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वेल्लोर किला: जहां हुई थी 1857 से पहले बग़ावत I इतिहास के अनजाने पहलू

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Peepul Tree World (Live History India)

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2 жыл бұрын

तमिलनाडु राज्य के वेल्लोर जिले में बालाजी नगर में स्थित वेल्लोर किला, ग्रेनाइट, पत्थरों और चूने से बना हैI पहाड़ों से घिरा ये किला, तमिलनाडु के सबसे उपजाऊ घटी में स्थित हैI वेल्लोर किले से जुड़े ऐसे कई दिलचस्प पहलू हैं, जो इसको ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भरपूर बनाते हैंI आईये, आपको इनके सफ़र पर ले चलते हैंI
वेल्लोर किले का निर्माण सन 1556 में विजयनगर शासक कृष्णदेव राय के नायक सामंतों ने किया थाI हालांकि, इसकी सामरिक महत्वता सन 1565 के तल्लिकोटा की जंग के बाद तब बढ़ी, जब वेंकट द्वितीय के शासनकाल के दौरान चंद्रगिरी विजयनगर साम्राज्य की चौथी राजधानी बनींI इसके बाद, ये किला सन 1606 में उनका रिहाईशी इलाका बनाI
इस दौरान क्षेत्र में अपने शासन बढाने की फ़िराक में, तीन नायक साम्राज्यों- सेंजी, तंजावुर और मदुरै के बीच सन 1610 के दशक के दौरान गृह युद्ध छिड़ा, जिसको बीजापुर और गोलकोंडा सुल्तानों ने कार्नाटिक में अपनीं सल्तनत को बढ़ाने के लिए एक मौके के तौर पर देखाI इसके कारण ना सिर्फ विजयनगर साम्राज्य समाप्त हुआ, बल्कि सन 1656 में बीजापुर सुल्तानों ने जीत के तौर पर वेल्लोर किला अपने नाम कियाI बीस साल बाद, ये किला मराठों के हाथ लगा, जो इस क्षेत्र में तब तक एक प्रभावशाली ताकत बन चुके थेI लेकिन वो इस किले पर अधिक समय तक नहीं टिक पाए, क्यूंकि मुग़ल सेनापति दाऊद खान ने सन 1710 में यहाँ हमला किया, और इस किले को मुगलों के अधीन लायाI आगे चलकर, ये मुगलों से आज़ादी का एलान करने के बाद, सल्तनत-ए-आर्कोट के वेल्लोर जागीर का मुख्यालय बनाI
सन 1760 के दशक में जब मुहम्मद अली वाल्लाजाह आर्कोट के नवाब बनें, तब उन्होंने अंग्रेजों को वेल्लोर किले में अपना सैन्य गढ़ बनाने की इजाज़त दीI वेल्लोर किले का ज़िर्क हमें कई अंग्रजी रिकॉर्ड में मिलता है, जिन्होंने इसको भारत के सबसे ताक़तवर किलों में गिनाI आंगल-मैसूर युद्ध के दौरान, इस किले पर एक बार हैदर अली ने चढ़ाई करने की नाकाम कोशिश भी की थी, और ये उनके और उनके बेटे टीपू सुल्तान के खिलाफ सैन्य कारवाही का केंद्र भी बनाI
सन 1799 में चौथे आंगल-मैसूर युद्ध में श्रीरंगपटनम के कब्ज़े और टीपू की मौत के बाद, उसका पूरा परिवार वेल्लोर किले में दाखिल हुआ, जहां पर उनको ख़ास क्वार्टर में रखा गयाI ये क्वार्टर आज हैदर महल और टीपू महल के नाम से जाने जाते हैंI
ठीक ऐसे ही, सन 1815 में श्रीलंका के कांडी के शासक श्री विक्रम राज्सिंघे को भी यहाँ अपनी रानी के साथ रखा गया था, जब उनके साम्राज्य पर अंग्रेज़ों का कब्ज़ा हुआI विक्रमसिंघे यहाँ सत्रह वर्षों के लिए, सन 1832 में अपनीं मौत तक यहीं रहेI वेल्लोर किले के भीतर मौजूद कांडी महल और मुथु मंडपम उनके यहाँ रहने का गवाह हैI दिलचस्प बात ये है, कि राज्सिंघे उसी नायक कुल से ताल्लुक रखते थे, जिन्होंने इस किले का निर्माण किया!
