परम आदरणीय आचार्य जी को सादर प्रणाम व नमन आपका हर प्रवचन सर्वोत्तम विचारों से ओतप्रोत होता है व हमें हर प्रवचन में नया जोश मिलता है पुनः आपको सादर प्रणाम व नमन
@balramsingh53082 ай бұрын
आर्य समाज अमर रहे 🎉
@PratapsinhSolanki-n8g2 ай бұрын
Koti koti vandan Ho
@anmolsoni48572 ай бұрын
जी सादर अभिवादन नमो नमः ❤️🙏 आचार्य जी
@ashokdhiman43162 ай бұрын
सत्यऔर केवल सत्य वैदिक सनातन धर्म के दर्शन मात्र आर्य समाज में ही होते हैं।
@munnalal-ui6lb2 ай бұрын
आत्मा और परमात्मा सृष्टि से भिन्न है।
@vinodmanda29522 ай бұрын
जय हो आरय समाज की❤ योगेश जी को प्रणाम
@shantilalpatel30372 ай бұрын
धन्यवाद पूज्य आचार्य श्री, आपको सादर पायवंदन
@SatishKumar-wf1mu2 ай бұрын
आचार्य जी को शत् शत् नमन,,,, . सतीश कुमार आर्य,,, वैदिक पथ
@Singeshwar-i5f2 ай бұрын
Acharya ji ke charno me koti koti naman
@sandeepgondgond18792 ай бұрын
परमसत्य सनातनधर्म की जय हो वैदिक धर्म की जय हो आचार्य को प्रणाम आर्य समाजकी जय हो
@वेदप्रकाश-ड4ठ2 ай бұрын
❤ट
@rajubawa43722 ай бұрын
ओम् नमस्ते आचार्य जीं
@maheshbari87032 ай бұрын
ओउम् नमस्ते आचार्य जी, महाराष्ट्र बोईसर नवापूर, बहुत बहुत सुंदर व्याख्यान
@rajkumartomar78382 ай бұрын
उत्कृष्ट प्रस्तुति।
@AKARYA9982 ай бұрын
Bahut bahut dhanyawad guru Ji
@lekhrajparihar62322 ай бұрын
Wah,ati Sundar Video. ❤
@KamalSrivastava-e6k2 ай бұрын
गुरु जी सादर चरण स्पर्श
@sarvatantrasiddhanta2 ай бұрын
नमस्ते आचार्य जी
@amarbhengra40382 ай бұрын
Pakhandbaad ka ek sundar example.
@sushmaverma11472 ай бұрын
नमस्ते Acharya जी l
@arunrai966313 күн бұрын
ॐॐ ॐ
@SumanRana-v6k2 ай бұрын
Sadar naman aacharya ji
@Anant-vichar2 ай бұрын
Jai shree ram Satya sanatan vedic dharm ki jai 🙏
@NeelamVerma-lg9xu2 ай бұрын
Pranaam Gurudev ji 🙏🏻
@kamlaupreti95672 ай бұрын
ओम् 🕉🕉 🙏🙏सादर प्रणाम
@mahendramudoi85352 ай бұрын
I am a SANANI by birth and believe in VEDAS and UPANISHAD. In believe and faith I must declare that ATMA IS LIVING CHETNA of all living beings.
@pitabassahoo73182 ай бұрын
सादर नमस्ते आचार्य जी।
@user-kr1rn4bu9t2 ай бұрын
Oum namaste ji acharya ji
@manojaryartist13132 ай бұрын
नमस्ते आचार्य जी 🙏
@sushmaarya45642 ай бұрын
🎉🎉
@ganeshchandrasuyal35762 ай бұрын
🚩🙏
@KhemchandVashishth2 ай бұрын
सत्यार्थ के बौद्ध के लिए केवल केवल आर्य समाज
@bhimanshukumarbarh13342 ай бұрын
Part 2 bhi jaldi video Dale , aatma ka 🙏
@nanukumar77322 ай бұрын
Ak sach batt lagti sirf samajna wala hona chahiye
@Padamrajgaire2 ай бұрын
पहनावा जो भी हो हिन्दुधर्ममे सभी अग्रसर हैं सहयोगकरते हुए अागेबढे.।
@ASHOKKUMAR-qp6wj2 ай бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏
@paras44782 ай бұрын
वेदों के अनुसार आत्मा कहां प्रवेश करती है ? Pechhwarey Sey.
