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"Uttar Ramayan - Episode 4 - Narada narrated the Ram katha to Maharishi Valmiki | Valmiki's sense of poetic sensitivity.
परमपिता भगवान ब्रह्मा के आदेश पर नारद मुनि धरती पर महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में पहुँचते हैं। वाल्मीकि उनके चरण धोकर उनका देवतुल्य सम्मान करते हैं और उनसे अपने मन की बात कहते हैं कि वे लोक कल्याण निहित ग्रन्थ की रचना करना चाहते हैं। इसके लिये उन्हें ऐसे पात्र की खोज है जिसकी गाथा इतिहास की रचना करती हो। उसके चरित्र से मानव शिक्षा ले। उसके उपदेश धर्म, अर्थ काम और मोक्ष प्रदान करने वाले हों। तब नारद वाल्मीकि से कहते हैं कि ऐसे महाग्रन्थ की रचना की इच्छा उनके अन्तर्मन में जगद्पिता भगवान ब्रह्मा की प्रेरणा से उत्पन्न हुई है। नारद उनसे कहते हैं कि वे जिन गुणों से परिपूर्ण मानव को पात्र के रूप में खोज कर रहे हैं, वे अयोध्या के राजा राम हैं। नारद उनसे कहते हैं कि वे रामकथा को लिपिबद्ध करें और निकट भविष्य में राम के जीवन में घटने वाली एक घटना में उन्हें भी महती भूमिका निर्वाह करनी है। तत्पश्चात देवर्षि नारद महर्षि वाल्मीकि को रामकथा का सार सुनाते हैं और फिर अन्तर्धान हो जाते हैं। संध्याकाल महर्षि वाल्मीकि तमसा नदी में स्नान करने जाते हैं। वहाँ हंस हंसिनी का एक जोड़ा रति क्रीड़ारत होता है। तभी एक शिकारी छिपकर बाण चलाता है और हंस को मार डालता है। हंसिनी भी अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए पति वियोग में प्राण त्याग देती है। वाल्मीकि यह दृश्य देखकर बहुत क्रोधित होते हैं और शिकारी को कभी मन की शान्ति न मिलने का श्राप देते हैं। महर्षि वाल्मीकि अनमने होकर आश्रम लौटते हैं। वह अपने शिष्य से कहते हैं कि हर प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। उन्होंने अति क्रोध में आकर शिकारी को श्राप देकर उचित नहीं किया है। किन्तु उसी क्षण वाल्मीकि को यह अहसास भी होता है कि उनकी जिह्वा से जो श्राप निकला है, वह चार चरणों में आबद्ध है, प्रत्येक चरण में आठ बराबर बराबर अक्षर है जिसे लय में गाया भी जा सकता है। वाल्मीकि कहते हैं कि यह सृष्टि का पहला काव्य छन्द है। तभी ब्रह्मा भी वहाँ प्रकट होकर वाल्मीकि की बात की पुष्टि करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं। माँ सीता वहाँ लव कुश को जन्म देती हैं। लव कुश उसी आश्रम में बड़े होते हैं और गुरु वाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा लेते हैं। कैसे लव कुश श्री राम और माँ सीता को मिलाते हैं देखे सम्पूर्ण उत्तर रामायण के सभी एपिसोड सिर्फ़ तिलक KZbin चैनल पर।
रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।
निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार
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