सन 1805 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत मद्रास आर्मी के नए कमांडर-इन-चीफ सर जॉन क्रेडोक ने सेना में अनुशासन को सुधारने के लिए कुछ निर्णय लिए, इनमें मूंछ और दाढ़ी को हटाने, किसी प्रकार की कोई जाति की निशान ना होना और पगड़ियों पर चमड़ी के बने मंडन पहेनने जैसी बातें शामिल थेI
मई सन 1806 में जब धर्मांतरण के डर से कुछ देसी सैनिकों ने इसका विरोध किया, तब उनको मद्रास के सैंट फोर्ट जॉर्ज में लाकर जनता के सामने कोड़े बरसाने के बाद सेना से बर्खास्त कियाI गुस्साए सैनिकों ने फिर टीपू के बेटों से हाथ मिलाया और यहीं से अंग्रेजों के खिलाफ पहले ग़दर के बीज बोये गएI 9 जुलाई सन 1806 में जब टीपू की बेटी का निकाह हो रहा था, तब इस मौके का फायदा उठाकर कई सैनिक वेल्लोर किले में घुसेI यहाँ उन्होएँ करीब सौ अंग्रेज़ी सिपाहियों को मारा, उनके घरों को ध्वस्त किया और टीपू के शाही ध्वज को किले पर फहरायाI इसके साथ, उन्होंने टीपू के बेटे फ़तेह हैदर को अपना नया शासक मानाI 10 जुलाई सन 1806 की दोपहर तक, आर्कोट की मद्रास कैवेलरी ने इस बगावत को कुचला, जिसके बाद कई सैनिकों को सेना से बर्खास्त किया गया और कईयों को मौत के घाट उताराI
इस घटना ने इंग्लैंड को झकझोर कर रख दिया था, जिसके बाद क्रेडोक के साथ तत्कालीन भारतीय गवर्नर जनरल विलियम बेन्टिक को ना सिर्फ नौकरी से निकाला, बल्कि क्रेडोक के लिए गए निर्णयों को भी मजबूरन वापस लिया गयाI वहीँ टीपू के परिवार को कलकत्ता भेजा दियाI सन 1858 में जब भारत की सत्ता, ब्रिटिश सरकार के तहत आई, तब ये किला वीरान रहाI
सन 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, वेल्लोर किला भारतीय पुरातत्व विभाग के तहत आया, जो आज यहाँ मौजूद बादशाह और बेगम महलों से अपना कार्यभार कायम रखता हैI वहीँ हैदर और टीपू महलों में सन 1990 के दशक के शुरूआती वर्षों में LTTE के कुछ आतंकवादी हिरासत में रखे गए थेI सन 1995 में इनमें से 43 लोग सुरंग खोदकर भागे, जिनमें से 21 लोगों को पकड़ा और वेल्लोर केन्द्रीय कारगार में रखा गयाI आज वेल्लोर किले में एक सरकारी संग्राहलय भी है, जिसमें किले के साथ-साथ वेल्लोर और उसके आसपास के क्षेत्र के इतिहास की झलक हमें दिखती हैI आज वेल्लोर किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वो गढ़ है, जिसकी दीवारों में क्रान्ति की खुशबू आज भी कायम है!
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Пікірлер: 8
@muhammednizamuddin4804
@muhammednizamuddin4804 2 жыл бұрын
Proud be from vellore
@pritamroy7934
@pritamroy7934 Жыл бұрын
मैं यहां का टूर किया हूं वाकई काफी बड़ा और सुंदर दृश्य को याद दिलाता है।।🥀❤️
@johnknight9779
@johnknight9779 2 жыл бұрын
1.5x will be good
@sailensarma1411
@sailensarma1411 2 жыл бұрын
Jay Ho Sanatan Dharm ki 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏🙏
@rishavprakash2315
@rishavprakash2315 2 жыл бұрын
Abe yaha kyu bol raha h
@pritamroy7934
@pritamroy7934 Жыл бұрын
@@rishavprakash2315 🤣🤣🤣🤣
@sailensarma1411
@sailensarma1411 2 жыл бұрын
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏
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