@HKS-m7w2 ай бұрын
बिना शरीर के आत्मा का कोई अस्तित्व नही है। केवल ये कह देने से की मै शरीर नहीं आत्मा हूं। केवल बातें ही है। जीवन भर हमें शरीर का ही अनुभव होता है। और शरीर के समाप्त होने के बाद जो जीवन भर कहता रहा की मैं शरीर नही आत्मा हूं उसका कहीं कोई पता नहीं चलता की वो कहां गया।
@Alakh.P2 ай бұрын
ये शरीर तुमारा है,और तुमरी मां,पिता,बहन ,भाई आदि तुमरे है तुम्हारा घर भी है बहुत सारी चीजे भी तुमरी है जो तुम्हारे सरीर से अलग है ,इसका मतलब यदि तुम शरीर हो तो तुमरे शरीर के अलावा जो भी है तुमरा नही है तुमसे अलग है। और ये शरीर उसका है जो इसकी घोषणा करता है तो वो कौन है?क्या कोई और चीज है दुनिया में जो स्वयं के होने की घोषणा करता हो सिर्फ इंसान के अतिरिक्त? तो फिर इंसान में वो कौन है जो इन सब की घोषणा करता है ,? वो जितनी भी इंद्रियों से जानी जाने वाली चीजे है सबको अपना पराया बताता है तो उससे पूछो की अपने बारे में बताओ तुम कौन हो।अपने बारे में क्यू नही बताते है।
@HKS-m7w2 ай бұрын
@@Alakh.P लेकिन आत्मा को भी तो मेरी आत्मा बोलते है। मै आत्मा तो नहीं बोलते। तो ये मैं कोन है? ये तो अपने भी नहीं बताया?
@Alakh.P2 ай бұрын
@@HKS-m7w yes, आपको यही तो जानना है । ये जो मैं,है ये अहंकार है,इसे ego भी कहते है जो आपके unconsiou माइंड में है ,ये सभी इमोशन का भोक्ता बना बैठा है और इमोशन आपको सीधे आपके सेंस ऑर्गन से फील होती है ।किसको फील होती है है ego को। बस यही कारण है की ego को लगता है मैं बॉडी ही हूं,वो अपनी इस पहचान को छोड़ना नहीं चाहता क्योंकि उसके पूरे अनुभव ही बॉडी centric हैं। और जब ये ego( अहंकार ) विद्या के द्वारा ये जान लेता है की उसका ये सब जानना झूठ है ,ये तो प्रकृति है ,वो कोई और है तो फिर ego नष्ट हो जाता है फिर बचती है subconsius माइंड में की intelligence फिर वो निर्णय करती है की वो बॉडी नही है तो क्या है और यही से स्टार्ट होती है आत्मा की यात्रा और ये इंटेलिजेंस उस यात्रा में हेल्प करती है ठीक वैसे ही जैसे हम किसी प्रयोग में सब कुछ हेल्प लेते है निष्कर्ष को जानने में ये पूरा जगत भी फिर उसमे हेल्प करेगा (आपको भूलना नहीं चाहिए की ये वही जगत है जो आपको आत्मा की यात्रा करा सकता है तो ये आपको गरहित जीवन जीने के लिए विवश भी करता है)।और जब आप उस पूर्ण आत्मा को जान लेते है तब आप सत चित आनंद रूप में स्थिर हो जाते है ,और आपके सारे इमोशन ,इंटेलिजेंस ,बॉडी रास्ते में ही छूट जाते है । अब आप पूछेंगे आत्मा क्या है तो इसका उत्तर है जैसा ऋषियों ने बताया है की वो अचिंत्य,अनत्त है,अखंड है,साक्षी है,विभु है,सत चित आनंद है,आदि संकेत दिए है की हम कुछ समझ पाए ।अब आप पूछेंगे की आत्मा है कहा तो इसका उत्तर है आप यात्रा स्टार्ट करे तो सिर्फ आत्मा को आत्मा होकर ही जाना जा सकता है।