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UPPCL PRIVATIZATION UPDATE #uppcl || UPPCL DISCOMS PRIVATISED #बिजलिनिगम
In this video we will discuss about the concerns raised by #uppcl #tradeunions. Issues raised by the trade unions that
Current employees will be fired
No pension
No fund
Facilities like medical reimbursement and low cost electricity will be demolished
Contractual employees loss their jobs
Jobs in deceased quota will be removed in new companies
Electricity rates will be higher for consumers
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In this video as will discuss about the privatisation policy in UPPCL.
शक्ति भवन में आर0डी0एस0एस0 योजना के कार्यों की समीक्षा बैठक में प्रदेश के विभिन्न वितरण निगमों की खराब वित्तीय हालत की समीक्षा की गयी। अधिकारियों से इस पर सुझाव मांगे गये जिस पर प्रदेश के अनेक निदेशक एवं मुख्य अभियन्ताओं ने कहा कि राजस्व वसूली, लाइन हानियां कम करने तथा थू्र-रेट आदि बढ़ाने के हर सम्भव प्रयास के तहत बड़ी संख्या में अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्यवाही की गयी उन्हें निलम्बित किया गया। विजिलेंस का उपयोग कर छापे डाले गये, डिस्कनेक्शन किया गया तथा एफ0आई0आर0 की गयी लेकिन फिर भी वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। अब इस क्षेत्र में यदि कोई ड्रास्टिक निर्णय नहीं लिया गया, तो परिस्थितियों में सुधार की सम्भावना नहीं है। बहुत से लोगों ने यह भी राय दिया कि उड़ीसा में टाटा पावर के मॉण्डल को स्टडी किया जाये। इस बैठक में प्रदेश के सभी वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशक, निदेशक तथा मुख्य अभियन्ता सहित उ0प्र0 प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा0 आशीष कुमार गोयल एवं प्रबन्ध निदेशक पंकज कुमार सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
समीक्षा में बताया गया कि अनेक कोशिशों के बावजूद कारपोरेशन का घाटा बेतहासा बढ़ रहा है। जितनी बिजली खरीद रहें हैं उतनी भी वसूली नहीं हो रही है। इस साल पावर कारपोरेशन को 46130 करोड़ रू0 सरकार से सहयोग की जरूरत पड़ी है और अगले वर्ष लगभग 50-55 हजार करोड रूपये तथा उसके आगे 60-65 हजार करोड़ रू0 तक की जरूरत बढ जायेगी। सरकार यह कब तक करेंगी।
बैठक में मुख्यतः अधिकारियों द्वारा निम्न सुझाव प्राप्त हुये:-
ऐसे क्षेत्र जहां घाटा ज्यादा है उन्हें सहभागिता के आधार पर पार्टनरशिप करके निजी क्षेत्र को जोड़कर सुधार किया जाये। यदि कर्मचारी सहयोग करें तो पार्टनरशिप में उनकी भी सहभागिता दी जाये। इस प्रबन्धन में निजी क्षेत्र का एम0डी0 बनाया जाये और अध्यक्ष सरकार का प्रतिनिधि बने। जिससे उपभोक्ता, किसानों तथा कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहें। यह सहभागिता के आधार पर विद्युत व्यवस्था की शुरूवात होगी।
अधिकारियों और कर्मचारियों के सभी हित सुरक्षित रहे। उनको पेंशन सहित सभी देय हित लाभ समय से मिले यह सुनिश्चित किया जाये।
संविदाकर्मियों के हितों का भी ध्यान रखा जाये। अधिकारियों का मत था कि विद्युत क्षेत्र में मांग को देखते हुए दक्ष मैनपावर की और जरूरत पड़ेगी। जिससे और भी अच्छी सेवा शर्ते होने की सम्भावना रहेगी। सविंदा कर्मियों का हित सुरक्षित रहे और वर्क इन्वायरमेन्ट में सुधार किया जाये।
बैठक में यह सुझाव आया कि जहां घाटा ज्यादा है और सभी कोशिशों के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है उन्हीं क्षेत्रों में इस व्यवस्था को लागू करने पर विचार किया जाये।