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हिंदू धार्मिक पुराणों के
अनुसार, वास्तु पुरुष के शरीर में 45 देवी देवताओं का वास होता है. वास्तु कला की
जड़ें वेदों में भी मिलती हैं. वास्तु विज्ञान में स्थापित मूर्ति और चित्रकला का
समावेश माना गया है. वास्तु देवता को वास्तु रक्षक वास्तु, वास्तु भूत आदि नामों
से संबोधित किया जाता है. वास्तु पुरुष को हिंदू धर्म में भूमि पर बनाई जाने वाली
किसी भी प्रकार की संरचना का देवता माना गया है.
हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार,
ब्रह्मा जी के आशीर्वाद के बाद से वास्तु पुरुष पृथ्वी पर सभी भूखंडों और
संरचनाओं के देवता माने जाते हैं. किसी भी गृह प्रवेश में पूजन के दौरान उनके नाम
की आहुति देना अनिवार्य होता है. माना जाता है कि इसके बदले में वास्तु पुरुष उस
स्थान पर रहने वाले लोगों की सुख शांति की रक्षा करते हैं.
वास्तु दोष दूर करने के लिए वास्तु मंत्र
वास्तु दोष सबसे खतरनाक
दोषों में से एक होता है क्योंकि यह एक ही बार में आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक
जीवन दोनों को प्रभावित कर सकता है। ज्योतिष में, वास्तु दोष जातक के प्रिय घर,
कार्यालय या किसी अन्य जगह पर मौजूद कमी के बारे में है। गलत वास्तु, यानी गलत दिशा
में चीजों का स्थान या समग्र संरचना, वास्तु दोष की ओर ले जाती है। वास्तु दोष
जातक के लिए नकारात्मक ऊर्जा और विनाश की ओर ले जाता है, जिससे उसका जीवन
अस्त-व्यस्त हो जाता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि किसी ज्योतिषी से परामर्श
करके हमेशा अपने घर को वास्तु अनुकूल बनाने का प्रयास करना चाहिए।
वास्तु समकालीन आवासीय परियोजनाओं के साथ एक आधुनिक समस्या है, जिसमें किसी भी
प्रकार की संपत्ति का निर्माण करते समय वास्तु शास्त्र की पूरी तरह से विचार नहीं
किया जाता है, चाहे वह आवासीय हो या वाणिज्यिक। हालांकि, निर्माण में ऐसी गलतियां
और वास्तु के नियमों का पालन न करने से भवन का उपयोग करने वाले निवासी सबसे अधिक
प्रभावित होते हैं। वास्तु दोष पंच महाभूत अर्थात पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और
अंतरिक्ष की ऊर्जा की दिशा और प्रवाह में त्रुटियों और चूक को साथ लाता है। जब ये
तत्व जातक के जीवन में खो जाते हैं, तो ये उसके जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित
करते हैं।
पाठक गण को चाहिये की प्रत्येक पूजा अराधाना ऐवम प्रयोग के पशच्यात इन अराधनओ मै हुइ त्रुटियों के लिये इष्ट देव, देवियो से छमा याचना अनिवार्य तोर पर दुहराये, अन्यथा हो सकता है कि "लेने के देने" कि नौबत आ जाये ।
पाठक गण को चाहिये की प्रत्येक पूजा अराधाना ऐवम प्रयोग के पशच्यात, उप्युक्त शांति पाठ अवश्यमेव करे जिससे कि जो वातावरण मै आई अनावश्यक बद्लाव, जो आपकि अराधना से उत्पन्न हुये है, वो शांत हो जाये ।
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