non dualism(वेदांत अद्वैत)कहता है की सिर्फ आत्मा है ,वही ब्रम्ह है,उसके सिवा कोई दूसरा नहीं है ये भ्रम से संसारी जान पड़ता है। चुकी आत्मा को अचिंत्य कहा गया है इसलिए उसके बारे में आप जो भी थिंकिंग करोगे उसकी यात्रा में हेल्प करेगी बट कोई निष्कर्ष नहीं निकलपायेगे,क्योंकि वो अचिंत्य है उसके बारे में आप जो भी सोचेंगे वो सब चिंत्य हो जाएगा। आप यदि consius माइंड में permanent entry चाहते है तो आपको पहले सबकंसियस माइंड ,अनकंसियस माइंड को जानना होगा फिर consius माइंड को जानना होगा उसके बाद आती है आत्मा( not soul) kyoki आत्मा सिर्फ भारत ने जानी है इसलिए उसका कोई synonism नही हो सकता। तो पहले आप अपनी बॉडी की कार्यप्रणाणी को जाने ,फिर brain को जाने,फिर mind को जाने(इसमें आप emotion,intellingec को भी जान पाएंगे) फिर यात्रा करे आत्मा की । अयम आत्मा ब्रम्ह जो इसलिए शरीर में आत्मा को न खोजे पहले पहले इतनी चीजे जान ले ये सब जगत का हिस्सा है ।इनको जाने बिना आप आत्मा तक नही जा सकते । जो जान गए है इसको वही कह पाते है जगत मिथ्या है हम सब कह तो देगे पर हमे स्वीकार नहीं हो रहा चुकी हम जानते नही है। आशा है आप कुछ समझ पाए होंगे मैने जो जाना है उसे आपसे कह दिया हु जो phi मैने कहा ये प्रोसेस है जाना मैने भी अभी नही है कोशिश कर रहा हु इसी जागता में रहकर जानने की क्योंकि जानने का एक साधन बॉडी भी है । 🙏
@Alakh.P2 ай бұрын
@@HKS-m7wमेरी आत्मा जैसा कुछ नहीं है सिर्फ आत्मा है जो सार्वभौमिक है,सार्वभौमिक तो सत्य ही है , तभी तो कृष्ण कहते है मैं सब जानता है क्योंकि वो सत चित आनंद आत्मा है , इसी को बोलचलमे परमात्मा कहने लगे है ।हम प्राकृतिक सयोग से उत्पन हुए एक जीव है जिसमे अहंकार ने सबका अतिक्रमण कर रखा है ,साथ में intellingenc भी है जो इस अहंकार के अतिक्रमण से मुक्त करा अपने सही स्वरूफ तक पहुंचने में सहायता करेगी लेकिन अहंकार सबके ऊपर भारी है। आपको आत्मा की यात्रा करनी है तो पहले आप जगत क्या है जाने,फिर माइंड क्या है जाने, फिर आपको आत्मा के बारे में पता चलेगा। मैं आपको बताने की कोशिश करता हु ये पूरी बॉडी है ये भी जगत है , इसमें sense ऑर्गन है जो आपको सिग्नल द्वारा सूचनाएं को पहुंचते है और आप अनुभव करते है , पर ये अनुभव होता किसे है ,ब्रेन को की बॉडी को या कोई और है जो इन्हें अनुभव करे ,तो ये है मन(mind )! इसके तीन पार्ट बताए गए है ,unconsius mind,subconsius mind और consius mind। Unconsius mind me hote hai emotion,desire and EGO (अहंकार) Subconsius mind me hota hai thinking process and intelligence Consius mind एक कोरी स्लेट की तरह है उसके बाद है आत्मा जो अचिंत्य है ,अनंत है अखंड है ,सत चित आनंद में स्थिर है ,निरंजन है,पूर्ण है। तो आप अब समझ गए होगे की न मन को शरीर में खोज सकते और आत्मा को तो मन से भी नही जान सकते वो मन से भी परे है इसलिए आत्मा का भी शरीर से कोई लेना देना नही। तो पहले आप अपने ब्रेन को जाने ,फिर मन (माइंड) को जाने।ha ego (अहंकार का बॉडी से इतना जुड़ाव इसलिए है की सारे इमोशन senses ke dwara ही मन को अनुभव होते है इसलिए ego ko लगता है वो बॉडी ही है ।आप इंटेलिजेंस de द्वारा इस ego ki तड़फ को सही दिशा में ज्ञान देंगे तो आप आत्मा की यात्रा कर पाएंगे। Isle liye aap उपनिषद पड़ सकते है
@sukhramsolanki33202 ай бұрын
पहले शरीर समाप्त होता है या पहले आत्मा शरीर छोड़कर जाती है तब शरीर समाप्त होता हैं?
@रामुराम-ङ4ज2 ай бұрын
सगुण निर्गुण द्वन्ध पसारा दोनों पड़ गये काल की धारा
@singingstarsudhirsharma58272 ай бұрын
Behosh hone par ye mai Kahan chala jata hai, ishwar ko yad karne ki kya jarurat hai yadi vo hai bhi aur usne hme banaya hai to ye uski apni garaj hogi hme kya lena dena.
