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प्रश्न पहले स्वयं से करो।
पुनर्मूल्यांकन करो, सवाल तो करना ही पड़ेगा।
जो है सो है आगे करना क्या है?
हम नाटक के एक्सपर्ट हैं, जो जितने बड़े पद पर होता है वह उतना बड़ा नाटक का कलाकार भी।
गलतियां मत दुहराओ।
खुद बनाओ अपना टारगेट।
शुभ लाभ को समझना पड़ेगा।
बिना स्वार्थ के किसी से कोई दोस्ती नहीं करता।
अप्पो दीपो भव।
सर्वोदय की नीतियां बनाना होगा।
क्षमता वर्धन करना पड़ेगा।
क्या गांव में पैसा मिल सकता है?
क्या विलेज प्लान बिना किसी सहयोग के बनाया जा सकता है?
ऐसे तमाम बिंदुओं पर चर्चित आईएएस कमल टावरी ने बेबाक तरीके से संबोधन किया।
अवसर था दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान लखनऊ में कतिपय राजपत्रित और राजपत्रित प्रशिक्षणार्थियों के बीच।
बताते चलें श्री कमल टावरी 1968 बैच के आईएएस है जिन्हें कई जिलों में कलेक्टर, कमिश्नर सचिव प्लैनिंग कमिशन एवं पीएमओ आदि में रहने का अवसर प्राप्त हुआ है।
अपनी बेबाक शैली, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए इन्हें लोग सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
कई बार कमल टावरी जी का पंगा शासन से भी हुआ और महत्त्वहीन स्थानों पर इन्हें पदावनत किया गया, वहां भी इन्होंने बेहतर तरीके से कार्य संपादित कर उस संस्थान की गरिमा को बढ़ाया।