवल 15-16 खिलाड़ी ही एक टीम के लिए चुने जा सकते हैं। प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्याय है। आखिर यह कहां का न्याय है कि 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से एक टीम का खेलना और 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना। यह हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़, पुडुचेरी, पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है, जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है। पहले चंडीगढ़ के खिलाड़ी हरियाणा या पंजाब से ही खेलते थे, अब उनकी अपनी टीम है। अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम चार टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र, गुजरात जहां की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं, तीन-तीन टीमें खेलती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों? उत्तर प्रदेश से भी चार टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब चार टीमें खेलेंगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा।
@Chatur_RamlingamАй бұрын
Aooo Aawatva jabatwa khabatwa nikal yaha se gutkha gamcha purabiye
@Chatur_RamlingamАй бұрын
भारत में क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है। यहां इसके करोड़ों चाहने वाले हैं। वहीं लाखों करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने तो जैसे युवकों में एक नई जागृति पैदा कर दी है। आज हर युवा क्रिकेटर इसमें खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमें अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है। उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चे भी इसमें अपना उज्जवल भविष्य देखते हैं, और क्यों न देखें। आखिर उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है। हालांकि दुख इस बात का है कि चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी को निराशा हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। यूपी में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद किसी भी आयु वर्ग की टीम में अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता। दरअसल 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में, जहां हजारों खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं वहां चाह कर भी ज्यादा खिलाड़ियों को मौका दिया जाना संभव नहीं। आखिर कुछ सीमाएं हैं। केवल 15-16 खिलाड़ी ही एक टीम के लिए चुने जा सकते हैं। प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्याय है। आखिर यह कहां का न्याय है कि 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से एक टीम का खेलना और 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना। यह हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़, पुडुचेरी, पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है, जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है। पहले चंडीगढ़ के खिलाड़ी हरियाणा या पंजाब से ही खेलते थे, अब उनकी अपनी टीम है। अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम चार टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र, गुजरात जहां की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं, तीन-तीन टीमें खेलती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों? उत्तर प्रदेश से भी चार टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब चार टीमें खेलेंगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा।
@ajjuchoudhary675516 күн бұрын
West up alg h hamra hakk h alg hona chahiye 🙌🙌🙌
@YouTube_1709NishadАй бұрын
Nahi batna chahiye kyon uttar pradesh kahin kahin muslim jansankhya jayda hai ish se Uttar Pradesh kahin jihad ke hath main chala jaye SARKAAR SOCH SAMAJH KE FAISLA LE AGAR UTTAR PRADESH BADA HAI TOH KYA HUA BABA YOGIJI NE ACHE SE CONTROL KIYA HAI.
@Chatur_RamlingamАй бұрын
भारत में क्रिकेट एक धर्म का रूप ले चुका है। यहां इसके करोड़ों चाहने वाले हैं। वहीं लाखों करोड़ों युवा इसमें अपना भविष्य देखते हैं। आईपीएल ने तो जैसे युवकों में एक नई जागृति पैदा कर दी है। आज हर युवा क्रिकेटर इसमें खेलने के सपने देखता है क्योंकि उसे इसमें अपने भविष्य की दिवाली नजर आती है। उत्तर प्रदेश के लाखों बच्चे भी इसमें अपना उज्जवल भविष्य देखते हैं, और क्यों न देखें। आखिर उन्हें भी इस खेल के जरिए अपना नाम व पैसे कमाने का अधिकार है। हालांकि दुख इस बात का है कि चंद खिलाड़ियों के अलावा बाकी को निराशा हाथ लगती है। इसका मुख्य कारण है उनका प्रदेश की टीम में चयन न होना और खेलने का अवसर न मिलना। यूपी में टैलेंट की कमी नहीं है लेकिन इसके बावजूद किसी भी आयु वर्ग की टीम में अच्छे-अच्छे खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं मिल पाता। दरअसल 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश में, जहां हजारों खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं वहां चाह कर भी ज्यादा खिलाड़ियों को मौका दिया जाना संभव नहीं। आखिर कुछ सीमाएं हैं। केवल 15-16 खिलाड़ी ही एक टीम के लिए चुने जा सकते हैं। प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति यह घोर अन्याय है। आखिर यह कहां का न्याय है कि 25 करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश से एक टीम का खेलना और 10 लाख वाले प्रदेश व शहर से भी एक टीम का खेलना। यह हमारे प्रदेश के खिलाड़ियों के प्रति सरासर बेईमानी है। गौरतलब है कि चंडीगढ़, पुडुचेरी, पूर्व उत्तर के पांच राज्यों को बीसीसीआई ने पूर्ण मान्यता दी है, जिसके फलस्वरूप वहां के खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खूब खेलने का मौका मिल रहा है। पहले चंडीगढ़ के खिलाड़ी हरियाणा या पंजाब से ही खेलते थे, अब उनकी अपनी टीम है। अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश से भी कम से कम चार टीम बननी चाहिए जिससे यहां के भी खिलाड़ियों को बोर्ड के मैचों मे खेलने का मौका मिल सके। महाराष्ट्र, गुजरात जहां की जनसंख्या क्रमशः 13 करोड़ व 8 करोड़ हैं, तीन-तीन टीमें खेलती हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ भेदभाव क्यों? उत्तर प्रदेश से भी चार टीमों को खेलना चाहिए। प्रदेश से जब चार टीमें खेलेंगी तभी खिलाड़ियों को न्याय मिल पायेगा।