@Compound-Herbal2 ай бұрын
Kya Plant me Chetna h jad Phir Jad Puthati h
@munimsingh2 ай бұрын
Atma pratyak shareer ki chetna hai.mrit hone par chetna bhi nahin hai.
@manishbhardwaj10552 ай бұрын
आप माथे पर तिलक नहीं लगते महाराजजी
@gaurav82672 ай бұрын
तिलक लगाने से व्यक्ति अच्छा बन जाता तब तो सारे ढोंगी तिलक लगाते हैं।
@prateekporwal38472 ай бұрын
ये कहां हो रहा है गाजियाबाद में ?
@RadheyShyamSharma-cn6ks2 ай бұрын
ब्रह्म(आत्मा)+ब्रह्माण्ड(तन,शरीर) =योग,योगेश्वर स्वंम ईश्वर है। ब्रह्म सिर्फ वर्तमान मे ,प्रारब्द के कर्म फल धारीत हो कर फल प्राप्त हो कर ,पूनः भविष्य काल हो जाया है, (यही ब्रह्य,आत्मा)योग,योगेश्वर,है। ईस प्रकार वर्तमान से भविष्त्र व भूतकाल(त्रिकाँल)धारी प्रक्रियाँ है। वर्तमान मे ब्रह्म+ब्रह्माण्ड=योग से मिलै शरीर से मर्यादा,ससंकारीत,कर्मो से कर्मो को संधारित करना चाहिऐ,जिससे पुनः कर्म फल हेतु क्षैष्ट ब्रह्माण्ड,शरीर प्रर्दत हो।
@RameshSharma-sn5vk2 ай бұрын
Mahabharat me 21 baar chatri ko dharti se samil nas brahman prasuram kyon kiya phir chatri kaha se aya
@BahuThoughts20 күн бұрын
प्रणाम आचार्य जी सब ठीक है आपका व्याख्यान आपके ज्ञान को नमन परंतु मुझे लगता है आपको थोड़ी भाषा की मर्यादा रखनी चाहिए क्योंकि यदि कोई आपका शिष्य ये कहें की योगेश अच्छा गुरु है यदि आप भूतकाल में हैं तो योगेश अच्छा गुरु था और असभ्य भाषा मे संबोधन करें तो आपको कैसा लगेगा वह भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम है और आप उन्हें, राम कैसा था '' इस प्रकार से संबोधन कर रहे हैं और आप एक आचार्य होकर आपको शोभा नहीं देता तो भाषा की मर्यादा रखिए इस प्रकार से संबोधन करना बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है आप भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र के 0.000001% प्रतिशत भी नहीं है आप क्या वर्तमान में मौजूद इस धारा के समस्त प्राणी भी भगवान पुरुषोत्तम श्री राम के 0.000001% प्रतिशत भी नहीं है तो आप भगवान पुरुषोत्तम श्री राम के संबोधन पर मर्यादा रखिए',, ये अमर्यादित संबोधन ना करें विनम्र विनती है आपसे जय श्री राम 🙏🙏
@upeshkumarsaroha5909Ай бұрын
आत्मा कंठ में रहती हैं बता के गए हैं ये करेंगे ज्ञान का बंटाधार.....
@RajeshKumar-ll5jb19 күн бұрын
अंधा है क्या?या मुर्ख, देख कर भी झूट बोल रहा हैं।धूर्त।
@sirdr.aanandprakash86582 ай бұрын
कोई भी शंकराचार्य सार्वजनिक मंच पर कमरे पर आ कर शास्त्रार्थ करने को तैयार ही नहीं होता । govt ने भी सेकुलर स्वतंत्रता के अनुसार शास्त्रार्थ को अनुमति नहीं देती ।
@nanukumar77322 ай бұрын
@@sirdr.aanandprakash8658 government ki be dukan bnd hona katra h government ko pasa mandero sa milta h jo yakkti chadava data usi ka
@MpSingh-sb6xb2 ай бұрын
Shankaracharyon se kya shastrarth karna Bo to iske yogya hi nahi hain Arya kp singh
@thehindutalks63842 ай бұрын
त्रेयतवाद को किसी ने मान्यता नही दिया है.... केवल आर्य समाज इस त्रेतवाद की मानता है
@dylover4202 ай бұрын
Kon dega Manyata bhai ise tark se samjha jata hai pahle sanskrit sikho phir satya ka gyan hoga murkh
@omprakashchandak29412 ай бұрын
त्रेता बाद किसको कहते हैं यह पहलेमालूम करो अर्थ होता है ईश्वर परमात्मा और सृष्टि क्या आप यह नहीं मानते
@thehindutalks63842 ай бұрын
@@omprakashchandak2941 दो चिड़ियों वाले मंत्र से उदाहरण से त्रैत वाद सिद्ध नही होता. ईश्वर ने सृस्टि की रचना की..तो सृस्टि पहले से व्याप्त नही था..ईश्वर ने बनाया...
