उसकी सत्ता ही सत्य है || डॉ. वेदपाल आचार्य हल्द्वानी, उत्तराखंड 24 मई 2024 #aryasamaj #dayanand200 #vedicnation #delhi
Пікірлер
@baburam-qy3hf7 ай бұрын
आचार हीनानि ना पुन्यनति वेद:।।
@baburam-qy3hf7 ай бұрын
सत्य की निरूक्ति ----सत्य प्रतिष्ठायाम् क्रिया फलाश्रयत्वम्।। सत्य प्रतिष्ठायामम् तत् ( इस सूत्र में तत् शब्द अनुवृत्ति से प्राप्त हुआ है ) अर्थात् सत्य में प्रतिष्ठित वह अर्थात् सच्चा वह है जिसकी हर इच्छा पूर्ण होती है।। वासियों में सत्य आंशिक है
@ramkrishandhakad10338 ай бұрын
प्रणाम
@ShauryaSingh-g2s8 ай бұрын
।। ओ ३ म्।। नमस्ते, श्रद्धेय आचार्य श्री।
@baburam-qy3hf7 ай бұрын
हमारे ऋषियों ने कितनी महत्वपूर्ण शिक्षा कितने संक्षेप में और कितनी सटीकता से हमें दी है जिनके कथनों में विश्व का कोई भी ज्ञानी एक भी मात्रा ना घटा सकता है और ना बढ़ा सकता है।।
@baburam-qy3hf7 ай бұрын
ब्रह्मचर्य की निरूक्ति -----ब्रह्मचार्य प्रतिष्ठायाम् वीर्य लाभ:।। ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठायाम् तत् अर्थात् ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित वह अर्थात् ब्रह्मचारी वह है जिसको अपने प्रत्येक कार्य, प्रत्येक वल और वीर्य से लाभ हि लाभ होता है कभी किसी कार्य से हानि नहीं होती अर्थात् किसी कार्य का परिणाम अशुभ नहीं होता है।।
@subratnayakarya76468 ай бұрын
Om Paramapurusate Namaha
@baburam-qy3hf7 ай бұрын
धर्म की निरूक्ति ------यतो अभ्युदय निश्रेयस सिद्धि स: धर्म:।। जैसा करने से किसी का श्रेय(उत्तम गति) प्रशस्त होती है वैसा करना धर्म है।