जब कभी भी किसी बात को लेकर confusion में होता हूँ चुप-चाप आचार्य जी को उस topic पर search करता हूँ, सारी confusion दूर हो जाती है 🙏🙏🙏🙏🙏
@GULAB-SHAIKH-SAYYED-1-G6 күн бұрын
सत्य से भरा स्पष्ट उत्तर। चेतना को प्राथमिकता दें, शरीर को नहीं। शरीर एक माध्यम (वाहन) है जिसका उपयोग चेतना की मुक्ति तक पहुंचने के लिए किया जाना चाहिए, यही शरीर की सार्थकता है।
@GULAB-SHAIKH-SAYYED-1-G6 күн бұрын
शारीरिक (भौतिक) सुख भोग विलाश सभी को पुरा करने मे लगे तो ये कभी पूरे होने वाले नही और पुरा करे भी तो एक अंदर ही अंदर अधूरा पन सा रहता ही है उस अधूरे पन को पूरे करने के लिए हमे अध्यात्म चाहिए और अध्यात्म मिलते ही हम पूरे होते है और उसके बाद जो भी कार्य होगा वो पूर्ण होगा
@manjusahu34935 күн бұрын
शरीर के साथ एक सम्यक संबंध बना के रखना है चेतना को ऊपर और शरीर को नीचे स्थान देके ही सही तरीके से लक्ष्य की ओर बढ़ा जाता है, प्रणाम आचार्य जी 🙏🏵️🙏
@GajendraSingh-yk3pu2 күн бұрын
What a great teaching in a positive & practical manner, thanks Aacharya ji 🙏🙏
@GULAB-SHAIKH-SAYYED-1-G6 күн бұрын
वासना में कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता। जैसे आप खाना खाते हैं, वैसे ही आपके प्रजनन अंग भी कामुकता में लिप्त होते हैं, लेकिन यह जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। हमें भौतिक प्रवृत्तियों में नहीं फंसना चाहिए। हमें चेतना को प्राथमिकता देनी होगी।
@kumkumsinha16043 күн бұрын
Best content on वासना। ❤
@user-Janvarshala5 күн бұрын
न चेतना न शरीर कुछ भी नहीं।🙏
@SurajKatuwal-rv1nv4 күн бұрын
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏
@HemlataMeena-qt2ln5 күн бұрын
Aapki baate jeevan ko saral bana deti h dhanyavaad
@SanjeevKumar-p7n9y5 күн бұрын
Bahut sundar acharya ji
@bhagirathsingh20645 күн бұрын
Vaasna wo abhishaap jise kaaiyde se overtake karke bana sako to bana lo maha vardaan. ☠️👽🌹😎
@ArunPatel-r9t5 күн бұрын
Most informative video ❤❤🙏🙏
@anukaushal86895 күн бұрын
🌷🌄
@aniketsharma51315 күн бұрын
जब कोई व्यक्ति दुनिया से इन विषयों के बारे में यह सुनकर आया हो कि ये बुरी बात है, इन्हें दबा देना चाहिए, इनका दमन कर देना चाहिए। और फिर जब वह आचार्य जी को सुने और उसे यह पता चले, की संभोग ना अच्छा है ना बुरा है। बस इसे इसकी सही जगह दे दो और तुम अपना काम करो। सच कहूं तो इतनी आजादी महसूस होती है कि दिमाग बौखला जाता है, कि इस दबाने छुपाने वाली दुनिया में क्या इतनी आजादी की भी बात हो सकती है।