@rambabushahi54912 ай бұрын
@@omprakashchandak2941traitvad ka arth hota hai -Atma ,parmatma aur prakriti.
@thanksaryasamaj37862 ай бұрын
ईश्वर दे रहा है वेदों के मध्यम से कोई दे या न दे।
@PradeepChauhan-fn4ut2 ай бұрын
Are pandit jee aub kitna thik karoge bed ko bed khudhi gumrah hai char bed char taraf ko khada hai bed ik ishwar ko char ishwar bataya kis bed ko mane
@indrajeetr.49602 ай бұрын
ये तो चार्वाक दर्शन की बात बता रहे हो l लेकिन बात गलत बता रहे l देशी घी खाना है तो कर्ज लेकर नहीं बल्कि खुद की कमाई से खाओ l उदाहरण के लिये l:--- *************** उतनी पाव पसारिये जितनी चादर होई
@BharatVidhaan2 ай бұрын
Arya samaj kyu shankarachayon se shastrarth nhi krte . Kyu ab Rishi Dayanand ki tarah shastrarth nhi krte
@SunNy-lp5yr2 ай бұрын
Ayega jab shankracharya tabhi toh hoga , pr vo aata hi nhi 😢
@BharatVidhaan2 ай бұрын
@@SunNy-lp5yr chunauti kon de rha Arya samaj se
@Surprisedgaming.2 ай бұрын
Acharya agnivrat ji@@BharatVidhaan
@nemichandsharma53242 ай бұрын
शास्त्रार्थ करने से पोल पट्टी नहीं खुल जाएगी धंधा दुकान बंद हो जाएगी
@surendrasinghshekhawat28942 ай бұрын
शंकराचार्य तो मुर्ति पुजक है यही से ही यह सिद्ध होता है कि उन लोगों को ज्ञान कम है बाकी बातें तो बाद की है भला स्वामी दयानंद सरस्वती का शिष्य शास्त्रार्थ से क्यों डरेगा
@mangilalbunkar18162 ай бұрын
ये बताए कि आत्मा बच्चे के पैदा होने के समय शरीर में प्रवेश करती हैं या सेक्स के समय, महाभारत में वर्णित है कि वीर्य में आत्मा है तो एक बार के सेक्स करने से करोड़ो शुक्र कीट होते हैं तो एक कीट से ही पैदा हुए हैं तो वे आत्मा अंडकोष में क्या पड़ी रहती हैं। इस मामले पर बताए।
@Alakh.P2 ай бұрын
@@mangilalbunkar1816 भाई महाभारत में कहा लिखा है जरा पड़ लो । यदि अपने पड़ा है तो प्रूफ बताओ । भागवत गीता ,उपनिषद पड़ो ऐसी अनर्गल बातें न करो ।brain and mind me डिफरेंस पता है आपको।आत्मा तो mind से भी परे है वो अचिंत्य है,अखंड है,निरंजन है ,अनंत है ,सत चित आनंद घन स्वरुफ है जिसे परमात्मा भी कहने लगे है बल्कि वो आत्मा ही है। अब आप मुझे बताइए सेक्स के दौरान बॉडी अंदर डाली थी ,क्या उसमे ब्रेन भी अंदर डाला था ,क्या मन भी डाला था ,अपने सिर्फ sperm ही न डाले थे और स्पर्म में क्या है साइंस आपको बता ही रहा है ।फिर गर्भाशय में एक envirinment मिला उस स्पर्म को धीरे धीरे उसने आकर लेना शुरू कर दिया फिर बॉडी बनी,ब्रेन बन उसका विकास हुआ ,यहां आत्मा कही nhi घुसी उसकी बॉडी में,अब मन (mind) विकसित हुआ आप समझ रहे है ak process ke तहत हो रहा सबकुछ। अब आपको brain एंड mind में अंतर समझ आएगा की ब्रेन को तो है पर मन का नही पता कहा है ,और आत्मा मन से भी परे है इसलिए ये आपसे humble request हैं प्लीज जिन जिन बातों को आप नही जानते इनके बारे में फालतू कोरी कल्पना न करे ।यदि आपको जानने की जिज्ञासा है तो आप उपनिषद का अध्यन करे आपके सारे क्वेश्चन दूर हो जायेगे ।
@munnalal-ui6lb2 ай бұрын
