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वीडियो जानकारी: 17 अगस्त 2019, हार्दिक उल्लास शिविर, कोलकाता
प्रसंग:
आरुरुक्षोर्मुनेर्योगं कर्म कारणमुच्यते ।
योगारूढस्य तस्यैव शमः कारणमुच्यते ॥
भावार्थ: योग में आरूढ़ होने की इच्छा वाले मननशील पुरुष के लिए योग की प्राप्ति में निष्काम भाव से कर्म करना ही हेतु कहा जाता है और योगारूढ़ हो जाने पर उस योगारूढ़ पुरुष का जो सर्वसंकल्पों का अभाव है, वही कल्याण में हेतु कहा जाता है ॥
~ श्रीमद्भग्वदगीता (अध्याय ६, श्लोक ३)
~ षड रिपु माने क्या?
~ काम, क्रोध, लोभ, मोह से ऊपर कैसे उठें?
~ संयमित जीवन कैसे जीयें?
~ कृष्ण को गीता दोबारा क्यों बतानी पड़ी?
~ क्या अर्जुन को गीता समझ में आई थी?
संगीत: मिलिंद दाते
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