ईश्वर जीव प्रकृति तीनों सृष्टि की सामग्री है और निराकारसरकार है निराकार साकार माया है। यजुर्वेद का मंत्र संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। परमात्मा क्या है उसके बारे में वेद बता रहे हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की शिक्षा है। सृष्टि से भिन्न क्या है उसके क्या उसकी लीला है क्या नाम है क्या धाम है उसका वेदों को पता नहीं है। वेदों में सृष्टि का ज्ञान है सृष्टि से भिन्न का ज्ञान वेदों में नहीं।। सृष्टि से भिंड का ज्ञान भागवत में है भागवत को पूरण ब्रह्म बिना कोई खोल नहीं सकता। कलयुग बुद्ध शाखा में पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद के आवेश अवतार श्री विजियाभिनंद बुद्धनिष्कलंक द्वारा जागृत बुद्धि से भागवत को खोल कर एक पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की पहचान कराई है इसलिए कलयुग चारों युगों में श्रेष्ठ है। आत्मा अजन्मा है आत्मा द्रष्टा आत्मा संसार से भिन्न है। जीव करता भोक्ता है जीव शरीर धारण करता है और शरीर छोड़ता है जीव निराकार ईश्वर का अंश है। ईश्वर अंश जीव अविनाशी चेतन अमल सहज सुख राशि।। रामायण।। आत्मा संसार से भिन्न है पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद की अंग है। अर्थात सच्चिदानंद है। सोहमंसि इति ब्रह्म अखंडा दीप शिखा सोई परम प्रचंडा।। रामायण।। आत्मा और परमात्मा अखंड अद्वैत एक रस है और अखंड परमधाम में विराजमान है।
@nanukumar77322 ай бұрын
Lagta h rampal na bhakaya h appko
@SomShanker2 ай бұрын
अखंडित को खंड खंड करना फिर सवाल उठाने तर्क वितर्क करने यही मानव करते आए हैं। अखंडित मतलब अखंडित पूरा-पूरा है ही यहां तक यह सवाल जवाब ,आकर निराकार,अखंड ब्रह्मांड कुछ भी परमात्मा के हुक्म से बाहर नहीं संपूर्ण भी अंदर अनथक मुंह पर उंगली ॐ
@nemichandsharma53242 ай бұрын
आपको वेदों का ज्ञान भी अधूरा लग रहा है और वह पूरा कहां से हो रहा है वह भी भागवत कथा है जिसमें हजारों परीक्षित बातें लिखी गई है इन सबसे ज्यादा ज्ञान तो आप स्वयं मेंहै अपने आप का उदाहरण लेना चाहिए
@thehindutalks63842 ай бұрын
आज फिर आर्य समाजी मूर्ख बना गया...इतना सामान्य बातें तो पुरानो में भी है...वेद का नाम लिया और वेद के कोई मंत्र का रेफरेन्स नही दिया...वेदों के आत्मा सम्बन्धी मंत्र पर बिचार नही दिया..अपनी झूठी कहानी लोगो के मनोरंजन के लिए बताए ओर वेद का नाम तक नही लिया..ऐसे ही ये मूर्ख बनाते है...
@neerarya43372 ай бұрын
Arya samaj ko sat sat naman
@nanukumar77322 ай бұрын
Murkh vaha h jisko samaj nahi ata h or babao k chakkar me pda hua h
@nemichandsharma53242 ай бұрын
शास्त्रार्थ के लिए खुली चुनौती है आर्य समाज वालों की हे ज्ञानी जी आप अपने वेदों से भी ऊपर के ज्ञान को लोगों में प्रसारित कीजिए और उनका उपकारकीजिए मां मन में कल बुला कर आपको क्या मिलेगा पता तो तब चलेगा तुम शास्त्र आरती की खुली चुनौती दोगे वह स्वीकार नहीं करेंगेतब फिर आपका भी वजन मालूम पड़ जाएगा कि आप में कितनाहै
@SandeepYadav-gx3nj2 ай бұрын
Bhai puranon ki Rachna kab Hui aap mujhe yah batane ka kasht karenge